पटना : राजधानी पटना से तकरीबन 45 किलोमीटर की दूरी पर मसौढ़ी के भगवानगंज इलाका क्षेत्र के चैनपुर गांव (Chainpur village of Bhagwanganj area of Masaurhi) जहां कभी नक्सलियों की हुकूमत थी. नक्सली वारदातें होतीं, नक्सलियों के जन अदालत लगााए जाते. वहीं भववानगंज आज फिजाओं में फूलों की खुशबू बिखेर रहा है. पुलिसिंग और आम लोगों की जागरूकता ने इस गांव की सूरत ही बदल दी है. अब यहां गोलियों की आवाज के बजाय किसानों की खुशहाली वाली बोली सुनाई देती है. किसानों की कड़ी मेहनत से उगाए जा रहे जरबेरा का फूल खुशहाली का संदेश दे रहे हैं.
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300 परिवार कर रहे हैं फूलों की खेती: मसौढ़ी में गुलाब गुलदाउदी व चंपा चमेली फूलों की खेती से यहां का माहौल पूरी तरह बदल गया है. नक्सली गतिविधि की जगह अब इस इलाके में व्यापारियों की आवाजाही बढ़ गई है. इससे पहले ये अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र माना जाता था. आलम यह था कि यहां रहने वाले लोग दूसरे राज्यों में काम करने चले गए. लेकिन अब किसान अपनी जमीन पर लौटने लगे हैं. ऐसे ही एक किसान हैं कमलेश मालाकार जो घनघोर जंगलों के बीच फूलों की खेती कर रहे हैं. उनका कहना है कि 300 परिवार सिर्फ फूलों के ही खेती में लगे हुए हैं.
"चैनपुर गांव में सैकड़ों एकड़ में फूलों की खेती होती है. यहां 300 परिवार सिर्फ फूलों के ही खेती में लगे हुए हैं. यहां से बहुत दूर दूर तक फूल का डिमांड होती है. नक्सलियों की धमक से आम आदमी तो छोड़िए पुलिस की भी हिम्मत नहीं होती थी कि दिन के उजाले में उस इलाके में प्रवेश करें लेकिन बदलते वक्त के ब्यार में फिजा बदल रही है. " -कमलेश मालाकार, चैनपुर, भगवानगंज, मसौढ़ी
नक्सलियों का सफाया: पुलिस और ग्रामीणों के सहयोग से ही नक्सलियों का सफाया हो पाया है. नक्सलियों का सफाया होने के कारण गांव के लोग जो पलायन करके बाहर लेकर चले गए थे. अब वे अपना व्यापार गांव में ही शुरू कर रहे हैं. जिसका जीता जागता उदाहरण मसौढ़ी का चैनपुर गांव है. चैनपुर गांव में गेंदा, गुलाब, गुलदाउदी और चंपा-चमेली फूल समेत कई फूलों की खेती होती है. फूल राजधानी पटना समेत नेपाल काठमांडू एवं अन्य जिलों में भेजे जाते हैं. अपना जीवन गुजर-बसर कर रहे हैं।