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Independence Day 2023: स्वतंत्रता दिवस पर CM नीतीश ने की विकास की बातें, प्रदेश में किए जा रहे कामों को गिनाया

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 77 वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान से सरकार की उपलब्धियां गिनाईं और चल रही योजनाओं की स्थिति को जनता के सामने रखा. पढ़ें पूरी खबर..

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार
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Published : Aug 16, 2023, 7:59 AM IST

पटना: 77 वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहारवासियों को संबोधित करते हुए प्रदेश में चल रही योजनाओं और सरकार के कामों से अवगत कराया. उन्होंने सरकार की तमाम उपलब्धियों पर रोशनी डाली और कई अन्य वादे भी किए. जिनमें सबसे अहम सहरसा में मेडिकल कॉलेज खोलने की घोषणा है.

ये भी पढ़ें- Independence Day 2023 : गांधी मैदान में CM नीतीश ने फहराया तिरंगा, सहरसा में मेडिकल कॉलेज की स्थापना का ऐलान, नियोजित शिक्षकों के लिए कही ये बात..

मुख्यमंत्री ने कृषि क्षेत्र को लेकर की बात: मुख्यमंत्री ने कहा कि इस वर्ष जुलाई एवं अगस्त माह के शुरुआती दिनों में कम वर्षा होने के कारण किसानों को धान की खेती में कठिनाई हो रही थी. इसको देखते हुए राज्य सरकार द्वारा किसानों को राहत पहुंचाने का निर्णय लिया गया है. इसके अन्तर्गत बिचड़ा एवं फसलों की सिंचाई हेतु 75 रुपये प्रति लीटर डीजल अनुदान दिया जा रहा है. अब तक 96 हजार 808 किसानों को डीजल अनुदान दिया जा चुका है और आगे भी सभी इच्छुक लोगों को इसका भुगतान किया जायेगा. सिंचाई के लिए प्रतिदिन 16 घंटे बिजली की निर्बाध आपूर्ति की जा रही है. कृषि कार्यों के लिए बिजली दर को पहले ही घटाकर 65 पैसे प्रति यूनिट कर दिया गया है. जिससे बिजली से सिंचाई करना लगभग 20 गुना सस्ता पड़ता है.

किसानों को दिया जा रहा डीजल अनुदान: जो किसान धान की रोपनी नहीं कर पाएंगे उनके लिए आकस्मिक फसल योजना के तहत कम अवधि की फसलें जैसे मक्का, कुल्थी, उड़द, तोरिया, मटर, भिण्डी आदि के बीज निःशुल्क उपलब्ध कराने की पूरी तैयारी की जा चुकी है, ताकि किसानों की कुछ न कुछ आमदनी जरूर हो सके. उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दिनों से वर्षापात होने के कारण अब तक धान का कुल आच्छादन 89.15 प्रतिशत हो गया है. फिर भी जिन जिलों में रोपनी कम हो पाई है, वहां किसानों को राहत देने के लिए डीजल अनुदान, 16 घंटे बिजली की निर्बाध आपूर्ति और वैकल्पिक फसलों के लिए निःशुल्क बीज की व्यवस्था की जा रही है.

"जो लोग क्राइम करते हैं, उन पर पुलिस कार्रवाई करे और कोई भी अपराधी बच न पाये. हर थाने के कार्य को दो हिस्सों-केसों का अनुसंधान एवं विधि-व्यवस्था में बांटा गया है. पुलिस बल की संख्या में बढ़ोतरी की गयी है. पुलिस के लिए वाहन एवं अन्य आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराये गये हैं. उन्होंने कहा कि आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए डायल- 112 की इमरजेंसी सेवा प्रारंभ की गयी है."- नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री

आपातकालीन स्थिति के लिए डायल 112 की सेवा: आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए डायल- 112 की इमरजेंसी सेवा प्रारंभ की गयी है. इस व्यवस्था के अन्तर्गत किसी भी प्रकार की आपातकालीन स्थिति जैसे अपराध की घटना, आग लगने की घटना, वाहन दुर्घटना की स्थिति में या महिला, बच्चों एवं वरिष्ठ नागरिकों की सुरक्षा से संबंधित स्थिति में बिहार के किसी भी कोने से कोई भी पीड़ित व्यक्ति 112 नंबर पर निःशुल्क कॉल कर सकता है. सभी कॉल पटना स्थित कमाण्ड एण्ड कंट्रोल सेंटर में प्राप्त होते हैं और आवश्यकतानुसार पीड़ित व्यक्ति को सहायता उपलब्ध कराने के लिए 15-20 मिनट के अंदर इमरजेंसी रिस्पांस वाहन घटनास्थल पर पहुंच जाते हैं.

पहले चरण में 400 वाहन तैनात: इस संबंध में अब तक पहले चरण में पुलिस बल के साथ 400 डेडिकेटेड वाहन तैनात किये गये हैं, जिसके माध्यम से सम्पूर्ण पटना जिले तथा अन्य सभी जिला मुख्यालयों एवं शहरी क्षेत्रों में यह व्यवस्था कार्यरत है. इसके कॉल सेंटर का पूरा संचालन महिला पुलिसकर्मियों के द्वारा किया जाता है. दूसरे चरण में इस व्यवस्था को पूरे राज्य में लागू किया जाएगा, जिसकी तैयारी की जा रही है. उन्होंने कहा कि साइबर अपराधों यथा कम्प्यूटर, मोबाईल फोन, ऑटोमेटेड टेलर मशीन (ए०टी०एम०) एवं क्रेडिट कार्ड आदि के माध्यम से होने वाले अपराधों से निपटने के लिए प्रत्येक जिले में (रेल पुलिस सहित) कुल 44 साइबर पुलिस थानों का गठन किया गया है.

बिहार में साम्प्रदायिक घटनाओं में कमी: मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में साम्प्रदायिक सौहार्द्र का माहौल कायम है. बिहार में साम्प्रदायिक घटनाओं में लगातार कमी आयी है. साम्प्रदायिक तनाव की घटनाओं के प्रकाश में आने पर पुलिस एवं प्रशासन द्वारा त्वरित कार्रवाई की जा रही है. वर्ष 2006 से ही कब्रिस्तानों की घेराबंदी शुरू की गयी है. पहले चरण में विभिन्न धर्मों की मिली-जुली आबादी वाले क्षेत्रों में स्थित 8,064 संवेदनशील कब्रिस्तानों को घेराबंदी के लिए चिन्हित किया गया था, जिनमें लगभग सभी का काम पूरा हो गया है. बाद में वर्ष 2021 में 1209 और कब्रिस्तानों को चिन्हित किया गया जिनकी घेराबंदी का काम किया जा रहा है.

मंदिरों में चारदीवारी का निर्माण: 2021 में चिन्हित किए गए कब्रिस्तानों में अब तक 185 का काम पूरा हो गया है और 400 निर्माणाधीन है. शेष निविदा की प्रक्रिया में है. शेष काम भी शीघ्र पूरा कर लिया जायेगा. उन्होंने कहा वर्ष 2016 से बिहार मंदिर चहारदीवारी निर्माण योजना शुरू की गयी है, क्योंकि मंदिरों में यदा-कदा मूर्ति चोरी आदि की घटनाएं हो जाती हैं. इसके अंतर्गत 60 वर्ष से पुराने धार्मिक न्यास पर्षद में निबंधित मंदिरों की घेराबंदी की जा रही है, इसमें अब तक 419 मंदिरों की चहारदीवारी की जा चुकी है. पिछले एक वर्ष में 124 मंदिरों की चहारदीवारी की गयी है. अब आवश्यकतानुसार 60 वर्ष से कम समय से स्थापित मंदिरों की चारदीवारी भी कराई जाएगी.

शिक्षा के क्षेत्र में सरकार का विशेष ध्यान: मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में सर्वाधिक ध्यान दिया है. शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए 21,291 नये प्राथमिक विद्यालय खोले गये. 19,725 प्राथमिक विद्यालयों को मध्य विद्यालय में उत्क्रमित किया गया. 63,871 विद्यालय भवन बनाये गये. प्राथमिक विद्यालयों के पौने तीन लाख से अधिक क्लास रूम का निर्माण किया गया. सभी विद्यालयों में छात्र एवं छात्राओं के लिए अलग-अलग शौचालय बनाये गये. विद्यार्थियों के लिए पोशाक, साइकिल, छात्रवृत्ति एवं अन्य कई योजनाएं लागू की गयी.

क्लास रूम निर्माण के लिए 7530 करोड़ की स्वीकृति: बालिकाओं की शिक्षा से जनसंख्या के स्थिरीकरण का बिलकुल सीधा संबंध है. इसी को ध्यान में रखते हुए सभी पंचायतों में 10+2 स्कूल स्थापित करने का निर्णय लिया गया. अब अधिकतर पंचायतों में 10+2 स्कूल स्थापित हो गये हैं और वहां पठन-पाठन प्रारंभ हो गया है. इन विद्यालयों को सुचारू रूप से चलाने के लिए 2 हजार 768 स्कूलों में नये भवन एवं 3 हजार 530 विद्यालयों में अतिरिक्त क्लास रूम आदि के निर्माण हेतु कुल 7 हजार 530 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गयी है, जिस पर काम चल रहा है.

बीपीएससी द्वारा शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया: मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान में सरकारी विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों की कुल संख्या 4 लाख 39 हजार 496 है. जिनमें से कुल सरकारी शिक्षकों की संख्या 59 हजार 720 है और पंचायतों एवं नगर निकायों को मिलाकर कुल नियोजित शिक्षकों की संख्या 3 लाख 79 हजार 776 है. इसके अतिरिक्त, राज्य के विद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने हेतु सरकारी शिक्षकों के कुल 1 लाख 70 हजार 461 पदों पर नियुक्ति की कार्रवाई बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा की जा रही है.

शिक्षक नियुक्ति के लिए बीपीएससी लेगा एग्जाम: निकाले गए बहाली में प्राथमिक विद्यालयों के लिए 79 हजार 943 पद, माध्यमिक विद्यालयों के लिए 32 हजार 916 पद एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों के लिए 57 हजार 602 पद शामिल हैं। इन पदों के लिए आवेदन प्राप्त कर लिये गये हैं। परीक्षा भी इस महीने के अंत तक हो जाएगी जिसके लिए बिहार लोक सेवा आयोग ने परीक्षा की तिथि घोषित कर दी है. इसके अतिरिक्त राज्य के प्राथमिक विद्यालयों में 40 हजार 518 प्रधानाध्यापकों की नियुक्ति की प्रक्रिया भी बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा की जा रही है.

"विद्यालयों के शैक्षणिक वातावरण में लगातार सुधार किया जा रहा है. हम बच्चे-बच्चियों को पढ़ाना चाहते थे तो हमने कहा कि पंचायती राज संस्थाओं के माध्यम से नगर निकायों के द्वारा बहाली हो जाए. 4000 रुपये वेतन से शुरू हुआ और अब 40,000 से भी ऊपर तक वेतन पहुंच गया. इसके बाद कई जगहों पर देखा गया कि सही ढंग से पढ़ाई नहीं हो रही है. हम बच्चे-बच्चियों को सब जगह पढ़ाना चाहते हैं. आज ही के दिन हम कह देते हैं कि पहले बहाली की प्रक्रिया पूरी हो जाने दीजिए, हम सभी शिक्षकों पर ध्यान दे रहे हैं, उनके हित में हम लोग काम कर रहे हैं. हमलोग ऐसी व्यवस्था करेंगे कि वे सरकार से जुड़ जाएंगे ये काम हम लोगों के मन में है."- नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री

सीएम ने बच्चों को पढ़ाने पर दिया जोर: हम सबसे आग्रह करते हैं कि पढ़ाइए ठीक से जब पढ़ाएंगे नहीं और गायब रहेंगे तो कार्रवाई होगी. जब अच्छे से पढ़ाइएगा तो हम आगे भी सोच सकते हैं. यह बात हम लोगों के दिमाग में है. आजकल कितने बच्चे-बच्चियां पढ़ रही हैं, कितने अल्पसंख्यकों के बच्चे पढ़ रहे हैं. बच्चियों की पढ़ाई जरूरी है, इससे प्रजनन दर घटता है. पहले बिहार में प्रजनन दर 4.3 था और सर्वे हुआ था, जिसमें पता चला कि लड़का-लड़की में लड़की मैट्रिक पास है, तो प्रजनन दर देश के विभिन्न हिस्सों में 2 था और बिहार में भी 2 था.

बिहार में प्रजनन दर में कमी: देशभर में अगर लड़की इंटर पास है तो प्रजनन दर 1.7 था और बिहार में सर्वेक्षण हुआ तो 1.6 था. यह देखकर मुझे बहुत खुशी हुई. अब लड़कियों को भी इंटर तक पढ़ाएंगे. हमारे बिहार में प्रजनन दर 4.3 था जो घटते घटते पिछले साल ही 2.9 हो गया. अगर इसी तरह सब लड़कियां पढ़ेंगी तो बिहार का प्रजनन दर भी 2 पर आ जाएगा, इसलिए हम लोग शिक्षा पर विशेष जोर दे रहे हैं.

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को किया जा रहा सुदृढ़: मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2006 से ही बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं में व्यापक सुधार पर जोर रहा है. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का सुदृढ़ीकरण कर उन्हें सातों दिन चौबीसों घंटे क्रियाशील किया गया. चिकित्सकों की उपस्थिति, मरीजों के लिए एम्बुलेंस की सुविधा, स्वास्थ्य केंद्रों में मुफ्त दवा वितरण की सुविधा आदि की शुरुआत की गई. सभी मेडिकल कॉलेज एवं जिला अस्पतालों में सुविधाओं को सुदृढ़ किया गया.

लोगों को मिल रही स्वास्थ्य सुविधा: मुख्यमंत्री ने कहा कि सात निश्चय-2 के तहत फरवरी 2021 से गांवों के 7,800 स्वास्थ्य उपकेंद्रों में टेलीमेडिसिन की व्यवस्था की गई है, जिसके माध्यम से मेडिकल कॉलेजों तथा जिला एवं अनुमंडल अस्पतालों के वरिष्ठ चिकित्सकों द्वारा लोगों को चिकित्सा के लिए परामर्श दिया जा रहा है. इससे बुजुर्ग एवं निःशक्त लोगों तथा महिलाओं को सुविधा हुई है. अब तक 75 लाख से अधिक लोगों ने इसका लाभ लिया है.

"हृदय में छेद के साथ जन्मे बच्चों के निःशुल्क उपचार हेतु 1 अप्रैल, 2021 से "बाल हृदय योजना" लागू की गयी है. इस योजना में प्रशांति फाउंडेशन के सहयोग से गुजरात के अहमदाबाद में अवस्थित सत्यसाईं अस्पताल में ऐसे बच्चों का मुफ्त इलाज किया जाता है. इसी को ध्यान में रखते हुये राज्य सरकार द्वारा ऐसे बच्चों के इलाज हेतु बच्चों एवं अभिभावकों के आने-जाने एवं रहने का खर्च वहन किया जाता है."- नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री

बच्चों के इलाज के लिए सहायता राशि: 6 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों के साथ एक अभिभावक एवं 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के साथ मां एवं एक और अभिभावक के लिए 10 हजार रुपये प्रति व्यक्ति की दर से सहायता राशि देने की व्यवस्था है. अब तक अहमदाबाद स्थित सत्यसाई अस्पताल में 703 बच्चों का इलाज हो चुका है. अब ऐसे इलाज की व्यवस्था इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोलॉजी में कराई गई है. जहां अब तक 161 बच्चों का इलाज किया गया है. साथ ही इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में भी इसके इलाज की व्यवस्था की गयी है. जहां अब तक 24 बच्चों का इलाज किया गया है. इस प्रकार अब तक कुल 888 बच्चों का इलाज किया जा चुका है.

"राज्य में बड़े पैमाने पर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पतालों की स्थापना की गयी है. पूर्व में 6 सरकारी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल थे. आज सरकारी प्रक्षेत्र में 11 मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल कार्यरत हैं और 13 नये मेडिकल कॉलेज निर्माणाधीन है. 9 प्रमंडलीय मुख्यालयों में केवल सहरसा में मेडिकल कॉलेज नहीं है, अतः सहरसा में भी मेडिकल कॉलेज की स्थापना की जायेगी. इसके अलावे अन्य जिलों में भी मेडिकल कॉलेज की स्थापना का प्रयास जारी रहेगा. हम लोगों का लक्ष्य है कि हर जिले में एक मेडिकल कॉलेज हो."- नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री

पीएमसीएच में विश्वस्तरीय सुविधा: पटना मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (पीएमसीएच) को 5462 बेड की क्षमता वाले आधुनिक विश्वस्तरीय मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के रूप में बनाया जा रहा है. इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (आईजीआईएमएस) पटना को 2500 बेड के अस्पताल के रूप में, नालंदा मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (एनएमसीएच), पटना सिटी को 2500 बेड के अस्पताल के रूप में, श्री कृष्ण मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (एसकेएमसीएच), मुजफ्फरपुर को 2500 बेड के अस्पताल के रूप में एवं अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (एएनएमसीएच), गया को 2500 बेड के मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के रूप में विकसित किया जा रहा है.

डीएमसीएच को किया जा रहा विकसित: मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके अतिरिक्त दरभंगा स्थित दरभंगा मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (डीएमसीएच) के बाद बिहार का दूसरा सबसे पुराना अस्पताल है, का विस्तार कर इसे भी 2500 बेड के अस्पताल के रूप में विकसित किये जाने की स्वीकृति दी गयी है. हम लोगों ने तो दरभंगा में ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एम्स) की स्थापना के लिए जमीन चिन्हित कर उसकी स्वीकृति भी दे दी थी. यह जमीन एकमी-शोभन बाईपास पर स्थित है जो ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर से लगभग 4 किलोमीटर पर है. यह स्थान समस्तीपुर-दरभंगा मार्ग एवं प्रस्तावित आमस (गया) दरभंगा एक्सप्रेसवे से भी-जुड़ा हुआ है. हम लोग इसको 4 लेन बनाना चाहते हैं, जिससे इस स्थान की सम्पर्कता सभी तरफ से बहुत अच्छी हो जाएगी.

"हमलोगों को केन्द्र सरकार के निर्णय का इंतजार है. हम केंद्र सरकार से फिर एक बार इसके लिए आग्रह करते हैं. नालंदा जिले के रहुई के पैठना भागन बिगहा में राजकीय दंत चिकित्सा महाविद्यालय का संचालन 12 दिसंबर, 2022 से शुरू हो गया है."- नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री

पटना: 77 वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहारवासियों को संबोधित करते हुए प्रदेश में चल रही योजनाओं और सरकार के कामों से अवगत कराया. उन्होंने सरकार की तमाम उपलब्धियों पर रोशनी डाली और कई अन्य वादे भी किए. जिनमें सबसे अहम सहरसा में मेडिकल कॉलेज खोलने की घोषणा है.

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मुख्यमंत्री ने कृषि क्षेत्र को लेकर की बात: मुख्यमंत्री ने कहा कि इस वर्ष जुलाई एवं अगस्त माह के शुरुआती दिनों में कम वर्षा होने के कारण किसानों को धान की खेती में कठिनाई हो रही थी. इसको देखते हुए राज्य सरकार द्वारा किसानों को राहत पहुंचाने का निर्णय लिया गया है. इसके अन्तर्गत बिचड़ा एवं फसलों की सिंचाई हेतु 75 रुपये प्रति लीटर डीजल अनुदान दिया जा रहा है. अब तक 96 हजार 808 किसानों को डीजल अनुदान दिया जा चुका है और आगे भी सभी इच्छुक लोगों को इसका भुगतान किया जायेगा. सिंचाई के लिए प्रतिदिन 16 घंटे बिजली की निर्बाध आपूर्ति की जा रही है. कृषि कार्यों के लिए बिजली दर को पहले ही घटाकर 65 पैसे प्रति यूनिट कर दिया गया है. जिससे बिजली से सिंचाई करना लगभग 20 गुना सस्ता पड़ता है.

किसानों को दिया जा रहा डीजल अनुदान: जो किसान धान की रोपनी नहीं कर पाएंगे उनके लिए आकस्मिक फसल योजना के तहत कम अवधि की फसलें जैसे मक्का, कुल्थी, उड़द, तोरिया, मटर, भिण्डी आदि के बीज निःशुल्क उपलब्ध कराने की पूरी तैयारी की जा चुकी है, ताकि किसानों की कुछ न कुछ आमदनी जरूर हो सके. उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दिनों से वर्षापात होने के कारण अब तक धान का कुल आच्छादन 89.15 प्रतिशत हो गया है. फिर भी जिन जिलों में रोपनी कम हो पाई है, वहां किसानों को राहत देने के लिए डीजल अनुदान, 16 घंटे बिजली की निर्बाध आपूर्ति और वैकल्पिक फसलों के लिए निःशुल्क बीज की व्यवस्था की जा रही है.

"जो लोग क्राइम करते हैं, उन पर पुलिस कार्रवाई करे और कोई भी अपराधी बच न पाये. हर थाने के कार्य को दो हिस्सों-केसों का अनुसंधान एवं विधि-व्यवस्था में बांटा गया है. पुलिस बल की संख्या में बढ़ोतरी की गयी है. पुलिस के लिए वाहन एवं अन्य आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराये गये हैं. उन्होंने कहा कि आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए डायल- 112 की इमरजेंसी सेवा प्रारंभ की गयी है."- नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री

आपातकालीन स्थिति के लिए डायल 112 की सेवा: आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए डायल- 112 की इमरजेंसी सेवा प्रारंभ की गयी है. इस व्यवस्था के अन्तर्गत किसी भी प्रकार की आपातकालीन स्थिति जैसे अपराध की घटना, आग लगने की घटना, वाहन दुर्घटना की स्थिति में या महिला, बच्चों एवं वरिष्ठ नागरिकों की सुरक्षा से संबंधित स्थिति में बिहार के किसी भी कोने से कोई भी पीड़ित व्यक्ति 112 नंबर पर निःशुल्क कॉल कर सकता है. सभी कॉल पटना स्थित कमाण्ड एण्ड कंट्रोल सेंटर में प्राप्त होते हैं और आवश्यकतानुसार पीड़ित व्यक्ति को सहायता उपलब्ध कराने के लिए 15-20 मिनट के अंदर इमरजेंसी रिस्पांस वाहन घटनास्थल पर पहुंच जाते हैं.

पहले चरण में 400 वाहन तैनात: इस संबंध में अब तक पहले चरण में पुलिस बल के साथ 400 डेडिकेटेड वाहन तैनात किये गये हैं, जिसके माध्यम से सम्पूर्ण पटना जिले तथा अन्य सभी जिला मुख्यालयों एवं शहरी क्षेत्रों में यह व्यवस्था कार्यरत है. इसके कॉल सेंटर का पूरा संचालन महिला पुलिसकर्मियों के द्वारा किया जाता है. दूसरे चरण में इस व्यवस्था को पूरे राज्य में लागू किया जाएगा, जिसकी तैयारी की जा रही है. उन्होंने कहा कि साइबर अपराधों यथा कम्प्यूटर, मोबाईल फोन, ऑटोमेटेड टेलर मशीन (ए०टी०एम०) एवं क्रेडिट कार्ड आदि के माध्यम से होने वाले अपराधों से निपटने के लिए प्रत्येक जिले में (रेल पुलिस सहित) कुल 44 साइबर पुलिस थानों का गठन किया गया है.

बिहार में साम्प्रदायिक घटनाओं में कमी: मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में साम्प्रदायिक सौहार्द्र का माहौल कायम है. बिहार में साम्प्रदायिक घटनाओं में लगातार कमी आयी है. साम्प्रदायिक तनाव की घटनाओं के प्रकाश में आने पर पुलिस एवं प्रशासन द्वारा त्वरित कार्रवाई की जा रही है. वर्ष 2006 से ही कब्रिस्तानों की घेराबंदी शुरू की गयी है. पहले चरण में विभिन्न धर्मों की मिली-जुली आबादी वाले क्षेत्रों में स्थित 8,064 संवेदनशील कब्रिस्तानों को घेराबंदी के लिए चिन्हित किया गया था, जिनमें लगभग सभी का काम पूरा हो गया है. बाद में वर्ष 2021 में 1209 और कब्रिस्तानों को चिन्हित किया गया जिनकी घेराबंदी का काम किया जा रहा है.

मंदिरों में चारदीवारी का निर्माण: 2021 में चिन्हित किए गए कब्रिस्तानों में अब तक 185 का काम पूरा हो गया है और 400 निर्माणाधीन है. शेष निविदा की प्रक्रिया में है. शेष काम भी शीघ्र पूरा कर लिया जायेगा. उन्होंने कहा वर्ष 2016 से बिहार मंदिर चहारदीवारी निर्माण योजना शुरू की गयी है, क्योंकि मंदिरों में यदा-कदा मूर्ति चोरी आदि की घटनाएं हो जाती हैं. इसके अंतर्गत 60 वर्ष से पुराने धार्मिक न्यास पर्षद में निबंधित मंदिरों की घेराबंदी की जा रही है, इसमें अब तक 419 मंदिरों की चहारदीवारी की जा चुकी है. पिछले एक वर्ष में 124 मंदिरों की चहारदीवारी की गयी है. अब आवश्यकतानुसार 60 वर्ष से कम समय से स्थापित मंदिरों की चारदीवारी भी कराई जाएगी.

शिक्षा के क्षेत्र में सरकार का विशेष ध्यान: मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में सर्वाधिक ध्यान दिया है. शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए 21,291 नये प्राथमिक विद्यालय खोले गये. 19,725 प्राथमिक विद्यालयों को मध्य विद्यालय में उत्क्रमित किया गया. 63,871 विद्यालय भवन बनाये गये. प्राथमिक विद्यालयों के पौने तीन लाख से अधिक क्लास रूम का निर्माण किया गया. सभी विद्यालयों में छात्र एवं छात्राओं के लिए अलग-अलग शौचालय बनाये गये. विद्यार्थियों के लिए पोशाक, साइकिल, छात्रवृत्ति एवं अन्य कई योजनाएं लागू की गयी.

क्लास रूम निर्माण के लिए 7530 करोड़ की स्वीकृति: बालिकाओं की शिक्षा से जनसंख्या के स्थिरीकरण का बिलकुल सीधा संबंध है. इसी को ध्यान में रखते हुए सभी पंचायतों में 10+2 स्कूल स्थापित करने का निर्णय लिया गया. अब अधिकतर पंचायतों में 10+2 स्कूल स्थापित हो गये हैं और वहां पठन-पाठन प्रारंभ हो गया है. इन विद्यालयों को सुचारू रूप से चलाने के लिए 2 हजार 768 स्कूलों में नये भवन एवं 3 हजार 530 विद्यालयों में अतिरिक्त क्लास रूम आदि के निर्माण हेतु कुल 7 हजार 530 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गयी है, जिस पर काम चल रहा है.

बीपीएससी द्वारा शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया: मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान में सरकारी विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों की कुल संख्या 4 लाख 39 हजार 496 है. जिनमें से कुल सरकारी शिक्षकों की संख्या 59 हजार 720 है और पंचायतों एवं नगर निकायों को मिलाकर कुल नियोजित शिक्षकों की संख्या 3 लाख 79 हजार 776 है. इसके अतिरिक्त, राज्य के विद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने हेतु सरकारी शिक्षकों के कुल 1 लाख 70 हजार 461 पदों पर नियुक्ति की कार्रवाई बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा की जा रही है.

शिक्षक नियुक्ति के लिए बीपीएससी लेगा एग्जाम: निकाले गए बहाली में प्राथमिक विद्यालयों के लिए 79 हजार 943 पद, माध्यमिक विद्यालयों के लिए 32 हजार 916 पद एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों के लिए 57 हजार 602 पद शामिल हैं। इन पदों के लिए आवेदन प्राप्त कर लिये गये हैं। परीक्षा भी इस महीने के अंत तक हो जाएगी जिसके लिए बिहार लोक सेवा आयोग ने परीक्षा की तिथि घोषित कर दी है. इसके अतिरिक्त राज्य के प्राथमिक विद्यालयों में 40 हजार 518 प्रधानाध्यापकों की नियुक्ति की प्रक्रिया भी बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा की जा रही है.

"विद्यालयों के शैक्षणिक वातावरण में लगातार सुधार किया जा रहा है. हम बच्चे-बच्चियों को पढ़ाना चाहते थे तो हमने कहा कि पंचायती राज संस्थाओं के माध्यम से नगर निकायों के द्वारा बहाली हो जाए. 4000 रुपये वेतन से शुरू हुआ और अब 40,000 से भी ऊपर तक वेतन पहुंच गया. इसके बाद कई जगहों पर देखा गया कि सही ढंग से पढ़ाई नहीं हो रही है. हम बच्चे-बच्चियों को सब जगह पढ़ाना चाहते हैं. आज ही के दिन हम कह देते हैं कि पहले बहाली की प्रक्रिया पूरी हो जाने दीजिए, हम सभी शिक्षकों पर ध्यान दे रहे हैं, उनके हित में हम लोग काम कर रहे हैं. हमलोग ऐसी व्यवस्था करेंगे कि वे सरकार से जुड़ जाएंगे ये काम हम लोगों के मन में है."- नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री

सीएम ने बच्चों को पढ़ाने पर दिया जोर: हम सबसे आग्रह करते हैं कि पढ़ाइए ठीक से जब पढ़ाएंगे नहीं और गायब रहेंगे तो कार्रवाई होगी. जब अच्छे से पढ़ाइएगा तो हम आगे भी सोच सकते हैं. यह बात हम लोगों के दिमाग में है. आजकल कितने बच्चे-बच्चियां पढ़ रही हैं, कितने अल्पसंख्यकों के बच्चे पढ़ रहे हैं. बच्चियों की पढ़ाई जरूरी है, इससे प्रजनन दर घटता है. पहले बिहार में प्रजनन दर 4.3 था और सर्वे हुआ था, जिसमें पता चला कि लड़का-लड़की में लड़की मैट्रिक पास है, तो प्रजनन दर देश के विभिन्न हिस्सों में 2 था और बिहार में भी 2 था.

बिहार में प्रजनन दर में कमी: देशभर में अगर लड़की इंटर पास है तो प्रजनन दर 1.7 था और बिहार में सर्वेक्षण हुआ तो 1.6 था. यह देखकर मुझे बहुत खुशी हुई. अब लड़कियों को भी इंटर तक पढ़ाएंगे. हमारे बिहार में प्रजनन दर 4.3 था जो घटते घटते पिछले साल ही 2.9 हो गया. अगर इसी तरह सब लड़कियां पढ़ेंगी तो बिहार का प्रजनन दर भी 2 पर आ जाएगा, इसलिए हम लोग शिक्षा पर विशेष जोर दे रहे हैं.

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को किया जा रहा सुदृढ़: मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2006 से ही बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं में व्यापक सुधार पर जोर रहा है. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का सुदृढ़ीकरण कर उन्हें सातों दिन चौबीसों घंटे क्रियाशील किया गया. चिकित्सकों की उपस्थिति, मरीजों के लिए एम्बुलेंस की सुविधा, स्वास्थ्य केंद्रों में मुफ्त दवा वितरण की सुविधा आदि की शुरुआत की गई. सभी मेडिकल कॉलेज एवं जिला अस्पतालों में सुविधाओं को सुदृढ़ किया गया.

लोगों को मिल रही स्वास्थ्य सुविधा: मुख्यमंत्री ने कहा कि सात निश्चय-2 के तहत फरवरी 2021 से गांवों के 7,800 स्वास्थ्य उपकेंद्रों में टेलीमेडिसिन की व्यवस्था की गई है, जिसके माध्यम से मेडिकल कॉलेजों तथा जिला एवं अनुमंडल अस्पतालों के वरिष्ठ चिकित्सकों द्वारा लोगों को चिकित्सा के लिए परामर्श दिया जा रहा है. इससे बुजुर्ग एवं निःशक्त लोगों तथा महिलाओं को सुविधा हुई है. अब तक 75 लाख से अधिक लोगों ने इसका लाभ लिया है.

"हृदय में छेद के साथ जन्मे बच्चों के निःशुल्क उपचार हेतु 1 अप्रैल, 2021 से "बाल हृदय योजना" लागू की गयी है. इस योजना में प्रशांति फाउंडेशन के सहयोग से गुजरात के अहमदाबाद में अवस्थित सत्यसाईं अस्पताल में ऐसे बच्चों का मुफ्त इलाज किया जाता है. इसी को ध्यान में रखते हुये राज्य सरकार द्वारा ऐसे बच्चों के इलाज हेतु बच्चों एवं अभिभावकों के आने-जाने एवं रहने का खर्च वहन किया जाता है."- नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री

बच्चों के इलाज के लिए सहायता राशि: 6 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों के साथ एक अभिभावक एवं 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के साथ मां एवं एक और अभिभावक के लिए 10 हजार रुपये प्रति व्यक्ति की दर से सहायता राशि देने की व्यवस्था है. अब तक अहमदाबाद स्थित सत्यसाई अस्पताल में 703 बच्चों का इलाज हो चुका है. अब ऐसे इलाज की व्यवस्था इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोलॉजी में कराई गई है. जहां अब तक 161 बच्चों का इलाज किया गया है. साथ ही इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में भी इसके इलाज की व्यवस्था की गयी है. जहां अब तक 24 बच्चों का इलाज किया गया है. इस प्रकार अब तक कुल 888 बच्चों का इलाज किया जा चुका है.

"राज्य में बड़े पैमाने पर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पतालों की स्थापना की गयी है. पूर्व में 6 सरकारी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल थे. आज सरकारी प्रक्षेत्र में 11 मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल कार्यरत हैं और 13 नये मेडिकल कॉलेज निर्माणाधीन है. 9 प्रमंडलीय मुख्यालयों में केवल सहरसा में मेडिकल कॉलेज नहीं है, अतः सहरसा में भी मेडिकल कॉलेज की स्थापना की जायेगी. इसके अलावे अन्य जिलों में भी मेडिकल कॉलेज की स्थापना का प्रयास जारी रहेगा. हम लोगों का लक्ष्य है कि हर जिले में एक मेडिकल कॉलेज हो."- नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री

पीएमसीएच में विश्वस्तरीय सुविधा: पटना मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (पीएमसीएच) को 5462 बेड की क्षमता वाले आधुनिक विश्वस्तरीय मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के रूप में बनाया जा रहा है. इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (आईजीआईएमएस) पटना को 2500 बेड के अस्पताल के रूप में, नालंदा मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (एनएमसीएच), पटना सिटी को 2500 बेड के अस्पताल के रूप में, श्री कृष्ण मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (एसकेएमसीएच), मुजफ्फरपुर को 2500 बेड के अस्पताल के रूप में एवं अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (एएनएमसीएच), गया को 2500 बेड के मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के रूप में विकसित किया जा रहा है.

डीएमसीएच को किया जा रहा विकसित: मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके अतिरिक्त दरभंगा स्थित दरभंगा मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (डीएमसीएच) के बाद बिहार का दूसरा सबसे पुराना अस्पताल है, का विस्तार कर इसे भी 2500 बेड के अस्पताल के रूप में विकसित किये जाने की स्वीकृति दी गयी है. हम लोगों ने तो दरभंगा में ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एम्स) की स्थापना के लिए जमीन चिन्हित कर उसकी स्वीकृति भी दे दी थी. यह जमीन एकमी-शोभन बाईपास पर स्थित है जो ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर से लगभग 4 किलोमीटर पर है. यह स्थान समस्तीपुर-दरभंगा मार्ग एवं प्रस्तावित आमस (गया) दरभंगा एक्सप्रेसवे से भी-जुड़ा हुआ है. हम लोग इसको 4 लेन बनाना चाहते हैं, जिससे इस स्थान की सम्पर्कता सभी तरफ से बहुत अच्छी हो जाएगी.

"हमलोगों को केन्द्र सरकार के निर्णय का इंतजार है. हम केंद्र सरकार से फिर एक बार इसके लिए आग्रह करते हैं. नालंदा जिले के रहुई के पैठना भागन बिगहा में राजकीय दंत चिकित्सा महाविद्यालय का संचालन 12 दिसंबर, 2022 से शुरू हो गया है."- नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री

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