पटनाः बिहार के पटना में कला संस्कृति विभाग की ओर से सांस्कृतिक कैलेंडर जारी किया गया है, लेकिन उसमें लिट्टी चोखा को स्थान नहीं दिया गया. जबकि लिट्टी चोखा बिहार का फेमस व्यंजन है. बिहार सरकार के कला संस्कृति विभाग की ओर से मंगलवार को सांस्कृतिक कैलेंडर 2023 का लोकार्पण किया गया. कला संस्कृति विभाग के मंत्री जितेंद्र राय और प्रधान सचिव वंदना प्रेयसी ने इसका लोकार्पण किया. इस दौरान विभाग के कई पदाधिकारी भी शामिल रहे.
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क्या है इस कलेंडर मेंः कला संस्कृति विभाग की ओर से जारी किया गये इस कैलेंडर में प्रदेश के सभी जिलों में मौजूद सांस्कृतिक धरोहर, पर्यटन स्थल, लोक कला और व्यंजन को वर्णित किया गया है. इसमें पेड़ा, पेठा, कसार, ठेकुआ जैसे व्यंजन का जिक्र तो है मगर बिहार की पहचान व्यंजन लिट्टी चोखा का कहीं भी जिक्र नहीं है. पूरे राज्य स्तर पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन आए दिन होते आ रहा है.
सांस्कृतिक परंपराओं का चित्रः कला संस्कृति विभाग की प्रधान सचिव वंदना प्रेयसी ने कहा कि बिहार एक समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा का वाहक रहा है. इसकी संस्कृति बहुआयामी है. ऐसे में सांस्कृतिक कैलेंडर के माध्यम से बिहार की सांस्कृतिक चेतना को समर्पित करते हुए कला संस्कृति विभाग के विभिन्न ने निदेशालय द्वारा आयोजित सांस्कृतिक आयोजनों को वर्णित किया गया है. इसके साथ ही राज्य के विभिन्न क्षेत्रों की सांस्कृतिक परंपराओं को चित्र चिह्नित किया गया है. विर्तीय वर्ष 2022-23 के लिए कांफ्रेंस कार्यशाला सेमिनार मद में 14.00 करोड़ उपलब्ध था. वर्तमान विर्तीय वर्ष 2023-24 के लिए 35.00करोड़ उपलब्ध कराया गया है.
"इस सांस्कृतिक कैलेंडर पुस्तक के प्रकाशन का उद्देश्य है कि जन चेतना को सांस्कृतिक चेतना का रूप दिया जाए. कैलेंडर के माध्यम से बिहार की सांस्कृतिक चेतना को समर्पित करते हुए कला संस्कृति विभाग के विभिन्न ने निदेशालय द्वारा आयोजित सांस्कृतिक आयोजनों को वर्णित किया गया. जो भी चीज इसमें छूट गया है, उसे भी जोड़ा जाएगा." -वंदना प्रेयसी, प्रधान सचिव, कला संस्कृति विभाग
सरकार के सोच की बुनियादः मंत्री जितेंद्र राय ने कहा कि कला संस्कृति एवं युवा विभाग की गतिविधियों में व्यापक बढ़ोतरी हुई है. पूरे राज्य स्तर पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन आए दिन होता आ रहा है. सांस्कृतिक कैलेंडर सरकार के इसी सोच की बुनियाद है. इस कैलेंडर में कला संस्कृति विभाग की योजनाओं की जानकारी के साथ-साथ बिहार के सांस्कृतिक विकास के प्रति सरकार संकल्प की झलक देखने को मिल रही है. उन्होंने कहा कि सभी जिलों से उनकी सांस्कृतिक विशेषताएं मंगाई गई. संभव है कि कुछ जगहों की छूट गई होंगी, ऐसे में आगे उन्हें जोड़ते हुए सुधार किया जाएगा.
"इस कैलेंडर में पूरे राज्य से सांस्कृतिक और उसकी विशेषताएं को मंगाकर जोड़ा गया है, जो छूट गया है, उसे फिर से संसोधन कर जोड़ा जाएगा. कला संस्कृति एवं युवा विभाग की गतिविधियों में व्यापक बढ़ोतरी हुई है. इस कलेंजर में कला संस्कृति विभाग की झलक देखने को मिल रहा है, जो बहुत ही अच्छा है." -जितेंद्र राय, मंत्री, कला संस्कृति एवं युवा विभाग
151 कार्यक्रमों का लक्ष्यः विर्तीय वर्ष 2023-24में लगभग 50 कार्यक्रमों यथा गोवा फिल्म फेस्टिवल, साउथ एशिया वुमेन्स फिल्म फेस्टिवल, बाल फिल्म फेस्टिवल, सीने संवाद, सोनपुर मेला, जिला एवं राज्य स्तर पर युवा महोत्सव, जिला स्थापना दिवस, अंतरष्ट्रीय महिला दिवस, श्रावणी मेला, किन्नर महोत्सव आदि जैसे महोत्सव बिहार के कई परंपरागत महोत्सव को विभाग के द्वारा आयोजित करने हेतु सांस्कृतिक कैलेंडर में शामिल किया गया है. इस विर्तीय वर्ष 2023-24 के सांस्कृतिक कैलेंडर में 151 कार्यक्रमों का लक्ष्य रखा गया है.