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मां काली की पूजा के लिए श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़, देवी मां के जयकारे से गूंज उठा पूरा वातावरण - sharad navaratri 2021

पटना में रानीपुर स्थित मां काली के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी है. जय मां काली के जयकारा से पूरा वातावरण गूंज उठा है. पटनासिटी में नवरात्र के मौके पर जय मां काली रानीपुर वाली मां का अलग महत्व है.

पूजा के लिए श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़
पूजा के लिए श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़
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Published : Oct 14, 2021, 7:53 PM IST

पटना: शारदीय नवरात्र (Sharadiya Navratri) के नवमी के दिन रानीपुर स्थित ऐतिहासिक काली मंदिर (Historic Ranipur Kali Mandir in Patna) में अहले सुबह से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ लगी है. प्रख्यात पुजारियों द्वारा मां काली की पूजा (Worship of Maa Kali) प्रारंभ होते ही भक्त पूजा में शामिल होकर मां काली की पूजा-अर्चना कर रहे हैं. अपने और अपने परिवार की सुख-शांति के लिए मां से प्रार्थना कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें- कैमूर में बना है चंद्रयान-2 को दर्शाता भव्य पंडाल, देखने के लिये उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

शारदीय नावरात्र के नौवें दिन मां काली की पूजा का बड़ा ही महत्व है. इसलिए मां काली के भव्य रूप का दर्शन करने श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं. बताया जा रहा है कि दुर्गा पूजा के साथ-साथ काली पूजा का भी बड़ा महत्त्व है. लोगों का मानना है कि मां काली की शक्ति के रूप में पूजा की जाती है.

देखें वीडियो

मां काली की पूजा करने वाले श्रद्धालुओं की माने तो मां की पूजा से अकाल मृत्यु और अनेक बाधाओं से मुक्ति मिलती है. सच्चे मन से मां काली की पूजा करने वाले श्रद्धालुओं को मां का आशीर्वाद मिलता है और सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है. रानीपुर काली पूजा समिति के अध्यक्ष अनिल गोप का कहना है कि सैकड़ों वर्ष से मां काली की प्रतिमा इस प्रांगण में बैठती आ रही है जबकि पहले से स्थापित इस जगह मां काली का मन्दिर है.

ये भी पढ़ें- ...तो लालू के घर 'अच्छे दिन आने वाले हैं', तस्वीर तो यही कहती है लौट रही खुशियां

बताते चलें कि शारदीय नवरात्र (Sharadiya Navratri) में भक्त मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना करते हैं. नवमी के दिन माता की पूजा (Durga Puja) आराधना करने का अलग ही महत्व है. मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धालु वर्ष में दो बार 9 दिन की उपासना करते हैं. पहला चैत्र नवरात्र के नाम से जाना जाता है, वहीं दूसरा अश्विन माह में किया जाता है. जिसको शारदीय नवरात्र कहा जाता है.

इस वर्ष शारदीय नवरात्र की शुरुआत सात अक्टूबर को हुई. वहीं नवरात्र की समाप्ति 15 अक्टूबर को हो रही है. इस बार के शारदीय नवरात्र में मां का आगमन घोड़ा पर हुआ, जबकि उनकी विदायी गज यानि हाथी पर होगी. बता दें कि बहुत सारे भक्त नवमी के दिन कुंवारी कन्याओं को भोजन कराने के बाद अन्न ग्रहण कर लेते हैं.

ये भी पढ़ें- नवरात्र के मौके पर पटना के प्राचीन मां काली मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़, जगमग हुआ मां का दरबार

ये भी पढ़ें- रियलिटी चेक: पूजा पंडालों के अस्थाई वैक्सीनेशन सेंटर पर नहीं पहुंच रहे लोग.. कहीं भी 50 पार नहीं किया टीकाकरण का आंकड़ा

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शारदीय नावरात्र के नौवें दिन मां काली की पूजा का बड़ा ही महत्व है. इसलिए मां काली के भव्य रूप का दर्शन करने श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं. बताया जा रहा है कि दुर्गा पूजा के साथ-साथ काली पूजा का भी बड़ा महत्त्व है. लोगों का मानना है कि मां काली की शक्ति के रूप में पूजा की जाती है.

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मां काली की पूजा करने वाले श्रद्धालुओं की माने तो मां की पूजा से अकाल मृत्यु और अनेक बाधाओं से मुक्ति मिलती है. सच्चे मन से मां काली की पूजा करने वाले श्रद्धालुओं को मां का आशीर्वाद मिलता है और सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है. रानीपुर काली पूजा समिति के अध्यक्ष अनिल गोप का कहना है कि सैकड़ों वर्ष से मां काली की प्रतिमा इस प्रांगण में बैठती आ रही है जबकि पहले से स्थापित इस जगह मां काली का मन्दिर है.

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इस वर्ष शारदीय नवरात्र की शुरुआत सात अक्टूबर को हुई. वहीं नवरात्र की समाप्ति 15 अक्टूबर को हो रही है. इस बार के शारदीय नवरात्र में मां का आगमन घोड़ा पर हुआ, जबकि उनकी विदायी गज यानि हाथी पर होगी. बता दें कि बहुत सारे भक्त नवमी के दिन कुंवारी कन्याओं को भोजन कराने के बाद अन्न ग्रहण कर लेते हैं.

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