पटना: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार ( Kanhaiya Kumar ) बहुत जल्द कांग्रेस ( Congress ) में शामिल हो सकते हैं. मीडिया रिपोर्ट की माने तो कन्हैया 28 सितंबर को कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं. हालांकि अभी तक आधिकारिक तौर पर इस बात की पुष्टि नहीं हुई है.
दरअसल, कांग्रेस को बिहार में युवा चेहरा चाहिए. प्रदेश कांग्रेस के ज्यादातर नेता काफी वरिष्ठ हो चुके हैं. बिहार में कांग्रेस को कन्हैया की जरूरत है तो कन्हैया के पास कांग्रेस के अलावा कोई दूसरा उपाय भी नहीं है. क्योंकि लालू यादव की पार्टी आरजेडी ( RJD ) में तेजस्वी से आगे के रास्ते बंद हैं. लोक जनशक्ति पार्टी ( LJP ) में चिराग के अलावा किसी और की जरूरत ही नहीं है.
ये भी पढ़ें- कन्हैया कुमार ने थामा 'हाथ' तो क्या मिलेगी कांग्रेस में जिम्मेदारी?
तेजस्वी और चिराग, लगातार नीतीश कुमार को चुनौती दे रहे हैं. मगर बिहार कांग्रेस के पास वैसा कोई नहीं है जो चिराग-तेजस्वी की तरह राज्य की एनडीए सरकार से आंख मिलाकर बात कर सके. कन्हैया के पार्टी में शामिल करने से आनेवाले समय में न सिर्फ नीतीश कुमार, बल्कि तेजस्वी और चिराग के लिए भी चुनौती होगी. हालांकि जेएनयू में 'नारेबाजी कांड' की वजह से कांग्रेस में भी एक गुट कन्हैया को स्वीकार करने को तैयार नहीं है.
बिहार कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता राजेश राठौर कहते हैं कि देश के कई नेता राहुल गांधी के संपर्क में हैं. जिस किसी को भी पार्टी और हमारे नेता में भरोसा है, कांग्रेस उसका सम्मान करती है. राजेश राठौर ने कहा कि 'औपचारिक तौर पर प्रदेश कांग्रेस को कन्हैया कुमार को लेकर कोई सूचना नहीं मिली है लेकिन कन्हैया कुमार बड़े नेता हैं और अगर वह पार्टी में शामिल होते हैं तो पार्टी को मजबूती मिलेगी.
बता दें कि सीपीआई ( CPI ) ने अपने युवा नेता कन्हैया कुमार को बिहार में चेहरा बनाया और 2019 के लोकसभा चुनाव में बेगूसराय से गिरिराज सिंह के खिलाफ टिकट भी दिया. हालांकि कन्हैया को चुनाव में शिकस्त मिली थी. उसके बाद वे तब विवादों में आए गए, जब पटना के प्रदेश कार्यालय में राज्य सचिव के बीच उलझ गए.
ये भी पढ़ें- कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं कन्हैया कुमार और जिग्नेश मेवानी
कन्हैया समर्थकों ने उस दौरान खूब बवाल काटा था. बाद में अनुशासनहीनता को लेकर सीपीआई की हैदराबाद में हुई बैठक में कन्हैया के खिलाफ निंदा प्रस्ताव भी पारित किया गया था. उपेक्षा पूर्ण रवैये के बाद से कन्हैया पार्टी नेतृत्व से खफा चल रहे थे. इसी बीच उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी मुलाकात की थी. बाद में उन्होंने सीपीआई मुख्यालय में अपना दफ्तर भी खाली कर दिया है.
विवादों के बीच चर्चा है कि कन्हैया पाला बदलने की तैयारी में हैं. खबरों की माने तो प्रशांत किशोर की मौजूदगी में उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी से दो बार मुलाकात भी की है. दरअसल, बिहार में कांग्रेस पार्टी को भी युवा चेहरे की तलाश है. पार्टी को पिछले 5 विधानसभा चुनाव में उम्मीद के मुताबिक सफलता नहीं मिली है.
कांग्रेस को 2005 के फरवरी वाले चुनाव में 10 सीटें मिली थी, जबकि अक्टूबर 2005 चुनाव में घटकर संख्या 9 रह गई. 2010 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस महज 4 सीटों पर सिमट कर रह गई. हालांकि 2015 में आंकड़ा बढ़ा और 27 सीटें मिली. वहीं, 2020 में आंकड़ा घटकर 19 रह गया है. 2019 के लोकसभा चुनाव में मात्र एक सीट ( किशनगंज ) पर जीत मिली थी.
गौरतलब है कि कन्हैया कुमार का विवादों से गहरा नाता रहा है. 2015 में जेएनयू के छात्र संघ चुनाव में कन्हैया कुमार को जीत हासिल हुई थी. जेएनयू में ही देश विरोधी नारे लगने के बाद कन्हैया कुमार सुर्खियों में आए थे और उनके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज हुआ था.
ये भी पढ़ें- कन्हैया कुमार को नए आशियाने की तलाश, थामेंगे राहुल गांधी का 'हाथ'?
वहीं, बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता अरविंद सिंह का कहना है कि कांग्रेस के पास ना तो कई नेता है, ना ही कोई नीति. कन्हैया पर देशद्रोह का आरोप है. ऐसे लोगों को कांग्रेस पार्टी ही स्वीकार कर सकती है. उन्होंने कहा कि कन्हैया कुमार की छवि से देश वाकिफ है. अगर वे कांग्रेस में जाते भी हैं तो बीजेपी को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है. कांग्रेस आज की तारीख में प्रसांगिक नहीं है.