पटनाः राम मंदिर ट्रस्ट के गठन के साथ ही राम मंदिर की पहली ईंट रखने वाले कामेश्वर चौपाल एक बार फिर सुर्खियों में हैं. कामेश्वर चौपाल पहले भी अपनी जाति से जुड़े विवाद को लेकर चर्चा में थे. 1999 में कामेश्वर चौपाल के खिलाफ पुलिस ने मुकदमा भी दर्ज किया था. उनके खिलाफ चार्जशीट भी दायर की गई थी.
कामेश्वर चौपाल पर जाति से जुड़ा है विवाद
राम मंदिर ट्रस्ट का सदस्य बनने के बाद कामेश्वर चौपाल काफी एक बार फिर चर्चा और विवाद के घेरे में आ गए हैं. इससे पहले कामेश्वर चौपाल अपनी जाति से जुड़े विवाद को लेकर सुर्खियों में थे. सन 1999 में अनुसूचित जाति जनजाति थाने में मामला दर्ज कराया गया था, जहां कांड संख्या 28 /1999 कामेश्वर चौपाल के खिलाफ पुलिस ने चार्जशीट भी दाखिल की थी. सीआईडी के तत्कालीन एसपी अमिताभ कुमार दास ने जांच के आदेश दिए थे.
कामेश्वर चौपाल ने आरोपों को किया था स्वीकार
इस सिलसिले में पूर्व आईपीएस अमिताभ कुमार दास ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. इस दौरान आईपीएस ने बताया कि कामेश्वर चौपाल की जाति को लेकर विवाद हुए थे और राजधानी पटना के अनुसूचित जाति जनजाति थाना में मेरे आदेश पर प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी. पुलिस ने आरोप को सही पाया और चार्जशीट भी दाखिल किया. कामेश्वर चौपाल पर अपनी जाति छुपाने के आरोप लगे थे. अमिताभ कुमार दास ने ये भी कहा कि कामेश्वर चौपाल के खिलाफ आईपीसी की धारा 419 ,465 ,468 ,470, 471 और 120 बी के तहत मामला दर्ज हुआ था. 2014 के शपथपत्र में कामेश्वर चौपाल ने अपने ऊपर लगे आरोपों को स्वीकार भी किया था.
'राजनीति से प्रेरित है मेरे उपर लगा आरोप'
इस मामले पर जब ईटीवी भारत के संवाददाता ने जब कामेश्वर चौपाल से बात कि तो उन्होंने कहा कि मेरे ऊपर जो आरोप लगे हैं, वह राजनीति से प्रेरित है. जो भी केस मेरे खिलाफ दर्ज था, उससे मैं बरी हो चुका हूं. जल्द ही मीडिया के सामने वास्तविक स्थिति का खुलासा करूंगा. कामेश्वर चौपाल ने कहा कि जिन्हें राम पर भरोसा नहीं है, वही हमारे खिलाफ षड्यंत्र कर रहे हैं.
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2014 में रामविलास के खिलाफ लड़े थे चुनाव
बता दें कि कामेश्वर चौपाल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सक्रिय सदस्य हैं. पार्टी के आदेश पर उन्होंने 1991 में रामविलास पासवान के खिलाफ चुनाव लड़ा था. लेकिन वह चुनाव हार गए थे. उसके बाद साल 2002 में वह बिहार विधान परिषद के सदस्य बने. 2014 में भी वह पार्टी के टिकट पर संसदीय चुनाव में सुपौल से रंजीता रंजन के खिलाफ चुनावी मैदान में खड़े हुए, लेकिन उन्हें कामयाबी हासिल नहीं हुई.