पटनाः कोविड महामारी (Covid Pandemic) के कारण जान गंवाने वाले शिक्षकों (Teachers Died Due to Corona) के परिजन कई महीने बाद भी आर्थिक मदद की आस लिए बैठे हैं. लेकिन सरकार की तरफ से अब तक उन्हें किसी तरह की मदद मुहैया नहीं करवाई गई है. विभिन्न शिक्षक संघों कहना है कि ऐसे परिवारों की पूरी लिस्ट शिक्षा विभाग के पास है, बावजूद पीड़ित परिवारों को मदद नहीं दी गई है.
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बताते चलें कि बिहार में प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्तर के करीब 700 से ज्यादा शिक्षक और शिक्षकेतर कर्मचारियों की कोरोना के कारण मौत हो गई. जिसके बाद पीड़ित परिवारों को राहत देने का आश्वासन देते हुए शिक्षा विभाग ने शिक्षक संघों से सूची मांगी थी. सूची उपलब्ध कराए जाने के कई महीने बीत जाने के बाद भी प्रशासन सुस्ती दिखा रहा है.
"शिक्षा विभाग को लिस्ट सौंपने के बावजूद अब तक पीड़ित परिवारों को कोई मदद नहीं मिली है. जबकि शिक्षा विभाग ने आश्वासन दिया था कि जो शिक्षक और शिक्षकेतर कर्मी भविष्य निधि के तहत संरक्षित थे और जिनका योगदान इपीएफ में कम से कम 1 महीने का भी हुआ है उन्हें कर्मचारी भविष्य निधि संगठन से तत्काल ढाई लाख रुपए की अनुग्रह राशि दी जाएगी. इसके अलावा सेवाकाल के दौरान मौत पर अनुकंपा के आधार पर एक आश्रित को नौकरी, ईपीएफ से 3 माह की कटौती के बराबर सहयोग राशि, ईपीएफ से कम से कम 2500 रूपये पारिवारिक पेंशन और सीएम रिलीफ फंड से कोविड-19 रिपोर्ट की पुष्टि पर 4,00,000 के अनुदान देने की घोषणा की गई थी."- मनोज कुमार, कार्यकारी अध्यक्ष, बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ
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"कोरोना काल में मृतक शिक्षकों के लिए की गई घोषणा पर सरकार अमल नहीं कर रही है. सरकार ने कहा महामारी के दौरान शिक्षकों की सेवा लेने के समय सरकार द्वारा घोषणा की थी. साथ ही यह भी कहा था कि यदि इस दौरान उनकी मौत हो जाती है, तो उनके आश्रित को नौकरी, मुख्यमंत्री राहत कोष से निर्धारित 4 लाख रूपये की मुआवजा राशि और ईपीएफ से ढाई लाख रूपये के साथ ईपीएफ का पारिवारिक लाभ दिया जाएगा. लेकिन आज उनके परिजन मुआवजा राशि के लिए दर-दर के लिए भटक रहे हैं."- चितरंजन गगन, राजद प्रदेश प्रवक्ता
माध्यमिक शिक्षक संघ ने भी सरकार से पीड़ित परिवारों को घोषणा के अनुरूप तमाम सुविधाएं जल्द से जल्द उपलब्ध कराने की मांग की है. संघ ने कहा है कि घर का कमाने वाले सदस्य को खोने के बाद परिवार में बदहाली छा रही है.