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बिहार में उद्योग के माहौल को लेकर चिंतित हैं ड्रग मैन्युफैक्चरर्स, सरकार से हस्तक्षेप की मांग - राज्य औषधि नियंत्रक से इस्तीफे की मांग

बिहार राज्य ड्रग एंड फार्मास्युटिकल्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन लगातार राज्य औषधि नियंत्रक पर मनमानी करने का आरोप लगा रहा है. इस संबंध में उन्होंने सरकार को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की है.

बीएसडीपीएमए के सदस्य सुरेश पांडे
बीएसडीपीएमए के सदस्य सुरेश पांडे
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Published : Jun 26, 2020, 5:31 PM IST

पटना: बिहार राज्य ड्रग एवं फार्मास्युटिकल्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (बीएसडीपीएमए) इन दिनों राज्य औषधि नियंत्रक रविंद्र सिन्हा के रवैया से काफी नाराज चल रहे हैं. राज्य औषधि नियंत्रक के रवैया को लेकर एसोसिएशन पिछले कुछ दिनों से लगातार स्वास्थ्य विभाग को पत्र लिख रहा है. लेकिन, विभाग की ओर से अब तक कोई सकारात्मक पहल नहीं हो सकी है. इस बात को लेकर अब ड्रग एवं फार्मास्यूटिकल मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन आंदोलन के मूड में हैं.

पूरे मामले पर बीएसडीपीएमए के सदस्य और स्मार्ट लैबोरेट्रीज कंपनी के मालिक सुरेश पांडे ने बताया कि सरकार ने लॉकडाउन के दौरान वापस लौटे प्रवासियों को काम देने की बात कही है. लेकिन, राज्य में औषधि नियंत्रक के रवैये के कारण रोजगार सृजन की संभावनाएं कम हो रही हैं.

बंद होने की कगार पर हैं उद्योग-धंधे
बीएसडीपीएमए के सदस्य और स्मार्ट लैबोरेट्रीज कंपनी के मालिक सुरेश पांडे ने बताया कि राज्य औषधि नियंत्रक की कार्यशैली मैन्युफैक्चरर्स को निराश करने वाली है. उन्होंने बताया कि उनकी कार्यशैली से राज्य के ड्रग एंड फार्मास्यूटिकल से जुड़े उद्योग-धंधे बंद होने की कगार पर आ गए हैं. उन्होंने राज्य औषधि नियंत्रक रविंद्र सिन्हा पर आरोप लगाया कि उद्यमियों को वह एक काम के लिए कई महीने दौड़ाते हैं.

बीएसडीपीएमए के सदस्य सुरेश पांडे ने दी जानकारी

'रोजगार सृजन की दिशा में देना होगा ध्यान'
सुरेश पांडे ने कहा कि सरकार कह रही है कि राज्य की बेरोजगारी दूर करने के लिए रोजगार सृजन करें. सरकार की बातों में आकर उद्यमी अपने मेहनत के पैसे से उद्योग लगाते हैं. लेकिन, बिना लाइसेंस और बिना केमिस्ट के उद्योग कैसे चलेगा. उन्होंने बताया कि राज्य के विभिन्न फार्मास्यूटिकल इंस्टीट्यूट से वह लड़कों को लाकर 3 साल तक केमिस्ट की ट्रेनिंग देते हैं मगर ट्रेनिंग के बाद भी राज्य औषधि नियंत्रक केमिस्ट को अप्रूवल नहीं देते हैं.

सरकार से कार्रवाई की मांग
बीएसडीपीएमए के सदस्य सुरेश पांडे ने बताया कि एसोसिएशन की तरफ से स्वास्थ्य मंत्री और राज्य के प्रधान सचिव से भी मिला गया. उनसे राज्य औषधि नियंत्रक पर जांच की मांग की गई. लेकिन, जांच का जिम्मा भी राज्य औषधि नियंत्रक को ही दे दिया गया. ऐसे में कैसे कार्रवाई संभव है. उन्होंने कहा कि राज्य में उद्योग करने का माहौल नहीं है. सुरेश पांडे ने बताया कि राज्य औषधि नियंत्रक का उद्यमियों के प्रति प्रतिकूल व्यवहार नहीं है. नतीजतन आज राज्य में मात्र 2 कंपनियां ही हैं जिसने एन 95 मास्क बनाना शुरू किया हैं.

राज्य औषधि नियंत्रक से इस्तीफे की मांग
बिहार राज्य ड्रग एवं फार्मास्यूटिकल मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन की ओर से सुरेश पांडे ने मांग रखी है कि राज्य औषधि नियंत्रक अपनी कार्यशैली बदलें या फिर वह अपना पद छोड़ें. उन्होंने कहा कि राज्य औषधि नियंत्रक के प्रतिकूल रवैया को लेकर एसोसिएशन की 4 जुलाई को बैठक है. इस बैठक में आगे आंदोलन को लेकर रूपरेखा तय की जाएगी. बता दें कि राज्य औषधि नियंत्रक रविंद्र सिन्हा पिछले 2.5 वर्षों से राज्य औषधि नियंत्रक के पद पर पदभार में हैं.

पटना: बिहार राज्य ड्रग एवं फार्मास्युटिकल्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (बीएसडीपीएमए) इन दिनों राज्य औषधि नियंत्रक रविंद्र सिन्हा के रवैया से काफी नाराज चल रहे हैं. राज्य औषधि नियंत्रक के रवैया को लेकर एसोसिएशन पिछले कुछ दिनों से लगातार स्वास्थ्य विभाग को पत्र लिख रहा है. लेकिन, विभाग की ओर से अब तक कोई सकारात्मक पहल नहीं हो सकी है. इस बात को लेकर अब ड्रग एवं फार्मास्यूटिकल मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन आंदोलन के मूड में हैं.

पूरे मामले पर बीएसडीपीएमए के सदस्य और स्मार्ट लैबोरेट्रीज कंपनी के मालिक सुरेश पांडे ने बताया कि सरकार ने लॉकडाउन के दौरान वापस लौटे प्रवासियों को काम देने की बात कही है. लेकिन, राज्य में औषधि नियंत्रक के रवैये के कारण रोजगार सृजन की संभावनाएं कम हो रही हैं.

बंद होने की कगार पर हैं उद्योग-धंधे
बीएसडीपीएमए के सदस्य और स्मार्ट लैबोरेट्रीज कंपनी के मालिक सुरेश पांडे ने बताया कि राज्य औषधि नियंत्रक की कार्यशैली मैन्युफैक्चरर्स को निराश करने वाली है. उन्होंने बताया कि उनकी कार्यशैली से राज्य के ड्रग एंड फार्मास्यूटिकल से जुड़े उद्योग-धंधे बंद होने की कगार पर आ गए हैं. उन्होंने राज्य औषधि नियंत्रक रविंद्र सिन्हा पर आरोप लगाया कि उद्यमियों को वह एक काम के लिए कई महीने दौड़ाते हैं.

बीएसडीपीएमए के सदस्य सुरेश पांडे ने दी जानकारी

'रोजगार सृजन की दिशा में देना होगा ध्यान'
सुरेश पांडे ने कहा कि सरकार कह रही है कि राज्य की बेरोजगारी दूर करने के लिए रोजगार सृजन करें. सरकार की बातों में आकर उद्यमी अपने मेहनत के पैसे से उद्योग लगाते हैं. लेकिन, बिना लाइसेंस और बिना केमिस्ट के उद्योग कैसे चलेगा. उन्होंने बताया कि राज्य के विभिन्न फार्मास्यूटिकल इंस्टीट्यूट से वह लड़कों को लाकर 3 साल तक केमिस्ट की ट्रेनिंग देते हैं मगर ट्रेनिंग के बाद भी राज्य औषधि नियंत्रक केमिस्ट को अप्रूवल नहीं देते हैं.

सरकार से कार्रवाई की मांग
बीएसडीपीएमए के सदस्य सुरेश पांडे ने बताया कि एसोसिएशन की तरफ से स्वास्थ्य मंत्री और राज्य के प्रधान सचिव से भी मिला गया. उनसे राज्य औषधि नियंत्रक पर जांच की मांग की गई. लेकिन, जांच का जिम्मा भी राज्य औषधि नियंत्रक को ही दे दिया गया. ऐसे में कैसे कार्रवाई संभव है. उन्होंने कहा कि राज्य में उद्योग करने का माहौल नहीं है. सुरेश पांडे ने बताया कि राज्य औषधि नियंत्रक का उद्यमियों के प्रति प्रतिकूल व्यवहार नहीं है. नतीजतन आज राज्य में मात्र 2 कंपनियां ही हैं जिसने एन 95 मास्क बनाना शुरू किया हैं.

राज्य औषधि नियंत्रक से इस्तीफे की मांग
बिहार राज्य ड्रग एवं फार्मास्यूटिकल मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन की ओर से सुरेश पांडे ने मांग रखी है कि राज्य औषधि नियंत्रक अपनी कार्यशैली बदलें या फिर वह अपना पद छोड़ें. उन्होंने कहा कि राज्य औषधि नियंत्रक के प्रतिकूल रवैया को लेकर एसोसिएशन की 4 जुलाई को बैठक है. इस बैठक में आगे आंदोलन को लेकर रूपरेखा तय की जाएगी. बता दें कि राज्य औषधि नियंत्रक रविंद्र सिन्हा पिछले 2.5 वर्षों से राज्य औषधि नियंत्रक के पद पर पदभार में हैं.

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