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पटना: छठ पर्व में घाटों पर आज भी निभाई जाती है पुरानी परंपरा - छठ पूजा का दूसरा दिन

जिले में छठ पर्व के दूसरे दिन घाटों पर महिलाओं की भीड़ देखी जा रही है. व्रती महिलाएं खरना का प्रसाद बनाने के लिए घाटों पर गंगा जल लेने पहुंच रही हैं. इसके साथ ही महिलाएं पुरानी परंपराओं के साथ पैरों को आलता से रंगवाते हुए भी देखी गईं.

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Published : Nov 19, 2020, 1:03 PM IST

Updated : Nov 19, 2020, 2:10 PM IST

पटना: जिले में छठ पर्व के दूसरे दिन घाटोंं पर श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिली. लोक आस्था के इस महापर्व के दूसरे दिन खरना प्रसाद बनाने की परंपरा है. वहीं गंगा स्नान से पहले सदियों पुरानी परंपरा आज भी छठ व्रति निभाती देखी गई. तो आइये जानते हैं कौन सी है पुरानी वह परंपरा...

देखे रिपोर्ट.
सदियों से चली आ रही पुरानी परंपरादरअसल सदियों पुरानी परंपरा चलती आ रही है कि किसी भी शुभ कार्य से पहले महिलाएं अपने पैरों को आलता से रंगवाती हैं. इस कड़ी में गांधी घाट पर बैठी महिलाएं घाटों पर आने वाली छठ व्रतियों के नाखून काटती है और पैरों को आलता से रंगती हैं. हर वर्ष छठ घाटों पर व्रतियों के नाखून काटने और पैरों को रंगने का काम किया जाता है. इस दौरान छठ व्रत के नहाए खाए और खरना के दिन घाटों पर बैठी महिलाएं हजारों रुपयों का लाभ प्राप्त कर लेती हैं.

ये भी पढ़ें: जानिए, छठ महापर्व में नहाय खाए के दिन कद्दू खाने का महत्व
पैरों का रंगवाना माना जाता है शुभ
गंगा जल ले जाने वाली छठ व्रति महिलाएं बताती है कि सदियों पुरानी इस परंपरा को वे आज भी निभाती चली आ रही हैं. हर शुभ कार्य से पहले पैरों को आलता से रंगवाना शुभ माना जाता है. छठ व्रत में व्रति महिलाएं घाटो पर ही अपने नाखूनों को कटवाने से लेकर गंगा स्नान के बाद पैरो को रंगवाने की पौराणिक प्रथा निभाती चली आ रही हैं.

पटना: जिले में छठ पर्व के दूसरे दिन घाटोंं पर श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिली. लोक आस्था के इस महापर्व के दूसरे दिन खरना प्रसाद बनाने की परंपरा है. वहीं गंगा स्नान से पहले सदियों पुरानी परंपरा आज भी छठ व्रति निभाती देखी गई. तो आइये जानते हैं कौन सी है पुरानी वह परंपरा...

देखे रिपोर्ट.
सदियों से चली आ रही पुरानी परंपरादरअसल सदियों पुरानी परंपरा चलती आ रही है कि किसी भी शुभ कार्य से पहले महिलाएं अपने पैरों को आलता से रंगवाती हैं. इस कड़ी में गांधी घाट पर बैठी महिलाएं घाटों पर आने वाली छठ व्रतियों के नाखून काटती है और पैरों को आलता से रंगती हैं. हर वर्ष छठ घाटों पर व्रतियों के नाखून काटने और पैरों को रंगने का काम किया जाता है. इस दौरान छठ व्रत के नहाए खाए और खरना के दिन घाटों पर बैठी महिलाएं हजारों रुपयों का लाभ प्राप्त कर लेती हैं.

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पैरों का रंगवाना माना जाता है शुभ
गंगा जल ले जाने वाली छठ व्रति महिलाएं बताती है कि सदियों पुरानी इस परंपरा को वे आज भी निभाती चली आ रही हैं. हर शुभ कार्य से पहले पैरों को आलता से रंगवाना शुभ माना जाता है. छठ व्रत में व्रति महिलाएं घाटो पर ही अपने नाखूनों को कटवाने से लेकर गंगा स्नान के बाद पैरो को रंगवाने की पौराणिक प्रथा निभाती चली आ रही हैं.

Last Updated : Nov 19, 2020, 2:10 PM IST
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