पटना: बिहार (Bihar) में वायरल फीवर (Viral Fever) इन दिनों काफी फैला हुआ है. वायरल फीवर से प्रदेश में कई बच्चों की जान भी चली गई है. इस बीमारी में कई बच्चों में मल्टी सिस्टमैटिक इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम, निमोनिया, डेंगू, टाइफाइड, इनफ्लुएंजा और चमकी जैसी बीमारियों के काफी शिकायत मिल रही है. ऐसे में डॉक्टर की सलाह है कि गंभीर स्थिति में जो भी वायरल फीवर वाले बच्चे अस्पताल (Hospital) पहुंच रहे हैं उनका अन्य जरूरी जांच के साथ-साथ कोरोना का एंटीजन और एंटीबॉडी टेस्ट कराया जाए.
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पटना के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ दिवाकर तेजस्वी ने कहा कि काफी बच्चों में कोरोना हुआ और बिना पता चले ही कोरोना ठीक भी हो गया. वहीं कुछ बच्चों में पोस्ट कोरोना कॉम्प्लिकेशन के मामले भी सामने आए हैं. बीते दिनों कुछ बच्चों की मौतें भी मल्टीसिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम की बीमारी से हुई है, जो कि पोस्ट कोरोना साइड इफेक्ट है.
डॉ ने कहा कि बच्चों पर वैक्सीनेशन के ट्रायल के दौरान भी यह पता चला कि काफी बच्चे सिरोपोजिटिव मिले यानी कि उनमें एंटीबॉडी पाई गई है, जबकि उनका कोई हिस्ट्री नहीं रहा. उन्होंने कहा कि ऐसे में इन सब कंडीशन को देखते हुए जरूरी है कि जो भी वायरल फीवर के बच्चे गंभीर हालत में अस्पताल में पहुंचते हैं. उनका सभी जरूरी जांच कर यह पता लगाया जाए कि आखिर किस बीमारी का यह फीवर है.
डॉ दिवाकर तेजस्वी ने बताया कि इन सब जांच में सबसे जरूरी कोरोना का एंटीबॉडी और एंटीजन जांच को शामिल किया जाय. उन्होंने कहा कि एंटीजन टेस्ट होने से यह पता चल पायेगा की उस वक्त बच्चे को कोरोना है या नहीं और एंटीबॉडी इसलिये की यह पचा चले कि कहीं यह पोस्ट कोविड-19 इफेक्ट तो नहीं है.
पीएमसीएच के चाइल्ड ओपीडी में अपने दो साल के बच्चे को दिखाने पहुंचे पवन तिवारी ने कहा कि उनके बच्चे को विगत एक सप्ताह से बुखार हो रहा है. बच्चे के परिजन ने कहा कि पैरासिटामोल देने के बाद बुखार कम हो जा रहा है लेकिन कुछ देर बाद फिर से काफी तेज बुखार चढ़ जा रहा है.
बच्चे के परिजन ने कहा कि बच्चे को बुखार के साथ-साथ सर्दी और खांसी की भी शिकायत है. अभी बच्चे को अस्पताल में दिखाये हैं. डॉक्टर ने कुछ जांच प्रिसक्राइब किए हैं. जिसका अभी जांच कराना है. बताते चलें कि पीएमसीएच के ओपीडी में दिखाने के लिये प्रतिदिन ओपीडी की 1500 के करीब पर्चियां कटती है. ऐसे में शुक्रवार के दिन शिशु विभाग में वायरल फीवर की शिकायत को लेकर 164 पर्चियां कटी. जिसमें शिशु विभाग का ओपीडी और इमरजेंसी दोनों शामिल हैं.
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