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नीतीश सरकार की बड़ी कार्रवाई, भ्रष्टाचार के आरोप में IPS अधिकारी शफीउल हक को किया निलंबित

भ्रष्टाचार के आरोप में आईपीएस अधिकारी और मुंगेर रेंज के तत्कालीन डीआईजी शफीउल हक को निलंबित कर दिया गया है. डीआईजी के खिलाफ पुलिसकर्मियों से पैसे की उगाही करने का आरोप लगाया गया है. पढ़ें पूरी खबर...

IPS अधिकारी शफीउल हक को किया निलंबित
IPS अधिकारी शफीउल हक को किया निलंबित
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Published : Dec 2, 2021, 11:15 AM IST

Updated : Dec 2, 2021, 12:27 PM IST

पटना: बिहार में भ्रष्टाचार के खिलाफ नीतीश सरकार की कार्रवाई (Bihar Government Action Against Corruption) लगातार जारी है. सभी स्तर के अफसरों पर कार्रवाई का डंडा पिछले कुछ दिनों से लगातार चल रहा है. वहीं, बिहार सरकार ने एक बार फिर बड़ी कार्रवाई करते हुए आईपीएस अधिकारी और मुंगेर रेंज के तत्कालीन डीआईजी शफीउल हक को निलंबित (DIG Shafiul Haq suspended) कर दिया है. यह कार्रवाई भ्रष्टाचार के आरोप में की गई है. मोहम्मद शफीउल हक पर आरोप है कि मुंगेर में डीआईजी के पद पर तैनाती के दौरान वे अपने अधीनस्थ पुलिसकर्मियों से पैसे की उगाही करते थे.

इसे भी पढ़ें: नालंदा ट्रेन डिरेल मामला: लापरवाही के चलते स्टेशन मास्टर और रेलवे गार्ड निलंबित

इस संबंध में बताया जा रहा है कि बुधवार को गृह विभाग द्वारा आदेश जारी कर दिया गया था. मुंगेर में डीआईजी पद पर तैनाती के दौरान उनपर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया था. जिसके बाद ईओयू से जांच कराई गई. डीआईजी शफीउल हक को फिलहाल पटना पुलिस मुख्यालय में अपना योगदान देना होगा.

ये भी पढ़ें: फर्जी दारोगा मामले में मानसी SHO निलंबित, SP ने कहा-'विभागीय कार्रवाई के तहत थानाध्यक्ष दोषी'

आर्थिक अपराध इकाई की टीम ने अपनी जांच रिपोर्ट में डीआईजी के खिलाफ गृह विभाग को साक्ष्य समेत तमाम चीजों की जानकारी दी थी. इसी रिपोर्ट के आधार पर गृह विभाग ने आईपीएस अधिकारी शफीउल हक के अलावा उनके सहायक अवर निरीक्षक मोहम्मद उमरान एवं एक निजी व्यक्ति को लेकर तम्माम बिंदुओं पर समीक्षा की थी. संकल्प के मुताबिक जांच में प्रथमदृष्टया प्रमाणित पाया गया कि वसूली करने वाले मो. उमरान के गलत कार्यों की जानकारी होने के बावजूद डीआईजी ने कोई कार्रवाई नहीं की. इससे साफ है कि पूरे घटनाक्रम में उनकी सहभागिता दिखती है साथ ही उन्हें भ्रष्टाचार के पोषक के रूप में स्थापित करता है.

इस दौरान आईपीएस अधिकारी के खिलाफ साक्ष्यों और गवाहों की सूची भी जारी की गई. निलंबन अवधि में मोहम्मद शफीउल हक को केवल जीवन निर्वाह भत्ता ही राज्य सरकार की तरफ से देय होगा. इस साल निलंबित किए जाने वाले शफीउल हक तीसरे आईपीएस पदाधिकारी हैं. इसके पहले भी बालू माफियाओं से सांठगांठ करने के मामले में कई अधिकारियों को निलंबित किया जा चुका है.

बता दें कि 9 जून 2021 को मुंगेर से स्थान्तरित हुए डीआईजी ने अपने विदाई समारोह में कहा था कि 27 साल की नौकरी में 22 ट्रांसफर हो चुका है. मेरे लिए ट्रांसफर कोई नई बात नहीं है. उन पर एके-47 मामले में मुंगेर के तत्कालीन एसपी हरिशंकर प्रसाद ने भी आरोप लगाया है. उन्होंने कहा है कि जांच में निर्दोष साबित करने के लिए 15 लाख रुपये अपने एक निजी एजेंट शाहिद रजा उर्फ चिंटू के द्वारा मांगा गया था.

एसपी ने इसकी लिखित शिकायत विभाग में की थी, जिसपर जांच चल रही है. उस मामले में निजी एजेंट की गवाही भी हो चुकी है. इसके अलावा मुंगेर के 6 से अधिक थानेदार पटना जाकर गवाही दे चुके हैं. उस मामले में रिपोर्ट का इंतजार है. फिलहाल आर्थिक अपराध इकाई के रिपोर्ट के आधार पर डीआईजी को सस्पेंड कर दिया गया है.

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पटना: बिहार में भ्रष्टाचार के खिलाफ नीतीश सरकार की कार्रवाई (Bihar Government Action Against Corruption) लगातार जारी है. सभी स्तर के अफसरों पर कार्रवाई का डंडा पिछले कुछ दिनों से लगातार चल रहा है. वहीं, बिहार सरकार ने एक बार फिर बड़ी कार्रवाई करते हुए आईपीएस अधिकारी और मुंगेर रेंज के तत्कालीन डीआईजी शफीउल हक को निलंबित (DIG Shafiul Haq suspended) कर दिया है. यह कार्रवाई भ्रष्टाचार के आरोप में की गई है. मोहम्मद शफीउल हक पर आरोप है कि मुंगेर में डीआईजी के पद पर तैनाती के दौरान वे अपने अधीनस्थ पुलिसकर्मियों से पैसे की उगाही करते थे.

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इस संबंध में बताया जा रहा है कि बुधवार को गृह विभाग द्वारा आदेश जारी कर दिया गया था. मुंगेर में डीआईजी पद पर तैनाती के दौरान उनपर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया था. जिसके बाद ईओयू से जांच कराई गई. डीआईजी शफीउल हक को फिलहाल पटना पुलिस मुख्यालय में अपना योगदान देना होगा.

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आर्थिक अपराध इकाई की टीम ने अपनी जांच रिपोर्ट में डीआईजी के खिलाफ गृह विभाग को साक्ष्य समेत तमाम चीजों की जानकारी दी थी. इसी रिपोर्ट के आधार पर गृह विभाग ने आईपीएस अधिकारी शफीउल हक के अलावा उनके सहायक अवर निरीक्षक मोहम्मद उमरान एवं एक निजी व्यक्ति को लेकर तम्माम बिंदुओं पर समीक्षा की थी. संकल्प के मुताबिक जांच में प्रथमदृष्टया प्रमाणित पाया गया कि वसूली करने वाले मो. उमरान के गलत कार्यों की जानकारी होने के बावजूद डीआईजी ने कोई कार्रवाई नहीं की. इससे साफ है कि पूरे घटनाक्रम में उनकी सहभागिता दिखती है साथ ही उन्हें भ्रष्टाचार के पोषक के रूप में स्थापित करता है.

इस दौरान आईपीएस अधिकारी के खिलाफ साक्ष्यों और गवाहों की सूची भी जारी की गई. निलंबन अवधि में मोहम्मद शफीउल हक को केवल जीवन निर्वाह भत्ता ही राज्य सरकार की तरफ से देय होगा. इस साल निलंबित किए जाने वाले शफीउल हक तीसरे आईपीएस पदाधिकारी हैं. इसके पहले भी बालू माफियाओं से सांठगांठ करने के मामले में कई अधिकारियों को निलंबित किया जा चुका है.

बता दें कि 9 जून 2021 को मुंगेर से स्थान्तरित हुए डीआईजी ने अपने विदाई समारोह में कहा था कि 27 साल की नौकरी में 22 ट्रांसफर हो चुका है. मेरे लिए ट्रांसफर कोई नई बात नहीं है. उन पर एके-47 मामले में मुंगेर के तत्कालीन एसपी हरिशंकर प्रसाद ने भी आरोप लगाया है. उन्होंने कहा है कि जांच में निर्दोष साबित करने के लिए 15 लाख रुपये अपने एक निजी एजेंट शाहिद रजा उर्फ चिंटू के द्वारा मांगा गया था.

एसपी ने इसकी लिखित शिकायत विभाग में की थी, जिसपर जांच चल रही है. उस मामले में निजी एजेंट की गवाही भी हो चुकी है. इसके अलावा मुंगेर के 6 से अधिक थानेदार पटना जाकर गवाही दे चुके हैं. उस मामले में रिपोर्ट का इंतजार है. फिलहाल आर्थिक अपराध इकाई के रिपोर्ट के आधार पर डीआईजी को सस्पेंड कर दिया गया है.

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Last Updated : Dec 2, 2021, 12:27 PM IST
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