पटना: बिहार (Bihar) में लगातार हत्या, लूट, अपहरण, दुष्कर्म, डकैती और चोरी जैसी वारदातों (Crime) में बढ़ोतरी हो रही है. साल 2021 के हत्या के आंकड़ों पर नजर डाले तो हर माह में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. साल 2021 के जनवरी माह में जहां 194 हत्या के मामले दर्ज हुए थे. वहीं, फरवरी माह में 220, मार्च में 226 और अप्रैल में 234 मामले दर्ज हुए हैं, जबकि अप्रैल माह पूर्ण रूप से कोरोना संक्रमण से जूझ रहा था.
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बिहार में लगातार बढ़ रहे अपराध के ग्राफ को लेकर पुलिस मुख्यालय (Police Headquarter) का कहना है कि पिछले साल की तुलना में कुछ मामलों में बढ़ोतरी आई है, तो कुछ मामलों में जरूर कमी दर्ज की गई है. अपराध पर अंकुश लगाने को लेकर पुलिस मुख्यालय की तरफ से हर कदम उठाया जा रहा है.
बिहार में लगातार बढ़ रहे अपराध के ग्राफ को लेकर पॉलिटिकल एक्सपर्ट डॉ. संजय कुमार ने ईटीवी भारत को बताया कि लगातार अपराध बढ़ने का सबसे मुख्य कारण है कि ईमानदार और प्रोफेशनल अधिकारियों के पोस्टिंग में भेदभाव होता है, जिस वजह से अपराध पर लगाम लगाने में कहीं न कहीं बिहार सरकार फेल साबित हो रही है.
''बिहार सरकार के पास पुलिस फोर्स सीमित है और उन्हें मल्टीटास्किंग में लगा दिया गया है. जैसे बालू और शराब माफियाओं को पकड़ने में उन्हें लगा दिया गया है. तो वह कैसे अपराध अंकुश लगाने पर काम कर पाएंगे.''- डॉक्टर संजय कुमार, पॉलिटिकल एक्सपर्ट
पिछले 2 सालों से पूरा बिहार सहित पूरा देश कोरोना का संक्रमण झेल रहा है. बिहार में नौकरियां नहीं हैं, व्यापार बंद हैं, ऐसे में युवा वर्ग को अपने खर्च के लिए पैसों की जरूरत तो है ही और अपराध में कदम बढ़ाना उन्हें आसान लगता है, जिस वजह से युवाओं के लिए रोजगार मुहैया करवाना राज्य सरकार के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है.
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उन्होंने कहा कि सिस्टम में जो लूप होल है, जिसके वजह से अपराधी अपराध करने के बाद भी निश्चिंत रहते हैं कि वह थाने से या कोर्ट से बरी हो जाएंगे. कहीं ना कहीं इन्हें दूर करने की राज्य सरकार और पुलिस को जरूरत है. तभी अपराध पर अंकुश लगाने में राज्य सरकार कामयाब हो पाएगी.