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पटना के इस मकान में आज भी बाबा साहब की छुई हुई चीजें हैं सुरक्षित, 1951 में 2 दिन के प्रवास पर आए थे

डॉ भीमराव अंबेडकर की आज 68 वीं पुण्यतिथि है. नेहरू मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने के बाद प्रथम आम चुनाव से पहले बाबा साहब दलित, पिछड़ा और अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों को एकजुट करने के लिए 6 नवंबर 1951 को पटना आए थे. क्या आप जानते हैं बाबा साहब अंबेडकर जब पटना आये तब कहां रुके थे. हम आपको मिलवाते हैं उस परिवार से जिनके मेहमान बने थे डॉक्टर भीम राव अंबेडकर. पढ़ें, विस्तार से.

चंदा पुरी आवास
चंदा पुरी आवास
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Dec 6, 2023, 4:55 PM IST

Updated : Dec 6, 2023, 5:23 PM IST

पटना के इसी मकान में रुके थे बाबा साहब.

पटना: डॉक्टर भीम राव अंबेडकर की आज पुण्यतिथि है. कृतज्ञ राष्ट्र उनको श्रद्धांजलि दे रहा है. इस मौके पर पटना का चंदापुर परिवार उनके विशेष रूप से याद कर रहा है. वजह है कि बाबा साहब 1951 में जब पटना आये थे तब उनके घर पर दो दिन तक रुके थे. पटना के उत्तरी मंदिरी इलाके में त्यागमूर्ति आर एल चंदापुरी के आवास पर बाबा साहब आये थे. यह परिवार आज भी उनके छुए हर एक चीज को संजो कर रखा है.

दो दिन के प्रवास पर आए थे पटनाः परिजनों की मानें तो उस आंगन के भाग में आज तक निर्माण नहीं कराया गया है. बाबा साहब आंगन के कुएं से पानी निकालकर स्नान करते थे. ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए त्यागमूर्ति आर एल चंदापुरी के पुत्र इंद्र कुमार सिंह चंदापुरी ने कहा कि अपने पिताजी और बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की यादों को संजो कर आज भी सुरक्षित रखे हुए हैं. इंद्र कुमार सिंह चंदापुरी ने बताया कि 6 नवंबर 1951 को प्रथम आम चुनाव से पहले बाबा साहब दलित, पिछड़ा और अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों को एकजुट करने के लिए पटना आए थे.

इसी आवास में रुके था डॉक्टर अंबेडकर.
इसी आवास में रुके था डॉक्टर अंबेडकर.

"दो दिन तक हमारे यहां रुके थे. जिस टाइपराइटर से उन्होंने अपने भाषण को टाइप किया आज भी सुरक्षित है. 1951 की चीज आज सुरक्षित है. इस घर के खुले आंगन में वही टॉयलेट की पुरानी सीट. वही पुराने जमाने का बाथरूम और आंगन में कुआ है. कुएं में सांप बिच्छू आ रहे थे इसलिए उसको ढकवा दिया गया. जिस बेड पर भीमराव अंबेडकर सोए थे, वह आज भी सुरक्षित रखा गया है."- इंद्र कुमार सिंह चंदापुरी

बाबा साहब अंबेडकर द्वारा उपयोग में लायी गयी वस्तु.
बाबा साहब अंबेडकर द्वारा उपयोग में लायी गयी वस्तु.

बाबा साहब से जुड़ी यादों को सुरक्षित रखने की मांग : चंदापुरी के बाद उनके वारिस इंद्र कुमार सिंह चंदापुरी पिता के रास्ते पर आगे बढ़ रहे हैं. बाबा साहब और अपने पिता की याद में पूरे घर को शोध संस्थान बना रखे है. उनके मन में एक डर है कि उनके नहीं रहने के बाद इसे कौन आगे बढ़ाएगा. इसलिए सरकार से मांग रखी है कि बिहार सरकार बाबा साहब की याद से जुड़ी शोध संस्थान के लिए जगह दे जिससे कि इन सामानों को सुरक्षित रखा जा सके. भविष्य में आने वाली पीढ़ियां भी इसके बारे में जान और समझ सके. उन्होंने कहा कि आज भी देश और विदेश के कई लोग आते हैं. बाबा साहब के द्वारा यूज किए गए लोटा, केतली, टाइप राइट मशीन को देखकर खुश होते हैं.

सरकार को चिंता नहींः इंद्र कुमार सिंह चंदापुरी ने बताया कि उनके आवास पर कभी लालू यादव, रामविलास पासवान, नीतीश कुमार समेत कई दिग्गज नेता आए हुए हैं. बाबा साहब की यादों को संजो के रखने का जो प्रयास हमने किया है सरकार को पहल करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि यह बहुत ही सौभाग्य की बात है कि भीमराव अंबेडकर को देश दुनिया जान रही है, लेकिन अंबेडकर के पटना प्रवास में जिस घर में भीम राव अंबेडकर रुके थे उस घर में उनकी दुर्लभ तस्वीरें, समाचार पत्रों में छपी उनके भाषणों के संदेश तथा उनके द्वारा इस्तेमाल की गई वस्तुओं को लेकर सरकार को चिंता नहीं है.

इसे भी पढ़ेंः भारत ने ब्रिटेन में अंबेडकर स्मारक खोले रखने की अपील जीती

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इसे भी पढ़ेंः Ambedkar Jayanti: 'बाबा साहब के बताए रास्ते पर चलकर करूंगा जिले का चौमुखी विकास'- डीएम अंशुल अग्रवाल

पटना के इसी मकान में रुके थे बाबा साहब.

पटना: डॉक्टर भीम राव अंबेडकर की आज पुण्यतिथि है. कृतज्ञ राष्ट्र उनको श्रद्धांजलि दे रहा है. इस मौके पर पटना का चंदापुर परिवार उनके विशेष रूप से याद कर रहा है. वजह है कि बाबा साहब 1951 में जब पटना आये थे तब उनके घर पर दो दिन तक रुके थे. पटना के उत्तरी मंदिरी इलाके में त्यागमूर्ति आर एल चंदापुरी के आवास पर बाबा साहब आये थे. यह परिवार आज भी उनके छुए हर एक चीज को संजो कर रखा है.

दो दिन के प्रवास पर आए थे पटनाः परिजनों की मानें तो उस आंगन के भाग में आज तक निर्माण नहीं कराया गया है. बाबा साहब आंगन के कुएं से पानी निकालकर स्नान करते थे. ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए त्यागमूर्ति आर एल चंदापुरी के पुत्र इंद्र कुमार सिंह चंदापुरी ने कहा कि अपने पिताजी और बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की यादों को संजो कर आज भी सुरक्षित रखे हुए हैं. इंद्र कुमार सिंह चंदापुरी ने बताया कि 6 नवंबर 1951 को प्रथम आम चुनाव से पहले बाबा साहब दलित, पिछड़ा और अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों को एकजुट करने के लिए पटना आए थे.

इसी आवास में रुके था डॉक्टर अंबेडकर.
इसी आवास में रुके था डॉक्टर अंबेडकर.

"दो दिन तक हमारे यहां रुके थे. जिस टाइपराइटर से उन्होंने अपने भाषण को टाइप किया आज भी सुरक्षित है. 1951 की चीज आज सुरक्षित है. इस घर के खुले आंगन में वही टॉयलेट की पुरानी सीट. वही पुराने जमाने का बाथरूम और आंगन में कुआ है. कुएं में सांप बिच्छू आ रहे थे इसलिए उसको ढकवा दिया गया. जिस बेड पर भीमराव अंबेडकर सोए थे, वह आज भी सुरक्षित रखा गया है."- इंद्र कुमार सिंह चंदापुरी

बाबा साहब अंबेडकर द्वारा उपयोग में लायी गयी वस्तु.
बाबा साहब अंबेडकर द्वारा उपयोग में लायी गयी वस्तु.

बाबा साहब से जुड़ी यादों को सुरक्षित रखने की मांग : चंदापुरी के बाद उनके वारिस इंद्र कुमार सिंह चंदापुरी पिता के रास्ते पर आगे बढ़ रहे हैं. बाबा साहब और अपने पिता की याद में पूरे घर को शोध संस्थान बना रखे है. उनके मन में एक डर है कि उनके नहीं रहने के बाद इसे कौन आगे बढ़ाएगा. इसलिए सरकार से मांग रखी है कि बिहार सरकार बाबा साहब की याद से जुड़ी शोध संस्थान के लिए जगह दे जिससे कि इन सामानों को सुरक्षित रखा जा सके. भविष्य में आने वाली पीढ़ियां भी इसके बारे में जान और समझ सके. उन्होंने कहा कि आज भी देश और विदेश के कई लोग आते हैं. बाबा साहब के द्वारा यूज किए गए लोटा, केतली, टाइप राइट मशीन को देखकर खुश होते हैं.

सरकार को चिंता नहींः इंद्र कुमार सिंह चंदापुरी ने बताया कि उनके आवास पर कभी लालू यादव, रामविलास पासवान, नीतीश कुमार समेत कई दिग्गज नेता आए हुए हैं. बाबा साहब की यादों को संजो के रखने का जो प्रयास हमने किया है सरकार को पहल करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि यह बहुत ही सौभाग्य की बात है कि भीमराव अंबेडकर को देश दुनिया जान रही है, लेकिन अंबेडकर के पटना प्रवास में जिस घर में भीम राव अंबेडकर रुके थे उस घर में उनकी दुर्लभ तस्वीरें, समाचार पत्रों में छपी उनके भाषणों के संदेश तथा उनके द्वारा इस्तेमाल की गई वस्तुओं को लेकर सरकार को चिंता नहीं है.

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Last Updated : Dec 6, 2023, 5:23 PM IST
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