पटना: लॉकडाउन के दौरान पूरा देश लगभग एक साथ ठप हो गया था. इस दौरान बिहार राज्य महिला आयोग ने ऑनलाइन और डाक के माध्यम से शिकायत दर्ज कराने की व्यवस्था की थी. जानकारी के अनुसार बंदी के दौरान लगभग 800 शिकायतें आई. आयोग ने इनमें से कुछ अहम शिकायतों पर संज्ञान भी लिया. लेकिन अधिकतर मामले अभी भी पेंडिंग में ही हैं.
'सबसे अधिक घरेलू हिंसा का मामला'
राज्य महिला आयोग में आए मामले में सबसे अधिक मामले घरेलू हिंसा से जुड़ा हुआ है. इन शिकायतों की निपटारें के लिए महिला आयोग ने केस की लिस्टिंग शुरू कर दी है. प्राथमिकता के आधार पर जिलावार कैंप लगाकर घरेलू हिंसा से जुड़े मामले को सुलझाया जाएगा.
शिकायतों की संख्या में वृद्धि
इसको लेकर राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष दिलमणि मिश्रा बताती है कि लॉक डाउन की वजह से आयोग कई शिकायतों पर संज्ञान नहीं ले पाई थी. आयोग में अभी तक 700 से 800 केस पेंडिंग है. शिकायतों का निपटारा करने के लिए आयोग केस से संबंधित फाइल की लिस्टिंग जिलावार करवा रही है. जल्द राज्य महिला आयोग हर जिले में जाकर केस की सुनवाई करेगी.
महिलाओं के लिए आयोग तत्पर
दिलमणि मिश्रा ने बताया कि पहले केस आयोग में केस दर्ज कराने वाली महिलाओं को आयोग के समक्ष उपस्थित होना पड़ता था. आयोग संबंधित दोनों पक्षों को नोटिस जारी करती थी. लेकिन लॉकडाउन और कोरोना खतरा को देखते हुए आयोग ने फैसला लिया है कि संबंधित केस के जिले में जाकर ही सुनवाई की जाए.
डर के साए में जिंदगी
गौरतलब है कि लॉकडाउन के दौरान कई जिले में घरेलू हिंसा की सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए गए. महिला आयोग में भी सबसे ज्यादा मामले घरेलू हिंसा को लेकर ही दर्ज ही. बंदी के दौरान लगभग 800 मामले ऑनलाइन और डाक के माध्यम से पीड़ित महिलाओं ने दर्ज करवाई है. मनोचिकित्सक के अनुसार लॉकडाउन के दौरान घरों में लगातार बंद रहने से कई लोग मानसिक रूप से काफी परेशान हुए. वहीं, कई लोग आर्थिक हालात को लेकर परेशानी हो रही है को लेकर भी छोटी-मोटी बातों पर भी गुस्सा कर रहे हैं. जिस वजह से बंदी के दौरान घरेलू हिंसा ना केवल बिहार में बल्कि पूरे देश में बढ़ी है.