पटना: ऑनलाइन ट्रांजैक्शन सुविधाजनक तो है लेकिन खतरनाक भी है. साइबर ठग कई जिलों में सक्रिय हैं. बिहार के 10 ऐसे जिले हैं जहां साइबर ठगों का सिंडिकेट काम कर रहा है और इसका फैलाव धीरे-धीरे बढ़ रहा है. बिहार के अंदर हर रोज 3000 से 5000 लोग साइबर ठगी का शिकार हो रहे हैं. पिछले वर्ष 55 करोड़ रुपये के ठगी का मामला प्रकाश में आया था, जो इस साल बढ़कर और अधिक हो सकता है. हर महीने 5 करोड़ की राशि की ठगी हो रही है. वर्तमान वित्तीय वर्ष में आंकड़ा बढ़कर 100 करोड़ तक जा सकता है.
जिलों में खोले गए साइबर थाने: बिहार में साइबर ठगी के मामले में इजाफे को सरकार ने भी गंभीरता से लिया है और बिहार के तमाम जिलों में साइबर थाने खोले गए हैं. राजधानी पटना के आर्थिक अपराध इकाई में 24 घंटे कॉल सेंटर शुरू किए गए हैं. 150 पुलिस पदाधिकारी चौबीसों घंटे कार्यरत हैं 1930 कॉल कर लोग अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं. पोर्टल के माध्यम से 20 करोड़ 55 लाख रुपए होल्ड कराई गई है. जिसमें कॉल सेंटर प्रारंभ होने के बाद 15 करोड़ 61 लाख 58 हजार की राशि होल्ड कराई गई है. होल्ड की गई राशि को ठगी के शिकार व्यक्ति तक पहुंचा दिया गया है.
4000 मोबाइल नंबर ब्लॉक: साइबर ठगों पर आर्थिक अपराध इकाई ने भी शिकंजा कसा हुआ है. पोर्टल पर प्राप्त कुल शिकायतों में फ्रॉड के दौरान इस्तेमाल किए गए लगभग 4000 मोबाइल नंबरों को ब्लॉक कराया गया है. आर्थिक अपराध इकाई ने कुल 835 साइबर परिवारों के आलोक में आवश्यक कार्रवाई करते हुए निस्तारण किया. बिहार में कई जिले हॉटस्पॉट हैं. साइबर ठगों ने उन जिलों में अपना केंद्र बना रखा है. पटना में तो बाकायदा कॉल सेंटर के जरिए साइबर ठगी का काम चल रहा है. नालंदा, नवादा, जमुई, पटना, शेखपुरा और गया जैसे जिलों में साइबर ठग पांव जमा चुके हैं.
बिहार में इंटर स्टेट सिंडिकेट: अलग-अलग बहानों से साइबर ठग ठगी को अंजाम देकर खातों से करोड़ों उड़ा लेते हैं. बिहार के ज्यादातर जिलों में साइबर ठग पांव पसार चुके हैं. राज्य के अंदर इंटर स्टेट सिंडिकेट भी काम कर रहा है. देश के 12 से ज्यादा राज्यों तक साइबर ठगों की पहुंच बन चुकी है. खास तौर पर हिंदी भाषी राज्य उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ राजस्थान दिल्ली हरियाणा और महाराष्ट्र जैसे राज्य साइबर ठगों के लिए सॉफ्ट टारगेट हैं.
साइबर ठगों के खिलाफ अभियान: साइबर ठगों से निपटने के लिए बिहार में एक्शन प्लान भी तैयार किया गया है. आर्थिक अपराध इकाई लगातार पुलिस पदाधिकारियों को प्रशिक्षित कर रही है. इसके अलावा साइबर ठगों के खिलाफ अभियान भी चलाया जा रहा है. राज्य के अंदर कुल 44 साइबर थाने खोले गए हैं डीएसपी स्तर के अधिकारी को प्रभारी बनाया गया है. साइबर थाना खुले 1 महीने बीत चुके हैं जिलों में साइबर थानों में प्राप्ति तो दर्ज की जा रही है लेकिन कुछ जिलों में हालात चिंताजनक है.
ठगी के शिकार होते हैं परेशान?: साइबर ठगी के शिकार लोगों को परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है लोग थानों में शिकायत लेकर पहुंचते हैं तो उन्हें साइबर थाना भेज दिया जाता है. साइबर थाना के पदाधिकारी कई बार उन्हें थाना क्षेत्र का हवाला देकर थाना भेज देते हैं और मामला दर्ज नहीं हो पाता है. पटना के कुमार विनय भी ठगी का शिकार हुए. उन्हें टीडब्ल्यूजी नाम के कंपनी में निश्चित रकम पर शराब की बोतल ऑनलाइन खरीदने के एवज में हर रोज ज्यादा पैसा देने का झांसा दिया था. आर्थिक अपराध इकाई और साइबर सेल के पुलिस अधीक्षक सुशील कुमार ने कहा है कि साइबर थानों को लगातार मुख्यालय की ओर से निर्देशित किया जाता है
"हजारों लोग झांसे में आ गए, करोड़ों रुपए लोगों से ठगे गए. जब मैं शिकायत लेकर कोतवाली थाना पहुंचा तो कोतवाली थाना ने पीओ बुद्धा कॉलोनी बताकर वहां भेज दिया. बुद्धा कॉलोनी थाने ने साइबर थाने जाने को कहा और अंत में मामला दर्ज नहीं हो पाया."-कुमार विनय, पीड़ित
"हमने साइबर ठगी से निपटने के लिए एक्शन प्लान तैयार किए हैं लोगों के करोड़ों रुपए हुए हैं वापस मिले हैं इंटरस्टेट सिंडिकेट भी साइबर ठगी के काम को अंजाम दे रहा है. आर्थिक अपराध इकाई में कई मामलों को बेदन किया है और अपराधियों की गिरफ्तारी भी की गई है."-सुशील कुमार, पुलिस अधीक्षक, आर्थिक अपराध इकाई और साइबर सेल