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रेलवे यार्ड में पड़ा है Isolation Coach, इधर बेड के अभाव में तड़पकर दम तोड़ रहे मरीज

पिछले साल कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए रेल कोच को आइसोलेशन वार्ड में बदला गया था. जोकि फिलहाल विभिन्न स्टेशनों के यार्ड में पड़ा है. सरकार उसका इस्तेमाल नहीं कर रही है. दूसरी तरफ प्रदेश में कोरोना के नए मरीजों को अस्पताल में बेड नहीं मिल रहे हैं. परिजन संक्रमित को लेकर अस्तपाल दर अस्पताल भटकने को मजबूर हैं. बेड के अभाव में कई मरीजों की मौत भी हो जा रही है.

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Published : Apr 15, 2021, 8:34 PM IST

Updated : Apr 16, 2021, 12:08 AM IST

पटनाः कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच राजधानी पटना में अस्पतालों के बेड भर गए हैं. नए मरीजों को बेड नहीं मिल पा रहा है. बेड के लिए परिजन संक्रमित मरीज को लेकर इधर-उधर भटक रहे हैं. अस्पताल में बेड नहीं मिलने से कई मरीजों की मौत भी हो गई.

ये भी पढ़ेंः NMCH का कारनामा: मरीज को चढ़ा दिया मिनरल वाटर

रेलवे यार्ड में पड़ा है आइसोलेशन कोच
वहीं, दूसरी तरफ लाखों की लागत से तैयार कोविड-19 आइसोलेशन कोच रेलवे यार्ड में पड़ा है. जिसका इस्तेमाल कर लोगों की जान बताई जा सकती है. पाटलिपुत्र जंक्शन पर 25 बोगियों का आइसोलेशन कोच खड़ा है. जिसमें 400 से अधिक बेड की क्षमता है. इसके अलावा दानापुर स्टेशन के यार्ड में आइसोलेशन कोच खड़ा है.

रेलवे यार्ड में पड़ा Isolation Coach
रेलवे यार्ड में पड़ा Isolation Coach

240 कोचों को बनाया गया था आइसोलेशन वार्ड
बता दें कि पिछले साल जब कोरोना संक्रमण अपने चरम पर था. मरीजों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही थी. कोविड-19 डेडिकेटेड अस्पतालों में बेड कम पड़ने लगे थे. तब सरकार के निर्देश पर रेलवे कोच को आइलोशन सेंटर में बदलने की कवायद शुरू हुई थी. इसके तहत पूर्व मध्य रेलवे ने ट्रेन के 240 कोचों को आइसोलेशन वार्ड में बदला था. हालात बिगड़ती देख राज्य सरकार ने आइसोलेशन कोच को विभिन्न स्टेशनों पर खड़ा रखा था. ताकि जरूरत पड़ने पर इसका इस्तेमाल किया जा सके, लेकिन स्थिति धीरे-धारे सामान्य होता गया और इसकी जरूरत पड़ी ही नहीं. उसके बाद आइसोलेशन कोच को यार्ड में खड़ा कर दिया गया.

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पूर्व मध्य रेल के पीआरओ संजय कुमार प्रसाद ने फोन पर बताया 'कोविड-19 आइसोलेशन कोच के इस्तेमाल के संबंध में जोनल स्तर पर कोई निर्णय नहीं लिया जाता है. भारतीय रेल बोर्ड के द्वारा जो निर्णय लिया जाएगा, सभा जगहों पर उसी का पालन किया जाएगा.'

स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय(फाइल फोटो)
स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय(फाइल फोटो)

वहीं, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने दावा किया है 'बिहार में कोरोना मरीजों के लिए बेड की कोई कमी नहीं है. जल्द ही पटना स्थित आईजीआईएमएस में भी कोरोना संक्रमितों का इलाज शुरू किया जाएगा.'

17 अप्रैल को सर्वदलीय बैठक
बिहार में कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमण तेजी से फैल रहे हैं. पिछले दो दिनों से 4 हजार से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं. बुधवार को 4,786 लोगों की कोरोना जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. स्वास्थ्य विभाग के ताजा आकंड़े के अनुसार फिलहाल कोरोना 23,724 सक्रिय मरीज है. राजधानी पटना कोरोना का हॉट स्पोर्ट बन गया है. प्रदेश में सबसे ज्यादा मामले पटना से ही सामने आ रहे हैं. यहां रोजाना हजार से ज्यादा मरीज मिल रहे हैं. सरकार ने 17 अप्रैल को सर्वदलीय बैठक बुलाई है. जिसमें किसी बड़े फैसले की अटकलें लगाई जा रही है.

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बता दें कि केंद्र ने पिछले साल अप्रैल माह में कोविड-19 आइसोलेशन कोच के लिए पहला प्रोटोटाइप बनाया था, मई 2020 तक कोविड -19 के मामलों में वृद्धि की संभावना को देखते हुए रेलवे ने 15 राज्यों के 215 स्टेशनों में तैनात करने के लिए 5,231 रेलवे कोच तैयार किए थे.

लेकिन राज्यों से कोविड-19 आइसोलेशन कोच की बहुत कम मांग आने की वजह से रेलवे ने 21 मई 2020 को अपने सभी जोन्स को पत्र लिखकर 60फीसदी आइसोलेशन कोच का इस्तेमाल सामान्य लोगों के लिए करने को कहा था. इन कोच को प्रवासी मजदूरों को घर पहुंचाने के लिए शुरू की गई श्रमिक स्पेशल ट्रेन के रूप में उपयोग किया गया था.

पटनाः कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच राजधानी पटना में अस्पतालों के बेड भर गए हैं. नए मरीजों को बेड नहीं मिल पा रहा है. बेड के लिए परिजन संक्रमित मरीज को लेकर इधर-उधर भटक रहे हैं. अस्पताल में बेड नहीं मिलने से कई मरीजों की मौत भी हो गई.

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रेलवे यार्ड में पड़ा है आइसोलेशन कोच
वहीं, दूसरी तरफ लाखों की लागत से तैयार कोविड-19 आइसोलेशन कोच रेलवे यार्ड में पड़ा है. जिसका इस्तेमाल कर लोगों की जान बताई जा सकती है. पाटलिपुत्र जंक्शन पर 25 बोगियों का आइसोलेशन कोच खड़ा है. जिसमें 400 से अधिक बेड की क्षमता है. इसके अलावा दानापुर स्टेशन के यार्ड में आइसोलेशन कोच खड़ा है.

रेलवे यार्ड में पड़ा Isolation Coach
रेलवे यार्ड में पड़ा Isolation Coach

240 कोचों को बनाया गया था आइसोलेशन वार्ड
बता दें कि पिछले साल जब कोरोना संक्रमण अपने चरम पर था. मरीजों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही थी. कोविड-19 डेडिकेटेड अस्पतालों में बेड कम पड़ने लगे थे. तब सरकार के निर्देश पर रेलवे कोच को आइलोशन सेंटर में बदलने की कवायद शुरू हुई थी. इसके तहत पूर्व मध्य रेलवे ने ट्रेन के 240 कोचों को आइसोलेशन वार्ड में बदला था. हालात बिगड़ती देख राज्य सरकार ने आइसोलेशन कोच को विभिन्न स्टेशनों पर खड़ा रखा था. ताकि जरूरत पड़ने पर इसका इस्तेमाल किया जा सके, लेकिन स्थिति धीरे-धारे सामान्य होता गया और इसकी जरूरत पड़ी ही नहीं. उसके बाद आइसोलेशन कोच को यार्ड में खड़ा कर दिया गया.

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पूर्व मध्य रेल के पीआरओ संजय कुमार प्रसाद ने फोन पर बताया 'कोविड-19 आइसोलेशन कोच के इस्तेमाल के संबंध में जोनल स्तर पर कोई निर्णय नहीं लिया जाता है. भारतीय रेल बोर्ड के द्वारा जो निर्णय लिया जाएगा, सभा जगहों पर उसी का पालन किया जाएगा.'

स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय(फाइल फोटो)
स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय(फाइल फोटो)

वहीं, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने दावा किया है 'बिहार में कोरोना मरीजों के लिए बेड की कोई कमी नहीं है. जल्द ही पटना स्थित आईजीआईएमएस में भी कोरोना संक्रमितों का इलाज शुरू किया जाएगा.'

17 अप्रैल को सर्वदलीय बैठक
बिहार में कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमण तेजी से फैल रहे हैं. पिछले दो दिनों से 4 हजार से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं. बुधवार को 4,786 लोगों की कोरोना जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. स्वास्थ्य विभाग के ताजा आकंड़े के अनुसार फिलहाल कोरोना 23,724 सक्रिय मरीज है. राजधानी पटना कोरोना का हॉट स्पोर्ट बन गया है. प्रदेश में सबसे ज्यादा मामले पटना से ही सामने आ रहे हैं. यहां रोजाना हजार से ज्यादा मरीज मिल रहे हैं. सरकार ने 17 अप्रैल को सर्वदलीय बैठक बुलाई है. जिसमें किसी बड़े फैसले की अटकलें लगाई जा रही है.

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बता दें कि केंद्र ने पिछले साल अप्रैल माह में कोविड-19 आइसोलेशन कोच के लिए पहला प्रोटोटाइप बनाया था, मई 2020 तक कोविड -19 के मामलों में वृद्धि की संभावना को देखते हुए रेलवे ने 15 राज्यों के 215 स्टेशनों में तैनात करने के लिए 5,231 रेलवे कोच तैयार किए थे.

लेकिन राज्यों से कोविड-19 आइसोलेशन कोच की बहुत कम मांग आने की वजह से रेलवे ने 21 मई 2020 को अपने सभी जोन्स को पत्र लिखकर 60फीसदी आइसोलेशन कोच का इस्तेमाल सामान्य लोगों के लिए करने को कहा था. इन कोच को प्रवासी मजदूरों को घर पहुंचाने के लिए शुरू की गई श्रमिक स्पेशल ट्रेन के रूप में उपयोग किया गया था.

Last Updated : Apr 16, 2021, 12:08 AM IST
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