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चुनावी साल में महागठबंधन में तकरार, क्या RJD से नाराज सहयोगी अपनाएंगे अलग राह?

विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन में अनबन साफ दिख रही है. गठबंधन में शामिल सभी पार्टियां अगल-अलग राग अलाप रही हैं. अब आने वाले समय में पता चलेगा कि महागठबंधन की तस्वीर क्या होगी?

महागठबंधन नेताओं की फोटो
महागठबंधन नेताओं की फोटो
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Published : Jun 21, 2020, 3:47 PM IST

पटना: बिहार में इस साल विधानसभा के चुनाव होने हैं, लेकिन उससे पहले महागठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं लग रहा है. सूबे की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी आरजेडी के खिलाफ अब महागठबंधन के दल खुलकर बोल रहे हैं. कोर्डिनेशन कमेटी बनाने की मांग को लेकर हम प्रमुख जीतनराम मांझी ने साफ अल्टीमेटम दे दिया है.

वहीं, आरएलएसपी अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार मानने से ही इनकार कर दिया है. उधर, वीआईपी चीफ मुकेश सहनी ने भी कड़े रुख दिखाए हैं. ऐसे में बड़ा सवाल ये उठ रहा है कि क्या महागठबंधन चुनाव से पहले ही बिखर जाएगा?

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दानिश रिजवान, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हम

हम का अल्टीमेटम
महागठबंधन के 3 प्रमुख दलों को देख कर तो ऐसा ही लगता है कि महागठबंधन बहुत जल्द बिखरने वाला है. अगर हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी के अल्टीमेटम पर गौर करें तो उन्होंने 25 जून तक राजद से को-ऑर्डिनेशन कमेटी बनाने की मांग की है. उन्होंने तो यहां तक कह दिया है कि हम उसके बाद और इंतजार नहीं करेंगे.

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मुकेश सहनी, वीआईपी चीफ

तेजस्वी नहीं हैं सीएम पद के उम्मीदवार
इधर, 2 दिन पहले ही रालोसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने साफ कर दिया कि अब तक महागठबंधन में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार तय नहीं है. विकासशील इंसान पार्टी ने तो यहां तक कह दिया है कि वह सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. कोई किसी का इंतजार नहीं करने वाला है.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

राजद और कांग्रेस के सामने परेशानी
ऐसे में राजद और कांग्रेस के अलावा बाकी 3 दल अपना अलग रुख अख्तियार करने को तैयार दिख रहे हैं. राष्ट्रीय जनता दल की ओर से प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने भी दो टूक कह दिया है कि राजनीति में अल्टीमेटम जैसी कोई बात नहीं होती. सहयोगी दलों को इंतजार करना ही होगा. वक्त आने पर हम उनसे बात करेंगे.

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मृत्युंजय तिवारी, प्रदेश प्रवक्ता, राजद

पिछले साल भी बने थे हालात
बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान भी महागठबंधन में अनबन खुलकर सामने आई थी. हालांकि, बाद में राजद ने अपने सहयोगी दलों को शिकायत का कोई मौका नहीं दिया था. उनके बीच पर्याप्त संख्या में सीटों का बंटवारा किया गया. इस बार भी राजद का यही दावा है कि जब हमने पिछले चुनाव में अपने सहयोगी दलों का ख्याल रखा तो इस बार उन्हें इतनी परेशानी क्यों हो रही है, समय आने पर सारी बातें की जाएंगी.

राजनीति में तू-तू, मैं-मैं
बिहार विधानसभा चुनाव में एक तरफ महागठबंधन में तू-तू, मैं-मैं चल रही है. दूसरी तरफ एनडीए में बीजेपी, जदयू और लोजपा एक साथ मिलकर लड़ने को तैयार हैं. महागठबंधन की स्थिति देखकर जदयू नेता भी तंज कस रहे हैं.

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राजीव रंजन, प्रदेश प्रवक्ता, जदयू

जेडीयू कस रहा तंज
जेडीयू की ओर से प्रवक्ता राजीव रंजन का कहना है कि राजद पहले ही लड़ाई हार चुका है. अब उसका उद्धार संभव नहीं है. ऐसे में उसके सहयोगी दल भी बहुत जल्द उसका साथ छोड़ देंगे.

कैसे होगा मिशन 2020 पार?
बहरहाल, महागठबंधन की स्थिति देखकर तो यह साफ है कि राजद अपने सहयोगी दलों के सामने झुकने को तैयार नहीं है. दूसरी तरफ सहयोगी दल लगातार आंख दिखा रहे हैं. राजद से को-ऑर्डिनेशन कमेटी बनाने की मांग कर रहे हैं ताकि सीट बंटवारे में उन्हें कोई नुकसान ना हो. हालांकि, इस बीच कांग्रेस ने अब तक कुछ भी खुलकर नहीं कहा है. उन्हें अपने हाईकमान के आदेश का इंतजार है.

पटना: बिहार में इस साल विधानसभा के चुनाव होने हैं, लेकिन उससे पहले महागठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं लग रहा है. सूबे की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी आरजेडी के खिलाफ अब महागठबंधन के दल खुलकर बोल रहे हैं. कोर्डिनेशन कमेटी बनाने की मांग को लेकर हम प्रमुख जीतनराम मांझी ने साफ अल्टीमेटम दे दिया है.

वहीं, आरएलएसपी अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार मानने से ही इनकार कर दिया है. उधर, वीआईपी चीफ मुकेश सहनी ने भी कड़े रुख दिखाए हैं. ऐसे में बड़ा सवाल ये उठ रहा है कि क्या महागठबंधन चुनाव से पहले ही बिखर जाएगा?

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दानिश रिजवान, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हम

हम का अल्टीमेटम
महागठबंधन के 3 प्रमुख दलों को देख कर तो ऐसा ही लगता है कि महागठबंधन बहुत जल्द बिखरने वाला है. अगर हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी के अल्टीमेटम पर गौर करें तो उन्होंने 25 जून तक राजद से को-ऑर्डिनेशन कमेटी बनाने की मांग की है. उन्होंने तो यहां तक कह दिया है कि हम उसके बाद और इंतजार नहीं करेंगे.

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मुकेश सहनी, वीआईपी चीफ

तेजस्वी नहीं हैं सीएम पद के उम्मीदवार
इधर, 2 दिन पहले ही रालोसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने साफ कर दिया कि अब तक महागठबंधन में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार तय नहीं है. विकासशील इंसान पार्टी ने तो यहां तक कह दिया है कि वह सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. कोई किसी का इंतजार नहीं करने वाला है.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

राजद और कांग्रेस के सामने परेशानी
ऐसे में राजद और कांग्रेस के अलावा बाकी 3 दल अपना अलग रुख अख्तियार करने को तैयार दिख रहे हैं. राष्ट्रीय जनता दल की ओर से प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने भी दो टूक कह दिया है कि राजनीति में अल्टीमेटम जैसी कोई बात नहीं होती. सहयोगी दलों को इंतजार करना ही होगा. वक्त आने पर हम उनसे बात करेंगे.

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मृत्युंजय तिवारी, प्रदेश प्रवक्ता, राजद

पिछले साल भी बने थे हालात
बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान भी महागठबंधन में अनबन खुलकर सामने आई थी. हालांकि, बाद में राजद ने अपने सहयोगी दलों को शिकायत का कोई मौका नहीं दिया था. उनके बीच पर्याप्त संख्या में सीटों का बंटवारा किया गया. इस बार भी राजद का यही दावा है कि जब हमने पिछले चुनाव में अपने सहयोगी दलों का ख्याल रखा तो इस बार उन्हें इतनी परेशानी क्यों हो रही है, समय आने पर सारी बातें की जाएंगी.

राजनीति में तू-तू, मैं-मैं
बिहार विधानसभा चुनाव में एक तरफ महागठबंधन में तू-तू, मैं-मैं चल रही है. दूसरी तरफ एनडीए में बीजेपी, जदयू और लोजपा एक साथ मिलकर लड़ने को तैयार हैं. महागठबंधन की स्थिति देखकर जदयू नेता भी तंज कस रहे हैं.

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राजीव रंजन, प्रदेश प्रवक्ता, जदयू

जेडीयू कस रहा तंज
जेडीयू की ओर से प्रवक्ता राजीव रंजन का कहना है कि राजद पहले ही लड़ाई हार चुका है. अब उसका उद्धार संभव नहीं है. ऐसे में उसके सहयोगी दल भी बहुत जल्द उसका साथ छोड़ देंगे.

कैसे होगा मिशन 2020 पार?
बहरहाल, महागठबंधन की स्थिति देखकर तो यह साफ है कि राजद अपने सहयोगी दलों के सामने झुकने को तैयार नहीं है. दूसरी तरफ सहयोगी दल लगातार आंख दिखा रहे हैं. राजद से को-ऑर्डिनेशन कमेटी बनाने की मांग कर रहे हैं ताकि सीट बंटवारे में उन्हें कोई नुकसान ना हो. हालांकि, इस बीच कांग्रेस ने अब तक कुछ भी खुलकर नहीं कहा है. उन्हें अपने हाईकमान के आदेश का इंतजार है.

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