पटनाः बिहार में कोरोना महामारी की वजह से लंबे समय से स्कूल बंद हैं. जनवरी से मार्च के बीच बारी-बारी से स्कूलों को खोला गया लेकिन एक बार फिर अप्रैल महीने से कोरोना की दूसरी लहर के कारण स्कूलों को बंद करना पड़ा है. ऐसे में बच्चों की पढ़ाई का बड़ा नुकसान हुआ है. एक सर्वे के मुताबिक बिहार में करीब 7 लाख बच्चे स्कूल खुलने के बाद वापस नहीं लौट सकेंगे.
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सर्वे में क्या है?
अजीम प्रेमजी फाउंडेशन ने देशभर में एक सर्वे किया जिसमें कक्षा 1 से 6 तक के बच्चों की पढ़ाई पर हुए रिसर्च से पता चला कि प्राथमिक कक्षा के बच्चों की सीखने की क्षमता में बड़ी कमी हुई है. स्कूल बंद रहने के कारण 92 फीसदी बच्चों ने पिछले साल की तुलना में कम से कम एक भाषा की क्षमता खो दी है. जबकि करीब 82 फीसदी बच्चों में पिछले साल की तुलना में मैथमेटिकल कैपेसिटी की कमी आई है. इस सर्वे में पांच राज्यों के 44 जिलों में स्थित 1137 पब्लिक स्कूल के 16,000 से ज्यादा बच्चे शामिल थे.
75 लाख बच्चों में सीखने की क्षमता में कमी
बिहार की बात करें तो स्कूल बंद रहने की वजह से राज्य के लगभग 75 लाख बच्चों में सीखने की क्षमता में कमी का अनुमान लगाया जा रहा है. बच्चों को डिजिटल तरीके से पढ़ाई देने की बात जरूर की जा रही है, लेकिन बिहार शिक्षा परियोजना की इस पहल को भी गरीबी की वजह से ज्यादा सफलता मिलने की उम्मीद नहीं है.
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31 प्रतिशत बच्चों के पास डिजिटल उपकरण नहीं
अनुमान के मुताबिक, राज्य के 31 प्रतिशत बच्चों के पास डिजिटल उपकरण नहीं हैं. वहीं 14 से 18 आयु वर्ग में लगभग 5.49% लड़कियां और करीब 0.26% लड़कों के स्कूल छोड़ने की आशंका है. अनुमान के मुताबिक 93% घरों में मोबाइल है. यू डाइस की रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ 2% स्कूलों में ही कंप्यूटर है.
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