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JDU in Modi Cabinet: जदयू ने एक बार फिर छेड़ा विशेष राज्य के दर्जे का राग, पढ़ें इनसाइड स्टोरी

बिहार में जदयू और बीजेपी के बीच खटपट की खबरों के बीच केंद्रीय मंत्रिमंडल (Modi Cabinet Expansion) में जदयू के शामिल होने की चर्चा जोरों पर है. इस बीच सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि नीतीश के लिए जदयू को केंद्र सरकार का हिस्सा बनाने से ज्यादा जरूरी राज्य को विशेष दर्जा (Bihar Special Status) दिलाना है.

JDU in Modi Cabinet
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Published : Jun 23, 2021, 10:55 PM IST

Updated : Jun 24, 2021, 8:09 AM IST

पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश (Nitish Kumar) कुमार दिल्ली दौरे पर हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के भाजपा के शीर्ष नेताओं से मिलने की भी संभावना है. इन सबके बीच खबर यह है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार (Union Cabinet Expansion) में इस बार जदयू (JDU in Modi Cabinet) भी शामिल होगा.

पहले से ही बिहार में भाजपा के पांच नेता केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल हैं और कहा जा रहा है कि अब जदयू के भी कम से कम दो सांसद, मंत्री बन सकते हैं. लेकिन माना जा रहा है कि नीतीश कुमार इसे महत्व नहीं दे रहे हैं. कहा ये भी जा रहा है कि नीतीश कुमार, प्रधानमंत्री से बिहार को विशेष दर्जा दिलाने का आश्वासन चाहते हैं.

यह भी पढ़ें- सुशील मोदी या संजय जायसवाल? किसे मिलेगी केंद्रीय कैबिनेट में जगह, सस्पेंस बरकरार

सीएम के लिए जरूरी
केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार की पृष्ठभूमि में नीतीश कुमार प्रधानमंत्री से बिहार को विशेष दर्जा दिलाने का आश्वासन चाहते हैं. सूत्रों ने दावा किया कि नीतीश के लिए जदयू को केंद्र सरकार का हिस्सा बनाने से ज्यादा जरूरी है राज्य के लिए विशेष आर्थिक पैकेज हासिल करना. यही वजह है कि विस्तार की जोरदार चर्चाओं के बावजूद नीतीश अपनी ओर से इसे महत्व नहीं दे रहे हैं.

JDU in Modi Cabinet
ईटीवी भारत GFX

फिलहाल पांच केंद्रीय मंत्री, 39 लोकसभा और कई राज्यसभा सांसद होने के बावजूद बिहार को ना तो विशेष राज्य का दर्जा मिल पाया और ना ही पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय की पहचान मिल पाई. अब अगर जदयू कोटे से दो मंत्री केंद्र सरकार में बनते हैं तो जाहिर तौर पर बिहार के लिए उम्मीद बढ़ने की संभावना है.

2010 से जदयू की मांग
देश के आदिवासी बहुल इलाके, सीमावर्ती और पर्वतीय दुर्गम इलाके वाले राज्‍य के साथ बेहद गरीब और पिछले राज्‍यों को विशेष राज्‍य का दर्जा दिया जाता है. वर्तमान में 11 राज्‍यों- असम, मणिपुर, मेघालय, नागालैंड, त्रिपुरा, अरूणाचल प्रदेश, मिजोरम, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम और जम्‍मू-कश्‍मीर को विशेष दर्जा हासिल है.

JDU in Modi Cabinet
ईटीवी भारत GFX

बिहार में गरीबी और विभाजन के बाद झारखंड में सारे प्राकृतिक संसाधन चले जाने को आधार बनाकर 2010 से ही सीएम नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जदयू, बिहार के लिए विशेष दर्जा की मांग करते रहे हैं.

2019 में इंकार..अब क्यों तैयार ?
2019 में जदयू ने मात्र एक सीट मिलने पर मंत्रिमंडल में शामिल होने से इनकार कर दिया था. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर दो साल में ऐसा क्या हो गया जो अब जेडीयू केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने को तैयार है. भाजपा की तरफ से भी रवैया सकारात्मक दिख रहा है.

दरअसल, जब 2020 में बिहार में एनडीए की सरकार बनी तब कम सीट जीतने के बावजूद नीतीश कुमार को भाजपा ने मुख्यमंत्री बना दिया था और उसके बाद कई बार ऐसे मौके आये जब भाजपा के नेताओं ने यह जताने की कोशिश की कि इस बार वाली भाजपा अब पहले वाली से अलग तेवर वाली सहयोगी पार्टी है. ऐसे में नीतीश भी इस बार इसका जवाब देने को लेकर तैयार दिख रहे हैं.

देखें वीडियो

'जब पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा नहीं मिल पाया, बिहार को कोई विशेष पैकेज नहीं मिल पाया, गरीबों को बांटने के लिए खाद्यान्न भी बिहार को पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पाता तो फिर और क्या उम्मीद करें. दो चार मंत्री अगर बन भी गए तो इससे बिहार का कोई भला नहीं होने वाला है.'- प्रेमचंद मिश्रा, कांग्रेस नेता

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प्रेमचंद मिश्रा, कांग्रेस नेता

बिहार की बढ़ी उम्मीद
बिहार की उम्मीदें बढ़ गई है. बिहार पिछले कई सालों से विशेष राज्य के दर्जे की मांग कर रहा है. यही नहीं बिहार के सबसे पुराने विश्वविद्यालय, पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा देने की मांग भी वर्षों से की जा रही है.

'विशेष राज्य का दर्जा बिहार के लिए बेहद जरूरी है, लेकिन इतने वर्षों से एनडीए में होने के बावजूद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार को यह दर्जा नहीं दिलवा सके. ऐसे में अगर दो और मंत्री बन गए तो क्या फर्क पड़ेगा.'- तनवीर हसन, राजद के वरिष्ठ नेता

JDU in Modi Cabinet
तनवीर हसन, राजद के वरिष्ठ नेता

'नहीं होगा फायदा'
बिहार में विपक्ष के नेता यह मानते हैं कि जब पहले से पांच केंद्रीय मंत्री और तमाम सांसदों की फौज होने के बावजूद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विशेष राज्य की दर्जे की अपनी मांग पुरजोर तरीके से नहीं रख सके तो अब कुछ मंत्रियों के शामिल होने से क्या होगा.

'मंत्रिमंडल में शामिल होना और विशेष राज्य के मुद्दे पर केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री ही फैसला करते हैं. विशेष राज्य का दर्जा बिहार की पुरानी मांग रही है और जब जदयू केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होगी तो इस बारे में एनडीए के बड़े नेता मिल बैठकर फैसला करेंगे. विशेष राज्य के दर्जे की मांग लंबे समय से है कई राज्य इस श्रेणी में हैं. यह केंद्र का विषय है.'- विनोद शर्मा, भाजपा नेता

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विनोद शर्मा, भाजपा नेता

राजनीतिक एक्सपर्ट की राय
राजनीतिक विश्लेषक डॉ संजय कुमार ने कहा कि सरकार को यह तो सोचना ही चाहिए कि जब इतने वर्षों से एनडीए में एक साथ हैं तो फिर विशेष राज्य के मुद्दे पर अब तक बात क्यों नहीं बन पाई. संजय कुमार ने कहा कि जब भी इस मुद्दे पर केंद्र सरकार चुप होती है तो नीतीश कुमार भी चुप हो जाते हैं. उन्हें दृढ़ इच्छाशक्ति दिखानी होगी क्योंकि जब मंत्रिमंडल में शामिल होंगे तो निश्चित तौर पर बिहार की उम्मीद बढ़ेगी.

जदयू को कैबिनेट में जगह
केंद्रीय मंत्रिमंडल का विस्तार होना है. मंत्रिमंडल में जदयू को भी जगह मिल सकती है. बिहार भाजपा से भी नेताओं को जगह मिल सकती है. कुछ पुराने चेहरों को हटाया जा सकता है, तो कुछ नए चेहरों को शामिल किया जा सकता है. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल (Sanjay Jaiswal) और पूर्व उप मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद सुशील मोदी (Rajya Sabha MP Sushil Modi) का नाम इसमें सबसे आगे चल रहा है.

इसलिए विशेष दर्जे की मांग
बिहार एक कृषि प्रधान राज्‍य है. यहां की 90 फीसदी आबादी कृषि कार्य कर जीवकोपार्जन करती है. बिहार में एक ही समय में बाढ़ और सूखाड़ की आपदा लोग झेलते हैं. हर वर्ष आनेवाले प्राकृतिक आपदा बाढ़ और सूखा के कारण यह देश के सबसे गरीब राज्‍यों में से एक है. जनसंख्‍या के लिहाज से उत्तरप्रदेश के बाद बिहार देश का दूसरा बड़ा राज्‍य है. यहां की बड़ी जनसंख्‍या भूमिहीन है. साल 2000 में बिहार से अलग होकर झारखंड राज्‍य बनने के बाद यहां प्राकृतिक संसाधन नहीं के बराबर है.

विशेष दर्जा प्राप्‍त राज्‍यों को मिलता यह लाभ
किसी भी राज्‍य को विशेष दर्जा मिलने के बाद केंद्र सरकार 90 फीसदी अनुदान के रूप में फंड देती है. शेष 10 फीसदी रकम पर कोई ब्‍याज नहीं लगता है. बिहार को वर्तमान में 30 फीसदी राशि अनुदान के रुप में मिलता है, शेष 70 फीसदी केंद्र का कर्ज होता है. हर साल केंद्र सरकार अपने प्‍लान बजट का 30 फीसदी रकम विशेष दर्जा प्राप्‍त राज्‍यों को देती है. इसके अलावा ऐसे राज्‍यों को इनकम टैक्‍स, एक्‍साइज और कस्‍टम में भी छूट मिलती है.

यह भी पढ़ें- CM नीतीश करें केंद्र से बिहार के लिए विशेष राज्य के दर्जे की मांग: RJD

2010 से ही सीएम नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जदयू बिहार के लिए विशेष दर्जा की मांग करते रहे हैं. ऐसे में इसबार यह मांग जोर पकड़ रही है. अब देखने वाली बात होगी कि इस बार नीतीश की पुरानी मांग पर केंद्र का फैसला क्या होता है.

पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश (Nitish Kumar) कुमार दिल्ली दौरे पर हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के भाजपा के शीर्ष नेताओं से मिलने की भी संभावना है. इन सबके बीच खबर यह है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार (Union Cabinet Expansion) में इस बार जदयू (JDU in Modi Cabinet) भी शामिल होगा.

पहले से ही बिहार में भाजपा के पांच नेता केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल हैं और कहा जा रहा है कि अब जदयू के भी कम से कम दो सांसद, मंत्री बन सकते हैं. लेकिन माना जा रहा है कि नीतीश कुमार इसे महत्व नहीं दे रहे हैं. कहा ये भी जा रहा है कि नीतीश कुमार, प्रधानमंत्री से बिहार को विशेष दर्जा दिलाने का आश्वासन चाहते हैं.

यह भी पढ़ें- सुशील मोदी या संजय जायसवाल? किसे मिलेगी केंद्रीय कैबिनेट में जगह, सस्पेंस बरकरार

सीएम के लिए जरूरी
केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार की पृष्ठभूमि में नीतीश कुमार प्रधानमंत्री से बिहार को विशेष दर्जा दिलाने का आश्वासन चाहते हैं. सूत्रों ने दावा किया कि नीतीश के लिए जदयू को केंद्र सरकार का हिस्सा बनाने से ज्यादा जरूरी है राज्य के लिए विशेष आर्थिक पैकेज हासिल करना. यही वजह है कि विस्तार की जोरदार चर्चाओं के बावजूद नीतीश अपनी ओर से इसे महत्व नहीं दे रहे हैं.

JDU in Modi Cabinet
ईटीवी भारत GFX

फिलहाल पांच केंद्रीय मंत्री, 39 लोकसभा और कई राज्यसभा सांसद होने के बावजूद बिहार को ना तो विशेष राज्य का दर्जा मिल पाया और ना ही पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय की पहचान मिल पाई. अब अगर जदयू कोटे से दो मंत्री केंद्र सरकार में बनते हैं तो जाहिर तौर पर बिहार के लिए उम्मीद बढ़ने की संभावना है.

2010 से जदयू की मांग
देश के आदिवासी बहुल इलाके, सीमावर्ती और पर्वतीय दुर्गम इलाके वाले राज्‍य के साथ बेहद गरीब और पिछले राज्‍यों को विशेष राज्‍य का दर्जा दिया जाता है. वर्तमान में 11 राज्‍यों- असम, मणिपुर, मेघालय, नागालैंड, त्रिपुरा, अरूणाचल प्रदेश, मिजोरम, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम और जम्‍मू-कश्‍मीर को विशेष दर्जा हासिल है.

JDU in Modi Cabinet
ईटीवी भारत GFX

बिहार में गरीबी और विभाजन के बाद झारखंड में सारे प्राकृतिक संसाधन चले जाने को आधार बनाकर 2010 से ही सीएम नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जदयू, बिहार के लिए विशेष दर्जा की मांग करते रहे हैं.

2019 में इंकार..अब क्यों तैयार ?
2019 में जदयू ने मात्र एक सीट मिलने पर मंत्रिमंडल में शामिल होने से इनकार कर दिया था. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर दो साल में ऐसा क्या हो गया जो अब जेडीयू केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने को तैयार है. भाजपा की तरफ से भी रवैया सकारात्मक दिख रहा है.

दरअसल, जब 2020 में बिहार में एनडीए की सरकार बनी तब कम सीट जीतने के बावजूद नीतीश कुमार को भाजपा ने मुख्यमंत्री बना दिया था और उसके बाद कई बार ऐसे मौके आये जब भाजपा के नेताओं ने यह जताने की कोशिश की कि इस बार वाली भाजपा अब पहले वाली से अलग तेवर वाली सहयोगी पार्टी है. ऐसे में नीतीश भी इस बार इसका जवाब देने को लेकर तैयार दिख रहे हैं.

देखें वीडियो

'जब पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा नहीं मिल पाया, बिहार को कोई विशेष पैकेज नहीं मिल पाया, गरीबों को बांटने के लिए खाद्यान्न भी बिहार को पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पाता तो फिर और क्या उम्मीद करें. दो चार मंत्री अगर बन भी गए तो इससे बिहार का कोई भला नहीं होने वाला है.'- प्रेमचंद मिश्रा, कांग्रेस नेता

JDU in Modi Cabinet
प्रेमचंद मिश्रा, कांग्रेस नेता

बिहार की बढ़ी उम्मीद
बिहार की उम्मीदें बढ़ गई है. बिहार पिछले कई सालों से विशेष राज्य के दर्जे की मांग कर रहा है. यही नहीं बिहार के सबसे पुराने विश्वविद्यालय, पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा देने की मांग भी वर्षों से की जा रही है.

'विशेष राज्य का दर्जा बिहार के लिए बेहद जरूरी है, लेकिन इतने वर्षों से एनडीए में होने के बावजूद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार को यह दर्जा नहीं दिलवा सके. ऐसे में अगर दो और मंत्री बन गए तो क्या फर्क पड़ेगा.'- तनवीर हसन, राजद के वरिष्ठ नेता

JDU in Modi Cabinet
तनवीर हसन, राजद के वरिष्ठ नेता

'नहीं होगा फायदा'
बिहार में विपक्ष के नेता यह मानते हैं कि जब पहले से पांच केंद्रीय मंत्री और तमाम सांसदों की फौज होने के बावजूद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विशेष राज्य की दर्जे की अपनी मांग पुरजोर तरीके से नहीं रख सके तो अब कुछ मंत्रियों के शामिल होने से क्या होगा.

'मंत्रिमंडल में शामिल होना और विशेष राज्य के मुद्दे पर केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री ही फैसला करते हैं. विशेष राज्य का दर्जा बिहार की पुरानी मांग रही है और जब जदयू केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होगी तो इस बारे में एनडीए के बड़े नेता मिल बैठकर फैसला करेंगे. विशेष राज्य के दर्जे की मांग लंबे समय से है कई राज्य इस श्रेणी में हैं. यह केंद्र का विषय है.'- विनोद शर्मा, भाजपा नेता

JDU in Modi Cabinet
विनोद शर्मा, भाजपा नेता

राजनीतिक एक्सपर्ट की राय
राजनीतिक विश्लेषक डॉ संजय कुमार ने कहा कि सरकार को यह तो सोचना ही चाहिए कि जब इतने वर्षों से एनडीए में एक साथ हैं तो फिर विशेष राज्य के मुद्दे पर अब तक बात क्यों नहीं बन पाई. संजय कुमार ने कहा कि जब भी इस मुद्दे पर केंद्र सरकार चुप होती है तो नीतीश कुमार भी चुप हो जाते हैं. उन्हें दृढ़ इच्छाशक्ति दिखानी होगी क्योंकि जब मंत्रिमंडल में शामिल होंगे तो निश्चित तौर पर बिहार की उम्मीद बढ़ेगी.

जदयू को कैबिनेट में जगह
केंद्रीय मंत्रिमंडल का विस्तार होना है. मंत्रिमंडल में जदयू को भी जगह मिल सकती है. बिहार भाजपा से भी नेताओं को जगह मिल सकती है. कुछ पुराने चेहरों को हटाया जा सकता है, तो कुछ नए चेहरों को शामिल किया जा सकता है. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल (Sanjay Jaiswal) और पूर्व उप मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद सुशील मोदी (Rajya Sabha MP Sushil Modi) का नाम इसमें सबसे आगे चल रहा है.

इसलिए विशेष दर्जे की मांग
बिहार एक कृषि प्रधान राज्‍य है. यहां की 90 फीसदी आबादी कृषि कार्य कर जीवकोपार्जन करती है. बिहार में एक ही समय में बाढ़ और सूखाड़ की आपदा लोग झेलते हैं. हर वर्ष आनेवाले प्राकृतिक आपदा बाढ़ और सूखा के कारण यह देश के सबसे गरीब राज्‍यों में से एक है. जनसंख्‍या के लिहाज से उत्तरप्रदेश के बाद बिहार देश का दूसरा बड़ा राज्‍य है. यहां की बड़ी जनसंख्‍या भूमिहीन है. साल 2000 में बिहार से अलग होकर झारखंड राज्‍य बनने के बाद यहां प्राकृतिक संसाधन नहीं के बराबर है.

विशेष दर्जा प्राप्‍त राज्‍यों को मिलता यह लाभ
किसी भी राज्‍य को विशेष दर्जा मिलने के बाद केंद्र सरकार 90 फीसदी अनुदान के रूप में फंड देती है. शेष 10 फीसदी रकम पर कोई ब्‍याज नहीं लगता है. बिहार को वर्तमान में 30 फीसदी राशि अनुदान के रुप में मिलता है, शेष 70 फीसदी केंद्र का कर्ज होता है. हर साल केंद्र सरकार अपने प्‍लान बजट का 30 फीसदी रकम विशेष दर्जा प्राप्‍त राज्‍यों को देती है. इसके अलावा ऐसे राज्‍यों को इनकम टैक्‍स, एक्‍साइज और कस्‍टम में भी छूट मिलती है.

यह भी पढ़ें- CM नीतीश करें केंद्र से बिहार के लिए विशेष राज्य के दर्जे की मांग: RJD

2010 से ही सीएम नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जदयू बिहार के लिए विशेष दर्जा की मांग करते रहे हैं. ऐसे में इसबार यह मांग जोर पकड़ रही है. अब देखने वाली बात होगी कि इस बार नीतीश की पुरानी मांग पर केंद्र का फैसला क्या होता है.

Last Updated : Jun 24, 2021, 8:09 AM IST
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