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यहां पढ़ें कब करें मां लक्ष्मी और गणेश की पूजा, क्या चाहिए पूजा सामग्री

मान्यता है कि आज की रात मां लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और अपने भक्तों के घर जाती हैं. यही वजह की लोग अपने घरों की साफ-सफाई कर इस रात माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं. जिससे पूरे साल सौभाग्य की प्राप्ति होती है और घर में हमेशा बरकत रहती है.

ननन
नन
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Published : Nov 14, 2020, 8:37 AM IST

पटनाः पूरे देश में दिवाली आज धूमधाम से मनाई जा रही है. बिहार में भी रोशनी के इस पर्व को लेकर लोगों में काफी उत्साह है. चारों तरफ दिवाली की रौनक देखने को मिल रही है. मंदिरों और घरों को दीयों से सजाया गया है और लक्ष्मी पूजा की तैयारी की जा रही है.

दिवाली दुनिया भर के कई देशों में मनाई जाती है, जो रोशनी का एक भारतीय त्यौहार है. दिवाली की रात को धन और वैभव की देवी लक्ष्मी माता और रिद्धि सिद्धि के स्वामी गणेश जी की पूजा की जाती है. दिवाली से पहले पूरे घर की साफ-सफाई की जाती है. उसके बाद दिवाली के दिन शुभ मुहूर्त में पूजा करके पूरे घर को दीपों से सजाया जाता है.

14 साल बाद अयोध्या लौटे थे भगवान राम
पुराणों के अनुसार दिवाली के दिन ही भगवान राम 14 साल के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे. भगवान राम के वापस आने की खुशी में अयोध्या के लोगों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था. उसी समय से दिवाली का त्योहार बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है.

  1. इस बार दिवाली का शुभ पूजन मुहूर्त शाम 5 बजकर 28 मिनट से शाम 7 बजकर 24 मिनट तक है.
  2. लक्ष्मी पूजा मुहूर्त: 14 नवंबर की शाम 5:28 से शाम 7:30 तक ( वृष, स्थिर लग्न)
  3. प्रदोष काल मुहूर्त: 14 नवंबर की शाम 5:33 से रात्रि 8:12 तक
  4. महानिशीथ काल मुहूर्त ( काली पूजा)
  5. महानिशीथ काल मुहूर्त्त: रात्रि 11:39 से 00:32 तक
  6. सिंह काल मुहूर्त्त: रात्रि 12:15 से 02:19 तक
  7. अमावस्या तिथि प्रारम्भ: 14 नबंवर 2020 दोपहर 2 बजकर 17 मिनट से
  8. अमावस्या तिथि समाप्त: अगले दिन सुबह 10 बजकर 36 मिनट तक (15 नबंवर 2020)

लक्ष्मी माता और गणेश भगवान की होती है पूजा
ऐसी मान्यता है कि इस दिन लक्ष्मी माता और गणेश भगवान की पूजा करने से पूरे साल सौभाग्य की प्राप्ति होती है और घर में हमेशा बरकत रहती है. पूजा के लिए जिन सामग्रियों की आवाश्यकता होती है उसमें दीपक, खील, बताशे, श्रीयंत्र, शंख , घंटी, चंदन, जलपात्र, कलश, लक्ष्मी-गणेश-सरस्वतीजी का चित्र, पंचामृत, गंगाजल, सिन्दूर, नैवेद्य, इत्र, जनेऊ, कमल का पुष्प, वस्त्र, कुमकुम, रोली, मौली, पान, सुपारी, अक्षत, धूप, घी का दीपक, तेल की पुष्पमाला, फल, कर्पूर, नारियल अहम हैं.

इस बार बना है दुर्लभ संयोग
बता दें कि इस बार दिवाली पर महासंयोग बना है. तीन ग्रहों का दुर्लभ संयोग से छोटी-बड़ी दिवाली एक साथ मनाई जा रही है. इससे पहले यह दुर्लभ संयोग 1521 में बना था. सवेरे छोटी दिवाली का पूजन होगा और शाम में श्री लक्ष्मीजी के पूजन के साथ दीप पर्व छोटी और बड़ी दिवाली एक साथ मनाई जाएगी. इस बार धनतेरस के दूसरे ही दिन बड़ी दिवाली मनाई जा रही है.

पटनाः पूरे देश में दिवाली आज धूमधाम से मनाई जा रही है. बिहार में भी रोशनी के इस पर्व को लेकर लोगों में काफी उत्साह है. चारों तरफ दिवाली की रौनक देखने को मिल रही है. मंदिरों और घरों को दीयों से सजाया गया है और लक्ष्मी पूजा की तैयारी की जा रही है.

दिवाली दुनिया भर के कई देशों में मनाई जाती है, जो रोशनी का एक भारतीय त्यौहार है. दिवाली की रात को धन और वैभव की देवी लक्ष्मी माता और रिद्धि सिद्धि के स्वामी गणेश जी की पूजा की जाती है. दिवाली से पहले पूरे घर की साफ-सफाई की जाती है. उसके बाद दिवाली के दिन शुभ मुहूर्त में पूजा करके पूरे घर को दीपों से सजाया जाता है.

14 साल बाद अयोध्या लौटे थे भगवान राम
पुराणों के अनुसार दिवाली के दिन ही भगवान राम 14 साल के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे. भगवान राम के वापस आने की खुशी में अयोध्या के लोगों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था. उसी समय से दिवाली का त्योहार बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है.

  1. इस बार दिवाली का शुभ पूजन मुहूर्त शाम 5 बजकर 28 मिनट से शाम 7 बजकर 24 मिनट तक है.
  2. लक्ष्मी पूजा मुहूर्त: 14 नवंबर की शाम 5:28 से शाम 7:30 तक ( वृष, स्थिर लग्न)
  3. प्रदोष काल मुहूर्त: 14 नवंबर की शाम 5:33 से रात्रि 8:12 तक
  4. महानिशीथ काल मुहूर्त ( काली पूजा)
  5. महानिशीथ काल मुहूर्त्त: रात्रि 11:39 से 00:32 तक
  6. सिंह काल मुहूर्त्त: रात्रि 12:15 से 02:19 तक
  7. अमावस्या तिथि प्रारम्भ: 14 नबंवर 2020 दोपहर 2 बजकर 17 मिनट से
  8. अमावस्या तिथि समाप्त: अगले दिन सुबह 10 बजकर 36 मिनट तक (15 नबंवर 2020)

लक्ष्मी माता और गणेश भगवान की होती है पूजा
ऐसी मान्यता है कि इस दिन लक्ष्मी माता और गणेश भगवान की पूजा करने से पूरे साल सौभाग्य की प्राप्ति होती है और घर में हमेशा बरकत रहती है. पूजा के लिए जिन सामग्रियों की आवाश्यकता होती है उसमें दीपक, खील, बताशे, श्रीयंत्र, शंख , घंटी, चंदन, जलपात्र, कलश, लक्ष्मी-गणेश-सरस्वतीजी का चित्र, पंचामृत, गंगाजल, सिन्दूर, नैवेद्य, इत्र, जनेऊ, कमल का पुष्प, वस्त्र, कुमकुम, रोली, मौली, पान, सुपारी, अक्षत, धूप, घी का दीपक, तेल की पुष्पमाला, फल, कर्पूर, नारियल अहम हैं.

इस बार बना है दुर्लभ संयोग
बता दें कि इस बार दिवाली पर महासंयोग बना है. तीन ग्रहों का दुर्लभ संयोग से छोटी-बड़ी दिवाली एक साथ मनाई जा रही है. इससे पहले यह दुर्लभ संयोग 1521 में बना था. सवेरे छोटी दिवाली का पूजन होगा और शाम में श्री लक्ष्मीजी के पूजन के साथ दीप पर्व छोटी और बड़ी दिवाली एक साथ मनाई जाएगी. इस बार धनतेरस के दूसरे ही दिन बड़ी दिवाली मनाई जा रही है.

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