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इंसेफेलाइटिस से बचना है तो AIIMS के शिशु रोग विशेषज्ञ की मानें यह बातें - dr. vinay kumar

डॉ. विनय कुमार ने बताया कि हाल के दिनों मे हुए शोध में बताया गया कि हाईपोग्लोसीन ए और एमसीपीडब्लयू बच्चों में ग्लूकोज की मात्रा घटाती है. ऐसे में बच्चों को रात में सोने से पहले पानी जरूर पिलाएं.

डॉक्टर विनय कुमार, शिशु रोग विशेषज्ञ
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Published : Jun 18, 2019, 1:13 PM IST

पटना: सूबे में इन दिनों इंसेफेलाइटिस का कहर मौत का कहर बनता जा रहा है. इससे अबतक 148 बच्चों की मौत हो चुकी है. मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बीमार बच्चों को देखने पहुंचे. इस दौरान उन्हें स्थानीय लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा.

वहीं, पीएमसीएच में विजिट करने आये पटना एम्स के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. विनय कुमार ने इस बीमारी से सचेत रहने और बचाव के लिए ईटीवी भारत से खास बातचीत की. उन्होंने लोगों से इस मौसम में अपने बच्चों को बीमार होने से बचाने के लिए खास सावधानियां बरतने को कहा. उन्होंने कहा की प्री-मॉनसून और पोस्ट मॉनसून में बच्चों पर खास ध्यान देना चाहिए. क्योंकि इन मौसम में इंसेफेलाइटिस का खतरा बढ़ जाता है. इंसेफेलाइटिस भी कई तरह के होते हैं. यह बैक्टीरिया, वायरस, फंगल आदि के संक्रमण से फैलता है. इनके नाम भी अलग-अलग हैं. मच्छर के काटने से जापानी इंसेफेलाइटिस, पानी और प्रदूषित वातावरण के साथ लिची के अंदर मौजूद बैक्टीरिया से भी इंसेफेलाइटिस होता है. इसमें बच्चों के शरीर के अंदर ग्लूकोज की मात्रा घट जाती है. जिसका लक्षण बुखार से शुरू होता है. उसके बाद बेहोशी आती है और फिर बच्चे कोमा में चले जाते हैं. साथ ही ज्यादा देर हो तो मौत भी हो जाती है.

इंसेफेलाइटिस से बचाव की जानकारी देते एम्स के डॉक्टर, विनय कुमार

बचाव के उपाय:

  • रात में बच्चों को खाली पेट कभी भी नहीं सोने दें.
  • रात में सोते वक्त मच्छरदानी जरूर लगाएं.
  • खाली पेट बच्चों को लिची नहीं खाने दें.
  • पानी जरूरत के हिसाब से पिलाते रहें.
  • ग्लूकोज और ओआरएस का घोल समय-समय पर पिलाएं.
  • बुखार आने पर तुरंत डॉक्टर से मिलें.
  • बुखार आने पर इसे गंभीरता से लें.
  • मौसम के हिसाब से सतर्क रहें.

पटना: सूबे में इन दिनों इंसेफेलाइटिस का कहर मौत का कहर बनता जा रहा है. इससे अबतक 148 बच्चों की मौत हो चुकी है. मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बीमार बच्चों को देखने पहुंचे. इस दौरान उन्हें स्थानीय लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा.

वहीं, पीएमसीएच में विजिट करने आये पटना एम्स के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. विनय कुमार ने इस बीमारी से सचेत रहने और बचाव के लिए ईटीवी भारत से खास बातचीत की. उन्होंने लोगों से इस मौसम में अपने बच्चों को बीमार होने से बचाने के लिए खास सावधानियां बरतने को कहा. उन्होंने कहा की प्री-मॉनसून और पोस्ट मॉनसून में बच्चों पर खास ध्यान देना चाहिए. क्योंकि इन मौसम में इंसेफेलाइटिस का खतरा बढ़ जाता है. इंसेफेलाइटिस भी कई तरह के होते हैं. यह बैक्टीरिया, वायरस, फंगल आदि के संक्रमण से फैलता है. इनके नाम भी अलग-अलग हैं. मच्छर के काटने से जापानी इंसेफेलाइटिस, पानी और प्रदूषित वातावरण के साथ लिची के अंदर मौजूद बैक्टीरिया से भी इंसेफेलाइटिस होता है. इसमें बच्चों के शरीर के अंदर ग्लूकोज की मात्रा घट जाती है. जिसका लक्षण बुखार से शुरू होता है. उसके बाद बेहोशी आती है और फिर बच्चे कोमा में चले जाते हैं. साथ ही ज्यादा देर हो तो मौत भी हो जाती है.

इंसेफेलाइटिस से बचाव की जानकारी देते एम्स के डॉक्टर, विनय कुमार

बचाव के उपाय:

  • रात में बच्चों को खाली पेट कभी भी नहीं सोने दें.
  • रात में सोते वक्त मच्छरदानी जरूर लगाएं.
  • खाली पेट बच्चों को लिची नहीं खाने दें.
  • पानी जरूरत के हिसाब से पिलाते रहें.
  • ग्लूकोज और ओआरएस का घोल समय-समय पर पिलाएं.
  • बुखार आने पर तुरंत डॉक्टर से मिलें.
  • बुखार आने पर इसे गंभीरता से लें.
  • मौसम के हिसाब से सतर्क रहें.
Intro:बिहार में इन दिनों इंसेफेलाइटिस का कहर मौत का कहर बनता जा रहा है,
पीएमसीएच मे विजिट करने आये पटना एम्स के शिशु रोग विशेषज्ञ ने इस बिमारी से सचेत और बचाव पर ईटीवी भारत पर क्या कुछ कहा आइये देखते है


Body:पटना एम्स के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ विनय कुमार ने कहा की प्रि मॉनसून और पोस्ट मॉनसून में बच्चों पर खास सावधानियां बरतने चाहिए, क्योकि इन मौसम मे इंसेफेलाइटिस का खतरा बढ जाता है,इंसेफेलाइटिस भी कई तरह के होते है,बैक्टीरिया, वायरस,फंगल आदी के संक्रमित से होते है,जिनके नाम भी अलग अलग है,मच्छर के काटने से जापानी इंसेफेलाइटिस, पानी एवं प्रदुषित वातावरण एवं लिची के अंदर मौजूद बैक्टीरिया से भी इंसेफेलाइटिस होता है जो AES होता है,जिसमे बच्चे के शरीर के अंदर ग्लूकोज की मात्रा घट जाती है,जिसका लक्षण बुखार से शुरू होता है,उसके बाद बेहोशी आता है और फिर कोमा में चला जाता है और मौत हो जाती है
हाल के दिनों मे हुए शोध मे बताया गया है कि हाईपोग्लोसीन ए,और एमसीपीडब्लयू बच्चो मे ग्लूकोज की मात्रा घटाती है ऐसे मे रात मे सोने से पहले पानी जरूर पिलावें


Conclusion:बचाव एवं उपाय:--
रात मे खाली पेट कभी नहीं सोने दे
रात मे सोने वक्त मच्छर दानी जरूर लगाये
खाली पेट बच्चो को लिची नहीं खाने दे
पानी जरूरत के हिसाब से पिलाते रहे
ग्लूकोज एवं ओआरएस का घोल पिलाये
बुखार आने पर अविलंब डॉक्टर से मिले
बुखार आने पर उसे हल्के मे न ले
अभी मॉनसून के हिसाब से सतर्क रहे


बाईट-डॉ विनय कुमार
शिशु रोग विशेषज्ञ
एम्स,पटना
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