पटना: रेलवे स्टेशन पर यात्रियों की भीड़ में सबसे ज्यादा प्रवासी मजदूर ही नजर आ रहे हैं. पटना से एर्नाकुलम जाने वाले ट्रेन में हजारों की संख्या में बिहारी मजदूर सफर कर अपने कार्यस्थल को लौट रहे हैं. छठ महापर्व की समाप्ति के बाद एक बार फिर से पटना स्टेशन पर यात्रियों की भीड़ देखने को मिल रही है.
पटना रेलवे स्टेशन पर उमड़ी भीड़: इस भीड़ को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि बिहार सरकार के जो रोजगार देने के दावे हैं वो खोखले साबित हुए हैं. अधिकांश बिहारी मजदूरों का कहना है कि बिहार में रोजगार नहीं है और यही कारण है कि हम लोगों को आंध्र प्रदेश जाकर पैसा कमाना पड़ता है. अगर बिहार में रोजगार होता तो फिर हम लोग इतनी दूर रोजगार के लिए नहीं जाते.
"तिरुपुर जा रहा हूं जो कि तमिलनाडु में है. वहां पर राजमिस्त्री का काम करता हूं. बिहार में कोई काम नहीं है तो क्या करूंगा. जाना मजबूरी है."- विकास कुमार, प्रवासी मजदूर
"देखिए कतार में लगे हैं. अब सीट मिलेगी कि नहीं पता नहीं. रोजगार बिहार में नहीं है तो दूसरे प्रदेश जाना तो हमारी मजबूरी है."-मदन कुमार,प्रवासी मजदूर
बिहार में रोजगार नहीं है और इसीलिए हम लोग काम करने के लिए दूसरे प्रदेश जा रहे हैं. अगर बिहार में रोजगार रहता तो फिर हम लोगों को दिक्कत नहीं होता. हम वैशाली से आए हैं और तमिलनाडु जा रहे हैं. बिहार में अगर कहीं भी मजदूरी मिल जाती तो फिर हम लोग क्यों जाते.- संजय कुमार, प्रवासी मजदूर
बड़ी संख्या में काम करने बाहर जाते हैं लोग: पटना से एर्नाकुलम एक्सप्रेस से सफर कर रहे अधिकांश मजदूरों ने स्पष्ट रूप से बताया कि बिहार में सरकार कुछ भी दावे कर ले लेकिन यहां रोजगार नहीं रहने के कारण मजबूरी में पलायन करना पड़ता है. कुल मिलाकर देखें तो छठ महापर्व के खत्म होते ही बड़ी संख्या में बिहारी मजदूर अब अपने कार्य स्थल को जाने लगे हैं और पटना रेलवे स्टेशन पर भारी भीड़ का नजारा देखने को मिल रहा है.
छठ पूजा के दौरान भी दिखी थी भारी भीड़: बिहार में छठ पूजा के दौरान ट्रेनों में काफी भीड़ होती है. इस बार छठ पूजा 17 नवंबर से शुरू हुई और इसका समापन 20 नवंबर को हुआ. इस दौरान महानगरों के स्टेशनों पर जबरदस्त भीड़ देखने को मिली. बिहार आने वाले हवाई जहाज का किराया भी काफी अधिक था.
लाखों लोग बिहार से बाहर करते हैं काम: बिहार में पलायन का दर्द नया नहीं है. छठ को लेकर घर लौटने वाले लोग एक बार फिर से काम को लौटने को विवश हैं. 7 नवंबर को विधानसभा में जातीय गणना और आर्थिक सर्वे रिपोर्ट में बताया गया कि कुल 53 लाख 10 हजार 978 लोग बाहर दूसरे राज्यों या फिर दूसरे देश में रोजगार या शिक्षा के लिए पलायन कर गए हैं.
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