पटना: कोरोना वायरस के कारण लागू लॉक डाउन से देश की राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक गतिविधियों को काफी प्रभावित किया है. कोरोना संक्रमण का फैलाव भारत में काफी तेजी से बढ़ता ही जा रहा है. देश में कई राज्यों ने 31 मार्च तक के लिए पूरी तरह से लॉकडाउन कर दिया है. कई राज्यों में चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में चुनाव पर भी कोरोना का खतरा मंडराने लगा है. लॉकडाउन से उपजे हालातों के बाद ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि राजनीतित संकट उत्पन्न होने के बाद कई राज्यों में राष्ट्रपति शासन ही अंतिम विकल्प हो.
चुनाव की तारीखों को लेकर पशोपेश में राजनीतिक दल
बिहार चुनावी साल में है. ऐसे में कोरोना वायरस ने राजनीतिक दलों की चिंताएं बढ़ा दी हैं. कोरोना वायरस का खतरा अगर आगे भी बरकरार रहा तो राजनीतिक दलों के लिए चुनाव में जाना आसान नहीं होगा. फिलहाल राजनीतिक दल और नेता 'वेट एंड वॉच' की स्थिति में है. बता दें कि प्रदेश में अक्टूबर-नवंबर माह में विधानसभा के चुनाव होने वाले थे. उससे पहले विधान परिषद के चुनाव होने थे.लेकिन कोरोना वायरस के खतरे को लेकर फिलवक्त विधान परिषद चुनाव को भी टाल दिया गया है.
'चुनाव आयोग ही कर सकता है अंतिम निर्णय'
इसको लेकर ईटीवी भारत ने जब बिहार सरकार में मंत्री नीरज कुमार से बात की तो उन्होंने बताया कि फिलहाल बिहार सरकार का पूरा फोकस लोगों की जान बचाने पर है. अभी जदयू चुनाव के बारे में नहीं सोच रही है. उन्होंने बताया कि जहां तक सवाल विधानसभा चुनाव का है तो उस पर अंतिम फैसला चुनाव आयोग को लेना है. आयोग के फैसले के बाद पार्टी अपनी रणनीति तय करेगी. वहीं, इस मामले पर भाजपा के वरिष्ठ नेता नवल किशोर यादव ने बताया कि पार्टी विधानसभा चुनाव को लेकर चिंतित नहीं है. अभी कोरोना वायरस से जंग जारी है. इस वायरस को हराने के बाद चुनाव आयोग के निर्णय के अनुसार बिहार भाजपा आगे की सोचेगी.
'ऐसे समय में चुनाव कराना बेहद मुश्किल'
इस मसले पर राजद के मुख्य प्रवक्ता भाई वीरेंद्र ने बताया कि पूरे देश के साथ-साथ बिहार में कोरोना का कहर लगातार बढ़ते ही जा रहा है. जिला दर जिला संक्रमण की समस्या विकराल होती जा रही है. वायरस के बढ़ते प्रकोप से हालात बदतर होते जा रहे हैं. ऐसे समय में चुनाव कराना बेहद कठिन कार्य होगा. वर्तमान हालातों को ध्यान में रखते हुए कोरोना के खिलाफ जंग लंबी होने वाली है. वहीं, इन सब मामलों पर बिहार की राजनीति पर करीब से नजर रखने वाले शिक्षा वेद डीएम दिवाकर का कहना है कि वर्तमान हालात को देखते हुए ऐसा नहीं लगता है कि कोरोना वायरस पर तुरंत काबू पाया जा सकेगा. ऐसे हालात में चुनाव आयोग के लिए चुनाव की तारीख मुकर्रर करना कतई आसान नहीं होगा. संभव है कि बिहार में राष्ट्रपति शासन मजबूत विकल्प हो. लेकिन यह विकल्प उसी स्थिति में लागू होगा जब चुनाव अक्टूबर-नवंबर के बाद कराए जाएं.