पटना: 15 अक्टूबर से शारदीय नवरात्र की शुरुआत हुई है, जो 24 अक्टूबर तक चलेगी. दुर्गा पूजा के 9 दिवसीय अनुष्ठान का आज सबसे खास दिन है. आज शनिवार सप्तमी तिथि में मां दुर्गा के प्रतिमाओं के पट खुल गए हैं.
पटना में मां दुर्गा की प्रतिमाओं के खुले पट: पटना के डाक बंगला चौराहा सहित बोरिंग रोड चौराहा के साथ कई प्रतिमाओं के पट खोल दिया गया है. डाक बंगला चौराहे पर आचार्य और ब्राह्मणों के मंत्र उच्चारण के साथ ढोल नगाड़े के बीच माता रानी का पट खोला गया. पट खोलने के साथ ही भक्तों ने माता रानी का जयकारा लगाकर स्वागत किया.
भक्तिमय हुआ माहौल: पट खुलने से शहर भक्तिमय हो गया है. दुर्गा सप्तशती का पाठ से लेकर मईया के भजन चारों ओर गूंज रहे हैं. इसके साथ ही शहर में स्थापित मंदिरों में भी श्रद्धालुओं की भीड़ लगने लगी है. राजधानी मेला में तब्दील हो गया है. कई जगहों पर पूजा पंडाल को आकर्षक लाइट से सजाया गया है और पूरा इलाको को भी लाइटों से सजा दिया गया है.
अखरोट के छिलके का पंडाल: बता दें कि डाक बंगला चौराहे पर राजस्थान के सरस्वती मंदिर के तर्ज पर पंडाल बनाया गया है, जो आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. पंडाल में अखरोट के छिलके से डिजाइन तैयार किया गया है. जिसे लोग देख रहे हैं और काफी पसंद कर रहे हैं.
वृंदावन का प्रेम मंदिर स्थापित: वहीं बोरिंग रोड चौराहे पर भी मां की प्रतिमा का पट खोलने के साथ ही भक्त पहुंचकर पूजा अर्चना करने में जुट गए हैं. बोरिंग रोड चौराहा पर माता रानी वृंदावन का प्रेम मंदिर स्थापित है, जो भक्त वृंदावन का प्रेम मंदिर नहीं गए हैं, उनको नवरात्रि के इस मौके पर पटना में ही वृंदावन मंदिर के दर्शन हो रहे हैं. यहां बड़ा विशाल माता रानी का प्रतिमान बनाया गया है, जिसे लोग अपने मोबाइल में कैद भी कर रहे हैं.
डाकबंगला चौराहे पर श्रद्धालुओं के भीड़ : डाक बंगला चौराहा पूजा समिति के सदस्य ने कहा कि "हर साल अलग थीम पर पूजा पंडाल तैयार करवाया जाता है. पट खोलने के साथ ही लोग भक्ति भाव में जुट गए हैं. आज शाम से ही डाकबंगला चौराहे पर श्रद्धालुओं के भीड़ पहुंचेगी .इसके लिए पूजा समिति के तरफ से तमाम व्यवस्था कर लिया गया है."
महिला भक्त ने कही ये बात: वहीं एक महिला भक्त ने बताया कि दुर्गा पूजा पर जो भी भक्त सच्चे मन से डाक बंगला चौराहे पर स्थापित माता रानी से मनोकामना करते हैं, उनकी मनोकामना पूर्ण माता रानी करती हैं. माता रानी का प्रतिमा यहां पर हर साल स्थापित की जाती है. यहां की माता सिद्ध पीठ में शामिल हो गई हैं, इसलिए भक्तों की मनोकामना भी पूर्ण होती है.