बिहार: सूबे में जहां पेयजल संकट की कल्पना भी लोग नहीं करते थे. अब वहां कई ईलाकों में जल की हालात बद से बदतर होती चली जा रही है. पीएचइडी विभाग के अनुसार बिहार के 1876 पंचायतों में ग्राउंड वाटर नीचे चला गया है. साथ ही 4.5 लाख से ज्यादा हैंडपंप सूख चुके हैं.
18 जिलों में पेयजल संकट
बिहार में वाटर लेवल लगातार नीचे जा रही है. भीषण गर्मी में पेयजल के लिए नगर के लोगों में हाहाकार मचा हुआ है. राज्य में पहले डेढ़ सौ से ज्यादा छोटी बड़ी नदियां थीं. जिसमें 48 से ज्यादा नदियां पूर्ण रूप से सूख गई है. भूजल स्तर के नीचे गिरने के चलते जिले के अधिकतर हैंडपंप बेकार साबित हो रहे हैं। लगभग 18 जिलों में पेयजल संकट अचानक से बढ़ गया है.
ग्राउंड वाटर लेवल का लगातार घटते जाना.
नगर मत्स्य निदेशालय का कहना है कि 20 साल पहले बिहार में 2.5 लाख से ज्यादा निजी और सरकारी तालाब थे. लेकिन अब घटकर 98401 हो गई है. निश्चित तौर पर यह आंकड़ा चौंकाने वाले हैं और कहीं न कहीं जलस्तर में जो गिरावट हो रही है इसका एक कारण यह भी है.
जल स्तर को मेंटेन करने में लगे लघु सिंचाई विभाग
लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग और लघु सिंचाई विभाग के द्वारा यह लगातार दावा किया जा रहा है कि हम इस पर नियंत्रण कर रहे है. लघु सिंचाई विभाग के मंत्री का कहना है कि जल स्तर को मेंटेन करने के लिए पुराने तालाबों और छोटे-छोटे जल स्रोतों की सफाई का कार्य शुरू कर दिया गया है.
टैंकर के माध्यम से भीषण गर्मी में पानी पहुंचाई जा रही
सरकार के द्वारा कई जगहों पर टैंकर के माध्यम से भीषण गर्मी में पानी पहुंचाई जा रही है. राजधानी पटना के भी कई मोहल्लों के पुराने चापाकल सूखने के कगार पर है. अगर इस तरह ग्राउंड वाटर का लेबल घटता चला गया तो वह दिन दूर नहीं कि बिहार के कई ऐसे पंचायत होंगे जहां पर सरकार को पेयजल के लिए अलग से इंतजाम करने पड़ेंगे.