पटना: बिहार स्वच्छ ईंधन योजना 2019 (Bihar Clean Fuel Scheme) के तहत सीएनजी ( CNG) चालित वाहनों को बढ़ावा देने की नीति पर सरकार काम कर रही है. प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के एडवाइजरी के मुताबिक डीजल चालित तीन पहिया वाहनों और पुराने पेट्रोल चालित तिपहिया वाहनों के परिचालन से पटना शहर की वायु गुणवत्ता पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है. इसे देखते हुए बिहार सरकार ने 31 जनवरी 2021 से पटना नगर निगम और 31 मार्च 2021 से दानापुर खगौल और फुलवारी शरीफ नगर परिषद में डीजल चालित ऑटो का परिचालन प्रतिबंध करने का निर्णय लिया था. हालांकि बाद में इस डेडलाइन को बढ़ाकर 30 सितंबर किया गया.
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बिहार सरकार ने पहले ही सभी ऐसी सरकारी व्यवसायिक वाहनों के परिचालन पर रोक लगा रखी है, जो 15 साल से ज्यादा पुराने हो चुके हैं और जो डीजल पर चलते हैं. बिहार में जो सरकारी बसें डीजल से चल रही थी, उन्हें सीएनजी में कन्वर्ट किया गया है और जो बाकी बची हैं उन्हें भी कन्वर्ट किया जा रहा है. हाल ही में बिहार के परिवहन विभाग ने 50 नई सीएनजी बसों का परिचालन शुरू किया है. इसके अलावा 25 इलेक्ट्रिक बसें भी पटना और इसके आसपास चलाई जा रही हैं.
इस बारे में कुछ डीजल ऑटो चालकों से ईटीवी भारत ने बात की तो डीजल ऑटो चालक मोहम्मद अब्दुल ने कहा कि काफी गरीब तबके के लोग डीजल ऑटो चला रहे हैं. अगर सरकार ने 30 सितंबर के बाद इनका परिचालन बंद कर दिया तो हम रोड पर आ जाएंगे. वहीं एक और ऑटो चालक मदन ने बताया कि कुछ साल पहले ही मैंने लोन पर यह ऑटो खरीदी है. सरकार को कम से कम 15 साल तक का जो परमिट मिला है, तब तक ऑटो चलाने की इजाजत देनी चाहिए. नई गाड़ी खरीदने पर फिर नया ईएमआई भरना पड़ेगा, उसके लिए हम पैसे कहां से लाएंगे.
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पटना जिला ऑटो चालक संघ के महासचिव नवीन मिश्रा ने ईटीवी भारत को बताया कि हमने सरकार को और परिवहन विभाग को आवेदन देकर इस डेडलाइन को कम से कम एक साल के लिए बढ़ाने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा कि पटना में सबसे बड़ी परेशानी सीएनजी की है. किसी भी ऑटो को सीएनजी भरवाने में कम से कम 4 घंटे लगते हैं, क्योंकि सीएनजी पंप की संख्या काफी कम है. इसके अलावा कन्वर्जन किट भी पर्याप्त संख्या में पटना में उपलब्ध नहीं है. इन तमाम समस्याओं को लेकर हमने विभाग को और सरकार को लिखा है और उम्मीद करते हैं कि सरकार इस डेडलाइन को आगे बढ़ाएगी.
वहीं, इस बारे में परिवहन विभाग के सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने बताया कि ऑटो एसोसिएशन की तरफ से 30 सितंबर की समय सीमा को बढ़ाने के लिए आवेदन दिया गया है. इस पर विभाग ने अभी कोई फैसला नहीं लिया है, लेकिन वायु की गुणवत्ता सुधारने के लिए हम कई महीनों से लगातार ऑटो चालकों को डीजल ऑटो के बदले सीएनजी ऑटो खरीदने और पेट्रोल चालित वाहनों के पेट्रोल इंजन को सीएनजी में कन्वर्ट कराने के लिए सरकार की ओर से अनुदान भी दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि अनुदान के लिए पर्याप्त फंड भी मुहैया कराया गया है. अगर किसी को अनुदान मिलने में समस्या हो रही है तो उसे परिवहन विभाग से या जिलाधिकारी से संपर्क करना चाहिए.
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दरअसल पटना समेत पूरे बिहार में फिलहाल 10 सीएनजी पंप हैं, जिनके भरोसे तमाम सीएनजी के वाहन चल रहे हैं. इस बारे में ईटीवी भारत ने आपको पहले भी खबर दिखाई थी कि सीएनजी पंप कम होने की वजह से वाहन चालकों को सीएनजी भरवाने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है और पंप पर भी अच्छा खासा समय देना पड़ता है. एक बड़ी समस्या यह भी है कि डीजल ऑटो कन्वर्जन किट की कीमत करीब 70 हजार है, जबकि सरकार की ओर से अनुदान महज 40 हजार मिलता है. वहीं पेट्रोल ऑटो के लिए 38 हजार के खर्च पर 20 हजार का अनुदान मिलता है. यही वजह है कि बड़ी संख्या में पेट्रोल चालित ऑटो चालकों ने अपने ऑटो का कन्वर्जन कराया है, लेकिन डीजल ऑटो चालक हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं. यही वजह है कि ऑटो चालक संघ डेडलाइन बढ़ाने की मांग कर रहा है. ऐसे में अब यह देखना होगा कि सरकार ऑटो चालक संघ की मांग पर 30 सितंबर की डेडलाइन को आगे बढ़ाती है या नहीं.