पटना: जारी लॉकडाउन में सभी लोग परेशान हुए हैं. वहीं, रोज कमाने वाले और शाम को खाने वालों पर इस लॉकडाउन ने कहर बरपाया है. बात करें, लोगों के जूते चमका कर अपने परिवार का भरण पोषण करने वाले मोचियों की, तो उनकी स्थिति दयनीय हो चली है.
लागू लॉकडाउन ने स्टेशन, बस स्डैंट और मार्केट पर दिखने वाले मोचियों को घर की राह दिखा दी. जो लॉकडाउन में अपने घर वापस नहीं लौट पाये. उन्होंने फुटपाथ पर ही लॉकडाउन के दिन काट लिए. समाजिक संगठनों के बांटे जा रहे फूड पैकेट से अपने पेट की भूख मिटाते रहे हैं. लॉकडाउन 4 में मिली छूट के बाद ये अपनी दुकानें फिर से सजा रहे हैं. लेकिन हालात ये हैं कि इनके इस छोटे से काम धंधे में कोरोना का ग्रहण अभी भी लगा है.
20-30 रुपये इनकम
मोचियों की आमदनी सामान्य दिनों में 100 से 150 रूपया होती थी. मिली छूट के बाद राजधानी पटना समेत कई जिलों में मोची घर बाहर निकले तो हैं. लेकिन उनकी कमाई उतनी नहीं हो रही. एक मोची ने बताया कि दिन में एक-दो लोग ही उनके पास आ रहे हैं. ऐसे में बस 20 से 30 रुपया कमाई हो रही है.
'मकान का किराया देना है'
मोचियों की मानें, तो कई किराये के मकान पर रहते हैं. दो महीनें से कमरे का किराया नहीं दिया है. मकान मालिक अलग से ताने मार रहा है. ऐसे में मोचियों का कहना है कि रुपया आ नहीं रहा है. खाने की दिक्कतें हो रही हैं और सरकार की तरफ से मदद नहीं मिल रही है.
हर तरफ तालाबंदी का असर
ऑफिस बंद हैं, शादी-पार्टी भी नहीं हो रही हैं. लोग घर से नहीं निकल रहे हैं. ऐसे में बूट पॉलिश का तो सवाल ही नहीं उठता. हां, जूता चप्पल मरम्मती के लिए एक दो लोग आ जा रहे हैं. कुल मिलाकर मोची भी इस आस में हैं कि कब हालात सामान्य होंगे और जिंदगी की गाड़ी पटरी पर लौटेगी.