पटना: बिहार में नई शिक्षक नियमावली में सरकार ने अभ्यर्थियों को तीन बार ही परीक्षा में सम्मिलित होने की बात कही है. वहीं इसके बाद शिक्षक अभ्यर्थियों में खुशी की लहर है, लेकिन नई नियमावली को लेकर कुछ शिक्षक अभ्यर्थी संघ विरोध भी जता रहे हैं. दोनों चरण की बहाली में यह देखने को मिला है कि वैकेंसी के अनुरूप योग्य अभ्यर्थी नहीं मिल पाए हैं. बीपीएससी TRE मे तीन चांस की बाध्यता को हटाकर अनगिनत कर दिया जाना चाहिए.
नई शिक्षक नियमावली से अभ्यर्थी परेशान: हाल में शिक्षा विभाग में दो चरण की शिक्षक बहाली पूरी कर ली है. ऐसे में जो अभ्यर्थी दोनों चरण की शिक्षक बहाली परीक्षा में क्वालीफाइंग प्राप्त करने के बावजूद अपने श्रेणी में उत्तीर्ण नहीं हो पाए हैं. वह काफी परेशान है.ऐसे अभ्यर्थियों का कहना है कि सिविल सर्विसेज परीक्षाओं के जैसे बीपीएससी शिक्षा का अभ्यर्थियों को भी शिक्षक बहाली परीक्षा में अधिकतम आयु सीमा होने तक सम्मिलित होने का अवसर प्रदान करे.
छात्र नेता दिलीप ने कहा कि "दोनों चरण की बहाली में यह देखने को मिला है कि वैकेंसी के अनुरूप योग्य अभ्यर्थी नहीं मिल पाए हैं. सरकारी यदि ऐसा करती है तो यह समस्या खत्म होगी और शिक्षक अभ्यर्थियों को भविष्य की चिंता भी खत्म होगी. इसलिए BPSC TRE मे तीन चांस की बाध्यता को हटाकर अनगिनत कर दिया जाना चाहिए. यानी अधिकतम उम्र सीमा तक BPSC TRE मे फॉर्म भरने का प्रावधान किया जाए."
बीपीएससी से शिक्षकों का हो रहा चयन: अभ्यर्थियों की इन समस्याओं पर छात्र नेता दिलीप ने कहा है कि बिहार सरकार ने शिक्षक भर्ती के लिए हाल ही में नियमावली बदली है. अब नियोजन इकाई के बजाय बिहार लोक सेवा आयोग की ओर से आयोजित की जा रही परीक्षाओं के माध्यम से शिक्षक चुने जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार का यह फैसला बहुत ही सराहनीय है, लेकिन शिक्षक अभ्यर्थियों के साथ समस्याएं है.
सिविल सेवा की परीक्षा तरह मिले अतिरिक्त अवसर: छात्र नेता दिलीप कुमार ने कहा कि बच्चे लाखों की खर्च करके bed और डीएलएड जैसे कोर्स करते हैं. इसके बाद एसटीइटी और सीटेट जैसे परीक्षाओं को उत्तीर्ण करते हैं. यह सब सिर्फ शिक्षक बनने के लिए करते हैं. ऐसे में सिर्फ तीन चांस इनके लिए काफी अनुचित होगा. b.ed और डीएलएड जैसे कोर्स अभ्यर्थी करते हैं और सीटेट, एसटीइटी जैसी परीक्षाओं को पास करते हैं. ऐसे में बिहार सरकार को भी चाहिए कि बीपीएससी की सिविल सर्विसेज परीक्षाओं के जैसे अधिकतम आयु सीमा तक शिक्षक अभ्यर्थियों को परीक्षा में बैठने का मौका दिया जाए.
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