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संविदा स्वास्थ्य कर्मियों की चेतावनी, सरकार नहीं मानेगी मांग तो दे देंगे सामूहिक इस्तीफा

बिहार संविदा स्वास्थ्य कर्मी संघ के सचिव ललन कुमार सिंह ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर सरकार 2 से 3 दिन के अंदर संविदा कर्मियों के हित में उचित फैसला नहीं लेती है तो प्रदेश के सभी संविदा स्वास्थ्य कर्मी सामूहिक इस्तीफा दे देंगे.

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Published : May 2, 2021, 7:09 PM IST

पटना: बिहार राज्य स्वास्थ्य संविदा कर्मी संघ ने राज्य सरकार को चेतावनी दी है कि सरकार अगर बीमा और मेडिकल बीमा जैसे कार्यक्रम संविदा कर्मियों के लिए लागू करने का निर्णय 2 दिनों के अंदर नहीं लेती है तो प्रदेश के सभी संविदा स्वास्थ्य कर्मी सामूहिक इस्तीफा देने को विवश हो जाएंगे और इसके लिए स्वास्थ्य मंत्री जिम्मेदार होंगे.

ये भी पढ़ेंः 24 घंटे में 3 लाख से ज्यादा मरीज हुए ठीक, 3.92 लाख संक्रमित

बताते चलें कि कैमूर के स्वास्थ्य प्रबंधक बीरबल कुमार की रविवार को कोरोना से इलाज के दौरान मौत हो गई. बीरबल कुमार संविदा पर स्वास्थ्य कर्मी थे. ऐसे में राज्य सरकार के तरफ से उनका कोई बीमा नहीं था. पिछले 1 साल से वह बिना छुट्टी लिए मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति में कोरोना ड्यूटी में काम कर रहे थे.

बीरबल की उम्र 40 से कम थी और कोरोना से संक्रमित होने के बाद जब स्थिति ज्यादा बिगड़ गई तो स्वास्थ्य संविदा कर्मी संघ ने चंदा इकट्ठा कर बनारस के एक अस्पताल में एडमिट कराया. जहां उनकी इलाज के दौरान मौत हो गई. बीरबल कुमार के दो छोटे बच्चे हैं. ऐसे में राज्य संविदा स्वास्थ्य कर्मी संघ के सचिव ललन कुमार सिंह ने सरकार पर आरोप लगाया है कि सरकार संविदा स्वास्थ्य कर्मियों के जान से खिलवाड़ कर रही है.

‘एक साल से मिल रहा आश्वासन’
संघ के सचिव ललन कुमार सिंह का कहना है ‘पिछले 1 साल से स्वास्थ्य मंत्री लगातार सिर्फ आश्वासन दे रहे हैं कि संविदा स्वास्थ्य कर्मियों का भी परमानेंट स्वास्थ्य कर्मियों के जैसा स्वास्थ्य बीमा होगा. मगर अब तक संविदा पर काम करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों के बीमा और मेडिकल बीमा को लेकर सरकार की तरफ से कोई पहल नहीं किया गया. प्रदेश में कोरोना के इस भीषण विकट परिस्थिति में संविदा स्वास्थ्य कर्मी ही मोर्चा संभाले हुए हैं और ऐसे में उन लोगों का बीमा और मेडिकल बीमा ना हो पाना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण हैं.’

उन्होंने कहा कि अगर स्वास्थ्य मंत्री ने अपने आश्वासन के मुताबिक संविदा स्वास्थ्य कर्मियों का बीमा कर दिया रहता तो बीरबल कुमार के इलाज के लिए संघ को चंदा इकट्ठा नहीं करना पड़ता और यह बहुत ही अफसोस जनक है कि जो स्वास्थ्य कर्मी दिन रात कोरोना के इस भीषण महामारी के समय में लोगों की सेवा में लगे हुए हैं. उनके इलाज के लिए चंदा इकट्ठा करना पड़ रहा है. सचिव ललन कुमार सिंह का कहना है कि दिवंगत हुए स्वास्थ्य प्रबंधक बीरबल कुमार के दो छोटे-छोटे बच्चे हैं और ऐसे में अब उनका क्या होगा यह सरकार को सोचना होगा.

‘…तो स्वास्थ्य मंत्री होंगे जिम्मेदार’
बिहार संविदा स्वास्थ्य कर्मी संघ के सचिव ललन कुमार सिंह ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर सरकार 2 से 3 दिन के अंदर संविदा कर्मियों के हित में उचित फैसला नहीं लेती है और उनका जीवन बीमा और मेडिकल बीमा नहीं लागू करती है तो प्रदेश के सभी संविदा स्वास्थ्य कर्मी सामूहिक इस्तीफा सरकार को सौंप देंगे और इसके लिए सरकार और स्वास्थ्य मंत्री ही जिम्मेदार होंगे.

उन्होंने कहा कि सरकार ढोल पीट रही है कि कोरोना ड्यूटी में लगे स्वास्थ्य कर्मियों का वह जीवन बीमा और मेडिकल बीमा कर रही है मगर सच्चाई यह है कि परमानेंट स्वस्थ कर्मियों की संख्या प्रदेश में काफी कम है और प्रदेश में स्वास्थ्य का जिम्मा संविदा स्वास्थ्य कर्मी ही संभाले हुए हैं. आए दिन संविदा स्वास्थ्य कर्मी संक्रमित हो रहे हैं मगर सरकार इनके हित के लिए नहीं सोच रही.

पटना: बिहार राज्य स्वास्थ्य संविदा कर्मी संघ ने राज्य सरकार को चेतावनी दी है कि सरकार अगर बीमा और मेडिकल बीमा जैसे कार्यक्रम संविदा कर्मियों के लिए लागू करने का निर्णय 2 दिनों के अंदर नहीं लेती है तो प्रदेश के सभी संविदा स्वास्थ्य कर्मी सामूहिक इस्तीफा देने को विवश हो जाएंगे और इसके लिए स्वास्थ्य मंत्री जिम्मेदार होंगे.

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बताते चलें कि कैमूर के स्वास्थ्य प्रबंधक बीरबल कुमार की रविवार को कोरोना से इलाज के दौरान मौत हो गई. बीरबल कुमार संविदा पर स्वास्थ्य कर्मी थे. ऐसे में राज्य सरकार के तरफ से उनका कोई बीमा नहीं था. पिछले 1 साल से वह बिना छुट्टी लिए मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति में कोरोना ड्यूटी में काम कर रहे थे.

बीरबल की उम्र 40 से कम थी और कोरोना से संक्रमित होने के बाद जब स्थिति ज्यादा बिगड़ गई तो स्वास्थ्य संविदा कर्मी संघ ने चंदा इकट्ठा कर बनारस के एक अस्पताल में एडमिट कराया. जहां उनकी इलाज के दौरान मौत हो गई. बीरबल कुमार के दो छोटे बच्चे हैं. ऐसे में राज्य संविदा स्वास्थ्य कर्मी संघ के सचिव ललन कुमार सिंह ने सरकार पर आरोप लगाया है कि सरकार संविदा स्वास्थ्य कर्मियों के जान से खिलवाड़ कर रही है.

‘एक साल से मिल रहा आश्वासन’
संघ के सचिव ललन कुमार सिंह का कहना है ‘पिछले 1 साल से स्वास्थ्य मंत्री लगातार सिर्फ आश्वासन दे रहे हैं कि संविदा स्वास्थ्य कर्मियों का भी परमानेंट स्वास्थ्य कर्मियों के जैसा स्वास्थ्य बीमा होगा. मगर अब तक संविदा पर काम करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों के बीमा और मेडिकल बीमा को लेकर सरकार की तरफ से कोई पहल नहीं किया गया. प्रदेश में कोरोना के इस भीषण विकट परिस्थिति में संविदा स्वास्थ्य कर्मी ही मोर्चा संभाले हुए हैं और ऐसे में उन लोगों का बीमा और मेडिकल बीमा ना हो पाना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण हैं.’

उन्होंने कहा कि अगर स्वास्थ्य मंत्री ने अपने आश्वासन के मुताबिक संविदा स्वास्थ्य कर्मियों का बीमा कर दिया रहता तो बीरबल कुमार के इलाज के लिए संघ को चंदा इकट्ठा नहीं करना पड़ता और यह बहुत ही अफसोस जनक है कि जो स्वास्थ्य कर्मी दिन रात कोरोना के इस भीषण महामारी के समय में लोगों की सेवा में लगे हुए हैं. उनके इलाज के लिए चंदा इकट्ठा करना पड़ रहा है. सचिव ललन कुमार सिंह का कहना है कि दिवंगत हुए स्वास्थ्य प्रबंधक बीरबल कुमार के दो छोटे-छोटे बच्चे हैं और ऐसे में अब उनका क्या होगा यह सरकार को सोचना होगा.

‘…तो स्वास्थ्य मंत्री होंगे जिम्मेदार’
बिहार संविदा स्वास्थ्य कर्मी संघ के सचिव ललन कुमार सिंह ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर सरकार 2 से 3 दिन के अंदर संविदा कर्मियों के हित में उचित फैसला नहीं लेती है और उनका जीवन बीमा और मेडिकल बीमा नहीं लागू करती है तो प्रदेश के सभी संविदा स्वास्थ्य कर्मी सामूहिक इस्तीफा सरकार को सौंप देंगे और इसके लिए सरकार और स्वास्थ्य मंत्री ही जिम्मेदार होंगे.

उन्होंने कहा कि सरकार ढोल पीट रही है कि कोरोना ड्यूटी में लगे स्वास्थ्य कर्मियों का वह जीवन बीमा और मेडिकल बीमा कर रही है मगर सच्चाई यह है कि परमानेंट स्वस्थ कर्मियों की संख्या प्रदेश में काफी कम है और प्रदेश में स्वास्थ्य का जिम्मा संविदा स्वास्थ्य कर्मी ही संभाले हुए हैं. आए दिन संविदा स्वास्थ्य कर्मी संक्रमित हो रहे हैं मगर सरकार इनके हित के लिए नहीं सोच रही.

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