ETV Bharat / state

कमजोर हो गए या दबाव में हैं नीतीश कुमार, तारकिशोर प्रसाद से मांगेंगे इस्तीफा?

करप्शन के आरोप का एक और मामला नीतीश कुमार के सामने है. वे कभी करप्शन को लेकर समझौता नहीं करते हैं. लेकिन डिप्टी सीएम तार किशोर प्रसाद के मामले में वे चुप्पी साधे हुए हैं. जबकि करप्शन का आरोप लगने पर कई मंत्रियों से वे इस्तीफा ले चुके हैं. राजनीतिज्ञ विशेषज्ञ का मानना है कि नीतीश अब कमजोर हो चुके हैं. पढ़ें रिपोर्ट...

बैकफुट पर नीतीश
बैकफुट पर नीतीश
author img

By

Published : Sep 24, 2021, 10:31 PM IST

पटनाः सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) करप्शन से समझौता नहीं करते हैं. इसके कई उदाहरण भी हैं. अब तक कई मंत्रियों पर आरोप लगने के बाद नीतीश कुमार ने तुरंत उनसे इस्तीफा ले लिया है. लेकिन विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election) में जदयू के तीसरे नंबर की पार्टी बनने के बाद नीतीश कुमार अब कमजोर दिखने लगे हैं. इसलिए डिप्टी सीएम तार किशोर प्रसाद मामले में स्थिति बदलती दिख रही है. जानकार भी कहते हैं कि नीतीश वर्तमान परिस्थिति में कोई बड़ा फैसला लेंगे, इसकी संभावना कम है.

यह भी पढ़ें- डिप्टी सीएम के बहाने तेजस्वी ने नीतीश को दिखायी 'आंख', तो जेडीयू बताने लगी 'औकात'

ऐसे पार्टी के नेता और सहयोगी बीजेपी भी कह रही है कि नीतीश कमजोर नहीं हुए हैं. उनके साथ तो जनता है. आरोप तो कोई किसी पर लगा सकता है. जानकारी दें कि नीतीश कुमार ने अपनी पहली ही सरकार में 24 घंटे के अंदर जीतन राम मांझी से इस्तीफा ले लिया था. उसके बाद परिवहन मंत्री रामानंद सिंह से भी आरोपों के कारण मुख्यमंत्री ने इस्तीफा लिया था.

देखें रिपोर्ट

19 मई 2011 को कोर्ट द्वारा फरार घोषित होने के बाद बीजेपी कोटे के सहकारिता मंत्री रामाधार सिंह से भी इस्तीफा लिया था. 2015 में अक्टूबर में एक स्टिंग ऑपरेशन में घूस के मामले में मंत्री अवधेश कुशवाहा को इस्तीफा देना पड़ा था. उसके बाद 2018 में मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड के मामले में भी मंजू वर्मा को समाज कल्याण विभाग के मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था.

ताजा उदाहरण तो इसी सरकार में है, जब मेवालाल चौधरी शिक्षा मंत्री बने. उन पर आरोप लगे तो केवल 3 दिनों में ही मुख्यमंत्री ने उनसे इस्तीफा ले लिया. लेकिन डिप्टी सीएम तार किशोर प्रसाद के मामले में नीतीश कुमार के रूख से साफ है कि स्थितियां अब बदल चुकी हैं. बीजेपी बड़े भाई की भूमिका में है. इसलिए नीतीश कुमार बीजेपी से बनने वाले डिप्टी सीएम पर कोई बड़ा एक्शन लेंगे, इसकी संभावना कम है.

'आरोप तो कोई किसी पर लगा सकता है. डिप्टी सीएम तार किशोर प्रसाद ने सफाई भी दी है. आरोप लगाने वाले तेजस्वी यादव खुद कई मामले में फंसे हुए हैं. पिता लालू प्रसाद यादव तो सजायफ्ता हैं. लालू परिवार पर तो कई मामले चल रहे हैं. ये लोग जरूर मामले को राजनीतिकरण कर रहे हैं. लेकिन नीतीश कुमार कभी करप्शन से समझौता नहीं किया है. आगे भी नहीं करेंगे. नीतीश कमजोर नहीं हुए हैं. उनके साथ जनता की शक्ति है और इसलिए इस बार भी उनके नेतृत्व में ही nda की सरकार बनी है.' -अभिषेक झा, प्रवक्ता, जदयू

यह भी पढ़ें- आरोपों में घिरे तारकिशोर का तेजस्वी पर पलटवार, 'पहले अपनी छवि को स्वच्छ बनाएं, फिर बताएं'

'नीतीश कमजोर नहीं हुए हैं. अगर कमजोर रहते तो बिहार के मुख्यमंत्री नहीं बनते. वे अभी भी जनता के हित में कार्य कर रहे हैं.' -अरविंद कुमार सिंह, प्रवक्ता बीजेपी

'नीतीश आरोप लगने पर ही कई मंत्रियों से इस्तीफा लेते रहे हैं. डिप्टी सीएम पर भी करप्शन के आरोप को लेकर चर्चा है कि अपने परिवार वालों को टेंडर दिलवाया है. हालांकि इस मामले में क्या कुछ आगे होता है, वह देखने वाली बात है. लेकिन यह जरूर है कि नीतीश यदि कोई बड़ा फैसला नहीं ले रहे हैं, तो कहीं ना कहीं कमजोर हुए हैं.' -प्रोफेसर अजय झा, राजनीतिक विशेषज्ञ

करप्शन से समझौता नहीं करने की बात कहने वाले नीतीश कुमार अपनी पार्टी के साथ बीजेपी के मंत्रियों से भी इस्तीफा लेने में कभी पीछे नहीं रहे है. यहां तक कि महागठबंधन की सरकार में तेजस्वी यादव पर जब आरोप लगा, तो नीतीश कुमार ने उनसे जवाब मांग लिया था. इसी मामले को लेकर उन्होंने महागठबंधन से अलग होने का फैसला भी ले लिया था.

फिर से एनडीए की सरकार बनी. लेकिन डिप्टी सीएम तार किशोर प्रसाद के मामले में स्थिति बदली हुई दिख रही है. लगातार लग रहे आरोपों के बाद नीतीश कुमार ने डिप्टी सीएम तार किशोर प्रसाद के साथ बैठक भी की. हालांकि आरोप लगने के मामले में मुख्यमंत्री ने बातचीत की है या नहीं, इसकी जानकारी नहीं है. लेकिन पूरे मामले में कोई बड़ी कार्रवाई होगी. इसकी उम्मीद कम ही है.

दरअसल एक अखबार की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 'हर घर नल का जल' योजना से जरूरतमंदों के साथ-साथ नेताओं के रिश्तेदारों को भी फायदा हुआ है. इसके जरिए उपमुख्यमंत्री तारकिशोर के परिवार और उनके सहयोगियों को 53 करोड़ रुपए का ठेका दिया गया है. अखबार ने पड़ताल में पाया कि पीएचईडी (PHED) ने 2019-20 में कटिहार जिले की 9 पंचायतों के अलग-अलग वार्ड में 36 प्रॉजेक्ट को मंजूरी दी. कटिहार जिले से ही उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद चार बार विधायक रहे हैं. 'हर घर नल का जल' प्रोजेक्ट के तहत जिन कंपनियों को ठेका दिया गया, उनमें से एक उनकी बहू पूजा कुमारी, दो साले प्रदीप कुमार भगत से जुड़ी हुई हैं. इतना ही नहीं ठेका लेनेवाली कंपनियों में कुछ उनके करीबी प्रशांत चंद्र जायसवाल, ललित किशोर प्रसाद और संतोष कुमार से जुड़ी हुई है.

इसी रिपोर्ट के सामने आने के बाद गुरुवार को आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने 10 सर्कुलर रोड स्थित आवास पर पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि अगस्त 2020 में ही इस घोटाले को पर्दाफाश किया गया था, लेकिन जांच नहीं की गई. तेजस्वी ने दावा किया इस घाटाले का पर्दाफाश राम प्रकाश महतो ने की थी. फरवरी 2021 में राम प्रकाश महतो ने सीएम नीतीश को इस संबंध में पत्र भी लिखा था, इसके बावजूद सीएम नीतीश ने इस मामले को लेकर संज्ञान नहीं लिया.

यह भी पढ़ें- साला... दामाद... बहू सबको ठेका... आरोप डिप्टी सीएम पर... तेजस्वी के निशाने पर CM नीतीश

पटनाः सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) करप्शन से समझौता नहीं करते हैं. इसके कई उदाहरण भी हैं. अब तक कई मंत्रियों पर आरोप लगने के बाद नीतीश कुमार ने तुरंत उनसे इस्तीफा ले लिया है. लेकिन विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election) में जदयू के तीसरे नंबर की पार्टी बनने के बाद नीतीश कुमार अब कमजोर दिखने लगे हैं. इसलिए डिप्टी सीएम तार किशोर प्रसाद मामले में स्थिति बदलती दिख रही है. जानकार भी कहते हैं कि नीतीश वर्तमान परिस्थिति में कोई बड़ा फैसला लेंगे, इसकी संभावना कम है.

यह भी पढ़ें- डिप्टी सीएम के बहाने तेजस्वी ने नीतीश को दिखायी 'आंख', तो जेडीयू बताने लगी 'औकात'

ऐसे पार्टी के नेता और सहयोगी बीजेपी भी कह रही है कि नीतीश कमजोर नहीं हुए हैं. उनके साथ तो जनता है. आरोप तो कोई किसी पर लगा सकता है. जानकारी दें कि नीतीश कुमार ने अपनी पहली ही सरकार में 24 घंटे के अंदर जीतन राम मांझी से इस्तीफा ले लिया था. उसके बाद परिवहन मंत्री रामानंद सिंह से भी आरोपों के कारण मुख्यमंत्री ने इस्तीफा लिया था.

देखें रिपोर्ट

19 मई 2011 को कोर्ट द्वारा फरार घोषित होने के बाद बीजेपी कोटे के सहकारिता मंत्री रामाधार सिंह से भी इस्तीफा लिया था. 2015 में अक्टूबर में एक स्टिंग ऑपरेशन में घूस के मामले में मंत्री अवधेश कुशवाहा को इस्तीफा देना पड़ा था. उसके बाद 2018 में मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड के मामले में भी मंजू वर्मा को समाज कल्याण विभाग के मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था.

ताजा उदाहरण तो इसी सरकार में है, जब मेवालाल चौधरी शिक्षा मंत्री बने. उन पर आरोप लगे तो केवल 3 दिनों में ही मुख्यमंत्री ने उनसे इस्तीफा ले लिया. लेकिन डिप्टी सीएम तार किशोर प्रसाद के मामले में नीतीश कुमार के रूख से साफ है कि स्थितियां अब बदल चुकी हैं. बीजेपी बड़े भाई की भूमिका में है. इसलिए नीतीश कुमार बीजेपी से बनने वाले डिप्टी सीएम पर कोई बड़ा एक्शन लेंगे, इसकी संभावना कम है.

'आरोप तो कोई किसी पर लगा सकता है. डिप्टी सीएम तार किशोर प्रसाद ने सफाई भी दी है. आरोप लगाने वाले तेजस्वी यादव खुद कई मामले में फंसे हुए हैं. पिता लालू प्रसाद यादव तो सजायफ्ता हैं. लालू परिवार पर तो कई मामले चल रहे हैं. ये लोग जरूर मामले को राजनीतिकरण कर रहे हैं. लेकिन नीतीश कुमार कभी करप्शन से समझौता नहीं किया है. आगे भी नहीं करेंगे. नीतीश कमजोर नहीं हुए हैं. उनके साथ जनता की शक्ति है और इसलिए इस बार भी उनके नेतृत्व में ही nda की सरकार बनी है.' -अभिषेक झा, प्रवक्ता, जदयू

यह भी पढ़ें- आरोपों में घिरे तारकिशोर का तेजस्वी पर पलटवार, 'पहले अपनी छवि को स्वच्छ बनाएं, फिर बताएं'

'नीतीश कमजोर नहीं हुए हैं. अगर कमजोर रहते तो बिहार के मुख्यमंत्री नहीं बनते. वे अभी भी जनता के हित में कार्य कर रहे हैं.' -अरविंद कुमार सिंह, प्रवक्ता बीजेपी

'नीतीश आरोप लगने पर ही कई मंत्रियों से इस्तीफा लेते रहे हैं. डिप्टी सीएम पर भी करप्शन के आरोप को लेकर चर्चा है कि अपने परिवार वालों को टेंडर दिलवाया है. हालांकि इस मामले में क्या कुछ आगे होता है, वह देखने वाली बात है. लेकिन यह जरूर है कि नीतीश यदि कोई बड़ा फैसला नहीं ले रहे हैं, तो कहीं ना कहीं कमजोर हुए हैं.' -प्रोफेसर अजय झा, राजनीतिक विशेषज्ञ

करप्शन से समझौता नहीं करने की बात कहने वाले नीतीश कुमार अपनी पार्टी के साथ बीजेपी के मंत्रियों से भी इस्तीफा लेने में कभी पीछे नहीं रहे है. यहां तक कि महागठबंधन की सरकार में तेजस्वी यादव पर जब आरोप लगा, तो नीतीश कुमार ने उनसे जवाब मांग लिया था. इसी मामले को लेकर उन्होंने महागठबंधन से अलग होने का फैसला भी ले लिया था.

फिर से एनडीए की सरकार बनी. लेकिन डिप्टी सीएम तार किशोर प्रसाद के मामले में स्थिति बदली हुई दिख रही है. लगातार लग रहे आरोपों के बाद नीतीश कुमार ने डिप्टी सीएम तार किशोर प्रसाद के साथ बैठक भी की. हालांकि आरोप लगने के मामले में मुख्यमंत्री ने बातचीत की है या नहीं, इसकी जानकारी नहीं है. लेकिन पूरे मामले में कोई बड़ी कार्रवाई होगी. इसकी उम्मीद कम ही है.

दरअसल एक अखबार की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 'हर घर नल का जल' योजना से जरूरतमंदों के साथ-साथ नेताओं के रिश्तेदारों को भी फायदा हुआ है. इसके जरिए उपमुख्यमंत्री तारकिशोर के परिवार और उनके सहयोगियों को 53 करोड़ रुपए का ठेका दिया गया है. अखबार ने पड़ताल में पाया कि पीएचईडी (PHED) ने 2019-20 में कटिहार जिले की 9 पंचायतों के अलग-अलग वार्ड में 36 प्रॉजेक्ट को मंजूरी दी. कटिहार जिले से ही उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद चार बार विधायक रहे हैं. 'हर घर नल का जल' प्रोजेक्ट के तहत जिन कंपनियों को ठेका दिया गया, उनमें से एक उनकी बहू पूजा कुमारी, दो साले प्रदीप कुमार भगत से जुड़ी हुई हैं. इतना ही नहीं ठेका लेनेवाली कंपनियों में कुछ उनके करीबी प्रशांत चंद्र जायसवाल, ललित किशोर प्रसाद और संतोष कुमार से जुड़ी हुई है.

इसी रिपोर्ट के सामने आने के बाद गुरुवार को आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने 10 सर्कुलर रोड स्थित आवास पर पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि अगस्त 2020 में ही इस घोटाले को पर्दाफाश किया गया था, लेकिन जांच नहीं की गई. तेजस्वी ने दावा किया इस घाटाले का पर्दाफाश राम प्रकाश महतो ने की थी. फरवरी 2021 में राम प्रकाश महतो ने सीएम नीतीश को इस संबंध में पत्र भी लिखा था, इसके बावजूद सीएम नीतीश ने इस मामले को लेकर संज्ञान नहीं लिया.

यह भी पढ़ें- साला... दामाद... बहू सबको ठेका... आरोप डिप्टी सीएम पर... तेजस्वी के निशाने पर CM नीतीश

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.