पटना:बिहार की राजनीति के चाणक्य लालू प्रसाद यादव को कहा जाता है. लालू प्रसाद यादव की पाठशाला से कई नेताओं ने राजनीति के गुर सीखे. आज की तारीख में ऐसे नेताओं की फेहरिस्त लंबी होती जा रही है, जिन्होंने अलग-अलग राजनीतिक दलों का नेतृत्व संभाल रखा है.
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लालू की पाठशाला से निकले तीन बड़े नेता: बिहार में चार प्रमुख दल हैं. राष्ट्रीय जनता दल, भाजपा, कांग्रेस और जनता दल यूनाइटेड की भूमिका बिहार की राजनीति में अहम है. राजनीतिक दलों को नेतृत्व देने का काम प्रदेश अध्यक्ष के हाथों रहता है. बिहार के ज्यादातर राजनीतिक दलों के प्रदेश अध्यक्ष के पद पर वैसे नेता हैं जिनका बैकग्राउंड राजद का रहा है.
पहले राजद में थे जदयू प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा : उमेश कुशवाहा को जनता दल यूनाइटेड का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया. उमेश कुशवाहा वैशाली जिले से आते हैं और वह लालू प्रसाद यादव के करीबी हुआ करते थे. साल 2010 तक उमेश कुशवाहा राजद की राजनीति करते थे लेकिन बाद में वह जदयू में आ गए और जनता दल यूनाइटेड ने उमेश कुशवाहा को प्रदेश अध्यक्ष बनाया. नवंबर 2022 में उमेश कुशवाहा पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बने.
अखिलेश सिंह को राजद की राजनीति का लंबा अनुभव: कांग्रेस पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर अखिलेश सिंह के नाम पर मुहर लगाई गई. अखिलेश सिंह 2022 में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए. अखिलेश सिंह लालू प्रसाद यादव के कुनबे से आए हैं. अखिलेश सिंह 2000 में राजद के टिकट पर अरवल से विधायक बने. 2004 में वह मोतिहारी से सांसद भी चुन लिए गए. अखिलेश सिंह को राजद की राजनीति का लंबा अनुभव रहा है. राजद सरकार में अखिलेश सिंह को स्वास्थ्य राज्य मंत्री बनने का मौका मिला था तो राजद कोटे पर केंद्र में भी वह खाद्य एवं प्रसंस्करण राज्य मंत्री बने.
लालू यादव के मंत्रिमंडल में सम्राट चौधरी रह चुके हैं मंत्री: सम्राट चौधरी ने भी राजनीति की शुरुआत राष्ट्रीय जनता दल से की. 2009 में सम्राट चौधरी लालू यादव के मंत्रिमंडल में मंत्री बने. सम्राट चौधरी राजद के सचेतक भी रहे. सम्राट चौधरी राजद छोड़ने के बाद जदयू में आए, उसके बाद फिर भाजपा में शामिल हुए. भाजपा ने भी सम्राट चौधरी पर दांव लगाया और सम्राट चौधरी को दुनिया के सबसे बड़े दल का प्रदेश अध्यक्ष बनने का गौरव हासिल हुआ. भाजपा के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा कि पहली बार लालू प्रसाद यादव भाजपा की मदद से मुख्यमंत्री बने और नीतीश कुमार का तो राजनीतिक उत्थान ही भाजपा के साथ हुआ. भाजपा कार्यकर्ताओं को जमकर इस मुद्दे पर प्रतिवाद करना चाहिए. वहीं अब इसपर एक बार फिर से विवाद शुरू हो गया है.
"पूरा मुखर होकर रहिए. क्योंकि भाजपा की कृपा से लालू 90 में सीएम बने और नीतीश कुमार पांच बार सीएम बने. किसी और की कृपा नहीं थी."- सम्राट चौधरी, बिहार बीजेपी अध्यक्ष
"तमाम दलों के प्रदेश अध्यक्ष लालू की पाठशाला से ही निकले हैं. उन्होंने राजनीति लालू के सानिध्य में ही सीखी है. सम्राट चौधरी को लालू प्रसाद यादव का ऋण अदा करना चाहिए."- ऋषि कुमार, राजद विधायक
"यह सही है कि कई नेता लालू की पाठशाला से निकले हैं. उनकी टीम से निकले कई नेता आज दूसरे टीम के लिए खेल रहे हैं और बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं. यह संयोग की बात है."- गुलाम गौस,विधान पार्षद,जदयू
"हर व्यक्ति को स्वतंत्र रूप से राजनीति करने का अधिकार है और हर दल को अपनी पार्टी के अंदर किसी को नेता बनाने का अधिकार है. जहां तक हमारे प्रदेश अध्यक्ष का सवाल है तो वह पहले राजद में थे लेकिन आज की तारीख में कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष हैं. वैसे सभी लोग महागठबंधन को मजबूत बनाने के लिए काम कर रहे हैं."- सिद्धार्थ, कांग्रेस विधायक
"ऋण चुकता करने की बात तो बाद में होगी पहले उन्हें यह बताना चाहिए कि भ्रष्टाचार के जरिए कैसे इतनी संपत्ति इकट्ठा कर लिया. राजद के लोगों को यह कष्ट हो रहा है कि उनके वोट बैंक में सेंधमारी हो रही है."- अनिल शर्मा,विधान पार्षद, बीजेपी