पटना : लॉकडाउन के तीसरे चरण में बिहार सरकार ने निर्णय लिया है कि बिहार के अंदर जितने भी प्राइवेट क्लीनिक और ओपीडी सेवा है, उसे सेवा शर्त पर चालू किया जाए. पद्मश्री डॉ. गोपाल प्रसाद सिन्हा का कहना है कि सरकार के साथ डॉक्टरों और आम जनता को यह पता हो गया है कि कोरोना महामारी इतनी जल्दी खत्म होने वाला नहीं है. जिसके तहत बिहार सरकार और डॉक्टरों ने निर्णय लिया कि ओपीडी सेवा और प्राइवेट क्लीनिक को सुचारू रूप से चलाया जाए. जिस वजह से बिहार सरकार ने लॉकडाउन के तहत धीरे-धीरे रियायतें भी देना शुरू कर दिया है.
बहुत कम पेसेंट पहुंच रहे हैं क्लीनिक
डॉ. गोपाल प्रसाद सिन्हा की मानें तो बीते 2 दिनों से सरकार के निर्देश का पालन करते हुए राजधानी पटना के वरिष्ठ डॉक्टरों के निजी क्लीनिक और ओपीडी सेवा प्रारंभ हो गई है. उन्होंने कहा कि हमारे पास ज्यादातर दूसरे जिले और राज्य से मरीज अपना इलाज कराने पहुंचते हैं. लॉकडाउन के दौरान सरकार ने रिक्शा, ऑटो, टेंपो और बस जैसे यातायात साधनों को बाधित कर रखा है. जिस वजह से बहुत कम पेसेंट अपना इलाज कराने पटना पहुंच पा रहे हैं. सरकार ने अंतर्राज्यीय और अंतर जिला पास का प्रावधान कर रखा है. जिस वजह से आम मरीजों को क्लीनिक तक पहुंचने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.
डॉक्टरों को निभाना चाहिए अपना कर्तव्य
डॉ. गोपाल प्रसाद सिन्हा ने कहा कि मंगलवार को उनके पास खुद आरा और बिहिया के मरीज अति आवश्यक होने पर 4 से 5 हजार का किराया देकर टैक्सी बुक कर के दिखाने पहुंचे थे. पहले की अपेक्षा बहुत कम पेसेंट क्लीनिक तक पहुंच पा रहे हैं. वहीं उन्होंने सभी वरिष्ठ और कनीय डॉक्टर से अपील की है कि करोना महामारी से इतनी जल्दी निजात मिलने वाला नहीं है. इसलिए सभी डॉक्टरों से अपील है कि आम मरीजों की देखभाल हेतु हम डॉक्टरों को अपना कर्तव्य निभाना चाहिए. परंतु अपने स्वास्थ्य को देखते हुए डॉक्टर गण खुद स्वतंत्र हैं कि वह अपना क्लीनिक या ओपीडी सेवा कैसे चालू करें.