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CM नीतीश कुमार आज जातीय जनगणना पर PM नरेंद्र मोदी को लिखेंगे पत्र - पीएम मोदी को सीएम नीतीश का पत्र

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज पीएम मोदी को पत्र लिखेंगे. पत्र में जातीय जनगणना कराने को लेकर पुनर्विचार करने की बातें होंगी. बता दें कि बिहार में भाजपा को छोड़कर तमाम दल चाहते हैं कि जातीय जनगणना हो.

नीतीश कुमार
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Published : Aug 2, 2021, 9:25 AM IST

पटना: जातीय जनगणना (Caste Census) पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitih Kumar) आज पीएम मोदी को पत्र लिखेंगे. वे रविवार को दिल्ली से पटना पहुंचे . एयरपोर्ट पर ही उन्होंने बयान दिया कि हम लोग चाहते हैं कि जातीय जनगणना हो. पत्र के माध्यम से उनसे अपनी बात रखने की कोशिश होगी.

ये भी पढ़ें- बोले उपेंद्र कुशवाहा- जनगणना में जाति का जिक्र जरूरी, विकास योजना भी होता है प्रभावित

बता दें कि जातीय जनगणना कराने को लेकर काफी वक्त से अभियान चल रहे हैं. विधानसभा में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास कर दिया गया था. जिसमें एनडीए में शामिल सबी दलों के साथ विपक्ष में बैठे तमाम दलों की सहमति थी. लेकिन केंद्र से मनाही के बाद बीजेपी के बोल में दो राय झलकने लगी. लेकिन जदयू और विपक्षी दलों की मांग है कि जातीय जनगणना होनी चाहिए.

'निश्चित तौर पर उस समय में सर्वसम्मति बनी थी कि जातीय जनगणना होनी चाहिए. इसको लेकर जितने भी लोग हमारे साथ मिले हैं जो भी दल यह चाहते हैं. निश्चित तौर पर एक पत्र हम प्रधानमंत्री को इस को लेकर लिखेंगे और जातीय जनगणना हो इसको लेकर हम लोग प्रयास करेंगे. हम लोग चाहते हैं कि जातीय जनगणना होनी चाहिए.' : नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री, बिहार

मानसून सत्र के दौरान तेजस्वी यादव और विपक्ष के नेता जातीय जनगणना को लेकर सीएम नीतीश कुमार के चेंबर में मिलने भी पहुंचे थे. वहां सीएम ने सभी को आश्वस्त किया था कि पीएम मोदी को एक पत्र लिख कर जातीय जनगणना पर पुनर्विचार करने की बात रखी जाएगी. साथ ही एक टीम उनसे मुलाकात भी करने जाएगी.

गौरतलब है कि जातीय जनगणना को लेकर बिहार में पहले भी खूब सियासत होती रही है. अब केंद्र सरकार की ओर से जातीय जनगणना कराने से इनकार करने के बाद यह मामला फिर से तूल पकड़ लिया है. नीतीश कुमार ने विपक्ष के प्रस्ताव को स्वीकार कर एक नई राजनीतिक सियासत के संकेत भी दिए हैं. अब देखना है कि बीजेपी इसे किस ढंग से लेती है.

गौरतलब है कि मानसून सत्र ( Monson Session ) के पहले दिन ही तेजस्वी यादव ने विधानसभा में कहा था कि विधानसभा से पहले भी दो बार जातिगत जनगणना कराए जाने का सर्व सहमति से प्रस्ताव पेश कर केंद्र सरकार को भेजा गया है, इसलिए एक बार फिर से यह प्रस्ताव विधान सभा से केंद्र सरकार को भेजा जाए. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इस दिशा में पहल करनी चाहिए. पूरा सदन इस मुद्दे पर उनके साथ है.

ये भी पढ़ें- JDU के लिए अगले 24 घंटे काफी अहम, नीतीश के लिए आसान नहीं होगा फैसला

तेजस्वी और आरजेडी का मानना है कि अगर जातिगत जनगणना नहीं कराई जाती है तो पिछड़े, अति पिछड़े हिंदुओं के आर्थिक और सामाजिक प्रगति का सही आकलन नहीं हो सकेगा. जातीय जनगणना कराने के लिए बिहार विधानसभा की एक उच्च स्तरीय सर्वदलीय कमेटी प्रधानमंत्री से मिलकर अनुरोध करें. यदि भारत सरकार अड़ियल रवैया अपनाते हुए जातिगत जनगणना नहीं कराती है तो बिहार सरकार अपने संसाधनों से राज्य में जातीय जनगणना कराए, जिससे राज्य में रहने वाले सभी वर्ग के आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति का सही पता चल सके.

तेजस्वी ने कहा कि जातीय जनगणना का मसला उनकी पार्टी उठाती रही है और अगर केंद्र सरकार ने यह फैसला किया है कि जातीय जनगणना नहीं कराई जाएगी तो इसके बावजूद राज्य सरकार अपने खर्च पर इसे करा सकती है. कई राज्यों ने ऐसा अपने खर्च पर कराया है.

ये भी पढ़ें- Monsoon Session: सदन में RJD ने बदली रणनीति, नीतीश सरकार को 'सड़क' पर ला किया खड़ा

बता दें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी कई बार जातीय जनगणना की मांग कर चुके हैं. हाल में भी उन्होंने कहा था कि हम लोगों का मानना है कि जनगणना जाति आधारित होना चाहिए. उन्होंने कहा कि बिहार विधान मंडल ने 18 फरवरी 2019 को और बिहार विधानसभा ने 27 फरवरी 2020 को सर्वसम्मति से यह जातीय जनगणना का प्रस्ताव पास किया था. नीतीश कुमार ने कहा कि यह प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया था, केंद्र सरकार को इस संबंध में पुनर्विचार करना चाहिए.

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पटना: जातीय जनगणना (Caste Census) पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitih Kumar) आज पीएम मोदी को पत्र लिखेंगे. वे रविवार को दिल्ली से पटना पहुंचे . एयरपोर्ट पर ही उन्होंने बयान दिया कि हम लोग चाहते हैं कि जातीय जनगणना हो. पत्र के माध्यम से उनसे अपनी बात रखने की कोशिश होगी.

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बता दें कि जातीय जनगणना कराने को लेकर काफी वक्त से अभियान चल रहे हैं. विधानसभा में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास कर दिया गया था. जिसमें एनडीए में शामिल सबी दलों के साथ विपक्ष में बैठे तमाम दलों की सहमति थी. लेकिन केंद्र से मनाही के बाद बीजेपी के बोल में दो राय झलकने लगी. लेकिन जदयू और विपक्षी दलों की मांग है कि जातीय जनगणना होनी चाहिए.

'निश्चित तौर पर उस समय में सर्वसम्मति बनी थी कि जातीय जनगणना होनी चाहिए. इसको लेकर जितने भी लोग हमारे साथ मिले हैं जो भी दल यह चाहते हैं. निश्चित तौर पर एक पत्र हम प्रधानमंत्री को इस को लेकर लिखेंगे और जातीय जनगणना हो इसको लेकर हम लोग प्रयास करेंगे. हम लोग चाहते हैं कि जातीय जनगणना होनी चाहिए.' : नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री, बिहार

मानसून सत्र के दौरान तेजस्वी यादव और विपक्ष के नेता जातीय जनगणना को लेकर सीएम नीतीश कुमार के चेंबर में मिलने भी पहुंचे थे. वहां सीएम ने सभी को आश्वस्त किया था कि पीएम मोदी को एक पत्र लिख कर जातीय जनगणना पर पुनर्विचार करने की बात रखी जाएगी. साथ ही एक टीम उनसे मुलाकात भी करने जाएगी.

गौरतलब है कि जातीय जनगणना को लेकर बिहार में पहले भी खूब सियासत होती रही है. अब केंद्र सरकार की ओर से जातीय जनगणना कराने से इनकार करने के बाद यह मामला फिर से तूल पकड़ लिया है. नीतीश कुमार ने विपक्ष के प्रस्ताव को स्वीकार कर एक नई राजनीतिक सियासत के संकेत भी दिए हैं. अब देखना है कि बीजेपी इसे किस ढंग से लेती है.

गौरतलब है कि मानसून सत्र ( Monson Session ) के पहले दिन ही तेजस्वी यादव ने विधानसभा में कहा था कि विधानसभा से पहले भी दो बार जातिगत जनगणना कराए जाने का सर्व सहमति से प्रस्ताव पेश कर केंद्र सरकार को भेजा गया है, इसलिए एक बार फिर से यह प्रस्ताव विधान सभा से केंद्र सरकार को भेजा जाए. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इस दिशा में पहल करनी चाहिए. पूरा सदन इस मुद्दे पर उनके साथ है.

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तेजस्वी और आरजेडी का मानना है कि अगर जातिगत जनगणना नहीं कराई जाती है तो पिछड़े, अति पिछड़े हिंदुओं के आर्थिक और सामाजिक प्रगति का सही आकलन नहीं हो सकेगा. जातीय जनगणना कराने के लिए बिहार विधानसभा की एक उच्च स्तरीय सर्वदलीय कमेटी प्रधानमंत्री से मिलकर अनुरोध करें. यदि भारत सरकार अड़ियल रवैया अपनाते हुए जातिगत जनगणना नहीं कराती है तो बिहार सरकार अपने संसाधनों से राज्य में जातीय जनगणना कराए, जिससे राज्य में रहने वाले सभी वर्ग के आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति का सही पता चल सके.

तेजस्वी ने कहा कि जातीय जनगणना का मसला उनकी पार्टी उठाती रही है और अगर केंद्र सरकार ने यह फैसला किया है कि जातीय जनगणना नहीं कराई जाएगी तो इसके बावजूद राज्य सरकार अपने खर्च पर इसे करा सकती है. कई राज्यों ने ऐसा अपने खर्च पर कराया है.

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बता दें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी कई बार जातीय जनगणना की मांग कर चुके हैं. हाल में भी उन्होंने कहा था कि हम लोगों का मानना है कि जनगणना जाति आधारित होना चाहिए. उन्होंने कहा कि बिहार विधान मंडल ने 18 फरवरी 2019 को और बिहार विधानसभा ने 27 फरवरी 2020 को सर्वसम्मति से यह जातीय जनगणना का प्रस्ताव पास किया था. नीतीश कुमार ने कहा कि यह प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया था, केंद्र सरकार को इस संबंध में पुनर्विचार करना चाहिए.

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