पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बीजेपी को सत्ता से बाहर करने और नरेंद्र मोदी को रोकने के लिए विपक्ष को एकजुट करने का बीड़ा उठाया था. इंडिया गठबंधन के सूत्रधार भी बने. बनारस से बड़ी रैली कर प्रधानमंत्री को चुनौती देने वाले थे, लेकिन बनारस का कार्यक्रम पार्टी ने अचानक स्थगित कर दिया.
नरेंद्र मोदी को कैसे चुनौती देंगे नीतीश?: ऐसे तो झारखंड में 21 जनवरी को रामगढ़ में कार्यक्रम होना है. उसकी तैयारी चल रही है. राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र सहित अन्य राज्यों में भी नीतीश कुमार का कार्यक्रम होना है. पिछले दिनों केसी त्यागी ने भी इस बात की जानकारी दी थी. लेकिन बनारस का कार्यक्रम एकाएक जिस प्रकार से स्थगित हुआ है नीतीश कुमार के दूसरे कार्यक्रम को लेकर भी संशय बनने लगा है.
झारखंड के जदयू प्रभारी मंत्री अशोक चौधरी का बयान: ऐसे झारखंड के कार्यक्रम को लेकर झारखंड के जदयू प्रभारी मंत्री अशोक चौधरी का कहना है कि "हम लोग तैयारी कर रहे हैं और 21 जनवरी को मुख्यमंत्री का कार्यक्रम होगा." इंडिया गठबंधन के घटक दलों के साथ नहीं आने पर अशोक चौधरी ने कहा कि यह तो जदयू का कार्यक्रम है. यदि मजबूत होगा तो इंडिया गठबंधन को भी उसका लाभ मिलेगा.
बीजेपी का आरोप: वहीं बीजेपी का आरोप है कि वाराणसी में भीड़ नहीं जुटने वाली थी और इसीलिए जदयू ने नीतीश कुमार के कार्यक्रम को स्थगित कर दिया है. भाजपा प्रवक्ता प्रभाकर मिश्रा का कहना है यदि लालटेन लेकर भी नीतीश कुमार निकलते हैं तो उत्तर प्रदेश में 1000 से अधिक लोग मिलने वाले नहीं थे.
"मध्य प्रदेश में 10 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. किसी की जमानत नहीं बची. नीतीश कुमार अपनी हैसियत देखे बिना कभी प्रधानमंत्री बनने का सपना देखने लगते हैं तो कभी बनारस में रैली कर जदयू का यूपी में विस्तार करने का सपना पालने लगते हैं."- प्रभाकर मिश्रा, प्रवक्ता, भाजपा
'इंडिया गठबंधन से नीतीश को नहीं मिल रहा सहयोग'- एक्सपर्ट: राजनीतिक विशेषज्ञ रवि उपाध्याय का कहना है कि नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन के भले ही सूत्रधार हैं और पार्टी की तरफ से प्रधानमंत्री पद के लिए उन्हें प्रमोट किया जा रहा है, लेकिन इंडिया गठबंधन का कहीं से सहयोग नीतीश कुमार को नहीं मिल रहा है.
"बिहार में भी जो कार्यक्रम नीतीश कुमार कर रहे हैं वह केवल जदयू का कार्यक्रम बनकर रह जा रहा है. महागठबंधन के सहयोगी उसमें भी साथ नहीं हैं. ऐसे में जब तक नीतीश कुमार की गाड़ी पर इंडिया एयरलाइंस के घटक दल के नेता नहीं चढ़ेंगे तब तक नीतीश सर्वमान्य नेता नहीं बन सकते हैं."- रवि उपाध्याय, राजनीतिक विशेषज्ञ
सीट शेयरिंग पर हो सकती है चर्चा: सितंबर के बाद इंडिया गठबंधन की अब 19 दिसंबर को इंडिया गठबंधन की बैठक होने जा रही है. यह बैठक इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अब तक इंडिया गठबंधन की जो तीन बैठकर हुई हैं उसमें सीट शेयरिंग पर चर्चा नहीं की गई है. पहली बार सीट शेयरिंग पर चर्चा की जाएगी क्योंकि सारा मामला उत्तर प्रदेश पश्चिम बंगाल दिल्ली बिहार जैसे राज्यों में सीट शेयरिंग को लेकर है.
कौन-कौन आएंगे साथ: शुरू में पांच रैली करने की घोषणा हुई थी लेकिन मध्य प्रदेश की रैली को कांग्रेस ने रद्द कर दिया था. उसके बाद एक भी रैली नहीं हुई. अब 19 दिसंबर को यदि भाजपा के खिलाफ संयुक्त अभियान चलाने पर फैसला होता है तो आगे की रणनीति तय करनी होगी. अहम बात ये कि उसमें कांग्रेस के साथ टीएमसी समाजवादी पार्टी और जदयू के साथ कौन-कौन से दल शामिल होते हैं, देखना दिलचस्प होगा.
कौन होगा विपक्ष का दूल्हा?: 19 दिसंबर को इंडिया गठबंधन की बैठक दिल्ली में होने जा रही है. सीट शेयरिंग और बीजेपी के खिलाफ चुनाव प्रचार अभियान को लेकर चर्चा होगी. नीतीश कुमार ने पहले ही बनारस में प्रधानमंत्री को चुनौती देने की घोषणा कर दी थी लेकिन वह कार्यक्रम होने से पहले ही फुश हो गया. इंडिया गठबंधन की बैठक पर सबकी नजर है क्योंकि समाजवादी पार्टी का क्या रुख होता है वह भी देखना दिलचस्प होगा. साथ ही विपक्ष का दूल्हा अभी तक तय नहीं हो पाया है, इसपर भी चर्चा संभव है.
क्या नीतीश के साथ आएगी विपक्ष?: ममता बनर्जी का क्या रुख होता है वह भी देखने वाली बात होगी. अब तक ना नीतीश कुमार को समाजवादी पार्टी का सहयोग मिला है और ना ही झारखंड में होने वाले कार्यक्रम को लेकर हेमंत सोरेन का ही सहयोग मिल रहा है. जदयू के नेता भी बोल रहे हैं कि यह पार्टी का कार्यक्रम है लेकिन ऐसे में नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन के अगुआ कैसे बनेंगे, एक बड़ा सवाल है. साथ ही अगर ऐसे की विभेद रहे तो बीजेपी को चुनौती कैसे दे पाएंगे?
इसे भी पढ़ें-
'नीतीश कुमार दूसरों के इशारे पर चल रहे हैं, वह मॉनिटर्ड हो गए हैं' : RCP