पटना: यूनिफॉर्म सिविल कोड पर देश भर में चर्चा शुरू हो गई है. भारतीय जनता पार्टी लोकसभा चुनाव 2024 से पहले यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने की वकालत कर रही है. मानसून सत्र के दौरान यूनिफॉर्म सिविल कोड पर बहस किए जाने की तैयारी है. यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर बिहार में भी घमासान है. यूनिफॉर्म सिविल कोड का विरोध महागठबंधन के नेता कर रहे हैं लेकिन अगर बिल संसद में आएगा तो उनका रुख क्या होगा इस बार असमंजस की स्थिति है.
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"यूनिफॉर्म सिविल कोड देश की जरूरत है. देश में एक संविधान एक विधान और एक कानून होना चाहिए. कुछ दल वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं और तुष्टिकरण के चलते हो यूनिफॉर्म सिविल कोड का विरोध कर रहे हैं."- राणा रणधीर सिंह, पूर्व मंत्री
भाजपा संविधान विरोधी काम करतीः राजद विधायक और प्रवक्ता अख्तरुल इमान शाहीन ने कहा है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड का प्रारूप अब तक सामने नहीं आया है. जब बिल का प्रारूप सामने आएगा तब हम लोग तय करेंगे कि पार्टी का रुख क्या होगा. जदयू नेता और अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री जामा खान ने कहा कि भाजपा संविधान विरोधी काम करती है. लेकिन, हमारे नेता प्रदेश के लोगों की भावनाओं को देखते हुए कदम उठाते हैं. अगर बिल आएगा तो पार्टी का क्या रुख होगा इस पर अंतिम फैसला नहीं लिया गया है.
'यूसीसी की जरूरत नहीं' : भाकपा माले के विधायक अजीत कुशवाहा ने कहा कि भाजपा धार्मिक भावनाओं को भड़का कर राजनीति करती है. यूनिफॉर्म सिविल कोड की फिलहाल कोई जरूरत नहीं है. वर्तमान परिस्थिति में शिक्षा बेरोजगारी और महंगाई पर ध्यान देने की जरूरत है. बिल पर हमारी पार्टी का रुख जल्द ही तय कर लिया जाएगा.
क्या है AIMIM का स्टैंड : एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने कहा है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर भाजपा लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रही है. बिल पर विरोध या समर्थन को लेकर रणनीति हमारी पार्टी जल्द ही तय करेगी.