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तेजस्वी की सियासत पर ग्रहणः कांग्रेस के साथ आए युवा ब्रिगेड और धुरंधर

बिहार में दो सीटों पर हो रहे उपचुनाव को लेकर राजद की राह आसान नहीं दिख रही है. कांग्रेस के साथ कन्हैया कुमार, हार्दिक पटेल औऱ जिग्नेश मेवानी आ चुके हैं. पप्पू यादव भी कांग्रेस के साथ आ चुके हैं. ऐसे में कांग्रेस राजद के साथ दो-दो हाथ के लिए तैयार है.

बिहार की राजनीति
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Published : Oct 23, 2021, 11:10 PM IST

पटना: बिहार में विधानसभा के 2 सीटों के लिए उपचुनाव (Bihar Assembly By-Election) हो रहे हैं. उपचुनाव में महागठबंधन के अस्तित्व पर संकट उत्पन्न हो गया है. राजद और कांग्रेस की राहें अलग-अलग हैं. कांग्रेस नेता राजद को आंखें दिखा रहे हैं. कन्हैया कुमार, हार्दिक पटेल और जिग्नेश की एंट्री कांग्रेस में हो चुकी है. पूर्व सांसद पप्पू यादव को भी हाथ का साथ मिल चुका है. आत्मविश्वास से लबरेज कांग्रेस राजद से दो-दो हाथ के लिए तैयार है. ऐसे में तेजस्वी के लिए राह आसान नहीं दिख रही है.

यह भी पढ़ें- RJD-Congress: 2 नवंबर के बाद 'हम साथ-साथ हैं' या जुदा होंगी राहें

कुशेश्वरस्थान सीट की हकमारी होने पर कांग्रेस नेताओं का गुस्सा सातवें आसमान पर आ गया है. पटना से लेकर दिल्ली तक मंथन का दौर चला. आखिरकार कांग्रेस ने आरपार की लड़ाई छेड़ दी है. दोनों सीटों पर उम्मीदवार खड़े कर दिए. राजद पर इस बात के लिए भी दबाव बनाया गया कि वह कुशेश्वरस्थान सीट से अपना उम्मीदवार वापस ले लें. लेकिन राजद की ओर से सुलह की गुंजाइश नहीं छोड़ी गई. अंततः दोनों दलों की राहें अलग-अलग हो गई.

देखें वीडियो

कन्हैया कुमार हार्दिक पटेल और जिग्नेश कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं और उपचुनाव में हाथ को पप्पू यादव का साथ मिल चुका है. कांग्रेस नेताओं के तेवर सातवें आसमान पर हैं और अब कांग्रेस नेता राजद नेताओं को चुनौती देते दिख रहे हैं. कांग्रेस की ओर से साफ कर दिया है कि 2024 लोकसभा चुनाव भी पार्टी अकेले और 40 सीट पर लड़ेगी.

कांग्रेस और राजद के बीच पहले भी नूरा कुश्ती हो चुकी है. 2009 के लोकसभा चुनाव में दोनों दल अलग-अलग लड़े थे. 2010 के विधानसभा चुनाव में भी दोनों दलों की राहें अलग-अलग थीं. बाद में सांप्रदायिक ताकतों से लड़ाई का हवाला देते हुए दोनों दल साथ हो लिए और अब उपचुनाव में दोनों दल ताल ठोक रहे हैं.

'हम सहयोगी दलों का सम्मान करना जानते हैं. राजद ने गठबंधन धर्म का पालन नहीं किया. इस वजह से हमने दोनों सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए और भविष्य में भी हम अकेले बिहार में चुनाव लड़ेंगे.' -राजेश राठौड़, मुख्य प्रवक्ता, कांग्रेस

'कांग्रेस को अगर अपनी ताकत पर घमंड है तो उपचुनाव के लिए लड़ कर देख ले. पहले भी वह लड़कर अपनी ताकत देख चुके हैं. बगैर राजद के बिहार में राजनीति नहीं हो सकती है. राष्ट्रीय स्तर पर कोई गठबंधन भी आकार नहीं ले सकता है.' -एजाज अहमद, राजद प्रवक्ता

'राजद और कांग्रेस के बीच आगे बढ़ने की होड़ लगी है. पहले दोनों दल आपस में फैसला कर लें. राजद और कांग्रेस के बीच मैच फिक्सिंग है. आने वाले दिनों में फिर वह एक साथ हो जाएंगे.' -अरविंद निषाद, जदयू प्रवक्ता

'पहले भी स्थानीय स्तर पर कांग्रेस नेता अलग रहने की मुहिम चला चुके हैं. लेकिन सोनिया गांधी और राहुल गांधी के स्तर पर लालू यादव के साथ रहने का फैसला लिया गया. उपचुनाव के नतीजों के बाद दोनों दल साथ आएंगे.' -विनोद शर्मा, भाजपा प्रवक्ता

'जिस तरीके का तेवर कांग्रेस नेता दिखला रहे हैं, उससे भविष्य की राजनीति करवट लेती दिख रही है. कांग्रेस को युवा नेताओं पर भरोसा है और पार्टी को लग रहा है कि युवाओं के बदौलत भविष्य संवार सकते हैं. भविष्य में तेजस्वी के लिए भी राह आसान नहीं होगी.' -डॉ संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

ये भी पढ़ें: तेजस्वी के प्रचार के बाद शुरू हुआ कन्हैया का चुनावी अभियान, इसके पीछे की वजह समझिये

पटना: बिहार में विधानसभा के 2 सीटों के लिए उपचुनाव (Bihar Assembly By-Election) हो रहे हैं. उपचुनाव में महागठबंधन के अस्तित्व पर संकट उत्पन्न हो गया है. राजद और कांग्रेस की राहें अलग-अलग हैं. कांग्रेस नेता राजद को आंखें दिखा रहे हैं. कन्हैया कुमार, हार्दिक पटेल और जिग्नेश की एंट्री कांग्रेस में हो चुकी है. पूर्व सांसद पप्पू यादव को भी हाथ का साथ मिल चुका है. आत्मविश्वास से लबरेज कांग्रेस राजद से दो-दो हाथ के लिए तैयार है. ऐसे में तेजस्वी के लिए राह आसान नहीं दिख रही है.

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कुशेश्वरस्थान सीट की हकमारी होने पर कांग्रेस नेताओं का गुस्सा सातवें आसमान पर आ गया है. पटना से लेकर दिल्ली तक मंथन का दौर चला. आखिरकार कांग्रेस ने आरपार की लड़ाई छेड़ दी है. दोनों सीटों पर उम्मीदवार खड़े कर दिए. राजद पर इस बात के लिए भी दबाव बनाया गया कि वह कुशेश्वरस्थान सीट से अपना उम्मीदवार वापस ले लें. लेकिन राजद की ओर से सुलह की गुंजाइश नहीं छोड़ी गई. अंततः दोनों दलों की राहें अलग-अलग हो गई.

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कन्हैया कुमार हार्दिक पटेल और जिग्नेश कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं और उपचुनाव में हाथ को पप्पू यादव का साथ मिल चुका है. कांग्रेस नेताओं के तेवर सातवें आसमान पर हैं और अब कांग्रेस नेता राजद नेताओं को चुनौती देते दिख रहे हैं. कांग्रेस की ओर से साफ कर दिया है कि 2024 लोकसभा चुनाव भी पार्टी अकेले और 40 सीट पर लड़ेगी.

कांग्रेस और राजद के बीच पहले भी नूरा कुश्ती हो चुकी है. 2009 के लोकसभा चुनाव में दोनों दल अलग-अलग लड़े थे. 2010 के विधानसभा चुनाव में भी दोनों दलों की राहें अलग-अलग थीं. बाद में सांप्रदायिक ताकतों से लड़ाई का हवाला देते हुए दोनों दल साथ हो लिए और अब उपचुनाव में दोनों दल ताल ठोक रहे हैं.

'हम सहयोगी दलों का सम्मान करना जानते हैं. राजद ने गठबंधन धर्म का पालन नहीं किया. इस वजह से हमने दोनों सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए और भविष्य में भी हम अकेले बिहार में चुनाव लड़ेंगे.' -राजेश राठौड़, मुख्य प्रवक्ता, कांग्रेस

'कांग्रेस को अगर अपनी ताकत पर घमंड है तो उपचुनाव के लिए लड़ कर देख ले. पहले भी वह लड़कर अपनी ताकत देख चुके हैं. बगैर राजद के बिहार में राजनीति नहीं हो सकती है. राष्ट्रीय स्तर पर कोई गठबंधन भी आकार नहीं ले सकता है.' -एजाज अहमद, राजद प्रवक्ता

'राजद और कांग्रेस के बीच आगे बढ़ने की होड़ लगी है. पहले दोनों दल आपस में फैसला कर लें. राजद और कांग्रेस के बीच मैच फिक्सिंग है. आने वाले दिनों में फिर वह एक साथ हो जाएंगे.' -अरविंद निषाद, जदयू प्रवक्ता

'पहले भी स्थानीय स्तर पर कांग्रेस नेता अलग रहने की मुहिम चला चुके हैं. लेकिन सोनिया गांधी और राहुल गांधी के स्तर पर लालू यादव के साथ रहने का फैसला लिया गया. उपचुनाव के नतीजों के बाद दोनों दल साथ आएंगे.' -विनोद शर्मा, भाजपा प्रवक्ता

'जिस तरीके का तेवर कांग्रेस नेता दिखला रहे हैं, उससे भविष्य की राजनीति करवट लेती दिख रही है. कांग्रेस को युवा नेताओं पर भरोसा है और पार्टी को लग रहा है कि युवाओं के बदौलत भविष्य संवार सकते हैं. भविष्य में तेजस्वी के लिए भी राह आसान नहीं होगी.' -डॉ संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

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