पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के जनता दरबार (CM Janata Darbar) में लोग कई तरह की समस्याओं को लेकर पहुंच रहे हैं. वहीं, जनता दरबार के बाहर भी लोगों की संख्या कम नहीं रही है. पिछले साल ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराने वाले लोग भी जनता दरबार में बुलाने का इंतजार कर रहे हैं. सोमवार को जनता दरबार के बाहर नवादा, मधुबनी, समस्तीपुर, औरंगाबाद, कैमूर सहित कई जिलों के लोग पहुंचे थे. लेकिन उन्हें बिना मुलाकात के ही लौटना पड़ा.
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जनता दरबार के बाहर जुटी लोगों की भीड़: प्रदेश के कई जिलों से लोग इस उम्मीद से आए थे कि मुख्यमंत्री से मुलाकात हो जाएगी, लेकिन प्रक्रिया बदलने के कारण अब ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराने वाले लोगों को ही बुलाया जाता है. उसमें भी जिला प्रशासन के जांच पड़ताल के बाद ही जनता दरबार में लोग पहुंचते हैं. ऐसे में जनता दरबार के बाहर पहुंचे लोगों को निराश होकर लौटना पड़ा.
सीएम से मुलाकात नहीं होने से लोग परेशान: जनता दरबार के बाहर पहुंचे साबो देवी नवादा से आई हैं और कह रहे हैं कि जदयू के लिए लंबे समय से काम करते रहे हैं. उसके बावजूद उनकी बात सुनी नहीं जा रही है. उन्होंने कहा कि सात महीना पहले वे ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराए थे लेकिन अभी तक जनता दरबार के लिए बुलावा नहीं आया है. छपरा से आई चिंता देवी की समस्या जमीन से जुड़ा हुआ है. इनका कहना है कि कोई काम नहीं हो रहा है. वहीं, मधुबनी से आए रामप्रसाद सादा का कहना है कि दबंग जमीन को लेकर मारपीट करते हैं. सब जगह शिकायत करने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है. जिसको लेकर वे जनता दरबार में न्याय की गुहार लगाने आए हैं.
महीनों से रजिस्ट्रेशन कराके कर रहे हैं इंतजार: जनता दरबार के बाहर औरंगाबाद, समस्तीपुर और अन्य जिलों से अलग-अलग समस्याओं को लेकर आए लोग अपनी पीड़ा बता रहे हैं, लेकिन जनता दरबार के बाहर इनकी पीड़ा कोई सुनने वाला नहीं है. बता दें कि लोग सबसे अधिक जमीन विवाद की समस्या लेकर आते हैं और उसके बाद पुलिस से संबंधित शिकायतें भी लोग लेकर पहुंच रहे हैं. गौरतलब है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार महीने के पहले सोमवार को गृह विभाग और राजस्व भूमि सुधार सहित कई विभागों की शिकायतें सुनते हैं. लोग यहां इस उम्मीद से आते हैं कि उनकी शिकायतें मुख्यमंत्री तक पहुंच जाएगी, लेकिन बिना रिजस्ट्रेशन के आने वाले लोगों को निराश होकर लौटना पड़ता है.
पांच साल बाद 2021 में हुई जनता दरबार की शुरूआत: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 2021 में 5 सालों के बाद जनता दरबार की शुरुआत की थी और 12 जुलाई को पहला जनता दरबार लगा था. जिसमें 146 लोग पहुंचे थे. जनता दरबार को दोबारा शुरू हुए 1 साल लगभग हो गए हैं. इसमें कोरोना के कारण भी लंबे समय तक जनता दरबार का कार्यक्रम बंद रहा. विधानसभा के कारण भी जनता दरबार नहीं चला. लेकिन 1 साल में सबसे अधिक 6 दिसंबर 2021 को 200 लोगों की मुख्यमंत्री ने शिकायतें सुनी थी.
कोरोना काल में घटी लोगों की संख्या: हालांकि, 2006 से 2016 तक जब मुख्यमंत्री जनता दरबार लगाते थे तो औसतन 800 से 1000 लोग जनता दरबार में पहुंचते थे. एक सोमवार को तो 2200 लोगों ने मुख्यमंत्री से अपनी शिकायतें जनता दरबार में सुनाई थी. 2006 से 2016 तक 10 सालों में मुख्यमंत्री ने 241 जनता दरबार का कार्यक्रम किया था. जिसमें 2,77,249 मामलों का मुख्यमंत्री ने निष्पादन किया था. उस मुकाबले पिछले साल 12 जुलाई से शुरू हुए जनता दरबार कार्यक्रम में एक चौथाई से भी कम लोगों की शिकायतें मुख्यमंत्री सुन रहे हैं.
रजिस्ट्रेशन करने वाले लोगों की संख्या में हो रही बढ़ोतरी: रजिस्ट्रेशन करने वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है. हालांकि, सही आंकड़ा अभी मुख्यमंत्री कार्यालय के पास भी नहीं है. लेकिन हजारों की संख्या में लोग रजिस्ट्रेशन करा कर जनता दरबार आने का इंतजार कर रहे हैं. 12 जुलाई 2021 से जनता दरबार की शुरुआत हुई है. जनता दरबार में कुछ इस प्रकार से लोग पहुंचे हैं. जिन की शिकायतें मुख्यमंत्री ने सुनी है. 12 जुलाई, 2021 को 146 लोगों की शिकायतें सुनी गई है. 8 नवंबर, 2021 को 160 शिकायतें सीएम ने सुनी है. 6 दिसंबर, 2021 को 200, 21 फरवरी, 2022 को 125, 11 अप्रैल, 2022 को 132, 18 अप्रैल, 2022 को 127, 9 मई, 2022 को 133, 6 जून, 2022 को 173 और 4 जुलाई 22 को 89 शिकायतें सीएम ने सुनी हैं.
जमीन की समस्या को लेकर सबसे ज्यादा पहुंचते हैं फरियादी: सबसे अधिक समस्या जमीन को लेकर है और उसके बाद पुलिस से संबंधित शिकायतें भी लोग लेकर पहुंच रहे हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार महीने के पहले सोमवार को गृह विभाग और राजस्व भूमि सुधार सहित कई विभागों की शिकायतें सुनते हैं. इसीलिए बड़ी संख्या में लोग काफी उम्मीद के साथ पहुंचते हैं कि उनकी शिकायतें मुख्यमंत्री तक पहुंच जाएगी. लेकिन लोगों को निराश होकर लौटना पड़ता है.
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