ETV Bharat / state

Opposition Unity Meeting : नीतीश कुमार की नजर उन राज्यों पर जहां कांग्रेस कमजोर..! समझें समीकरण - CM Nitish Kumar

लोकसभा चुनाव 2024 के लिए बिहार में रणनीति बन रही है. नीतीश कुमार विपक्षी एकजुटता को लेकर एक फार्मूले पर काम कर रहे हैं. उनकी मंशा है कि कांग्रेस किस तरह उन राज्यों में फिट बैठ जाए जहां वो कमजोर है. इसके लिए उसे क्षेत्रीय क्षत्रपों के झंडे तले चुनाव लड़ना होगा. इसी बात की सहमति 23 जून को होने वाली बैठक पर चर्चा होगी.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By

Published : Jun 12, 2023, 9:12 PM IST

Updated : Jun 12, 2023, 9:27 PM IST

विपक्षी एकता पर नए फॉर्मूले पर मंथन

पटना : बिहार में विपक्षी दलों की 23 जून को होने वाली बैठक को लेकर सरगर्मी बढ़ने लगी है. बैठक में 18 दलों के आने की स्वीकृति मिल चुकी है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नजर उन राज्यों पर विशेष रूप से है जहां कांग्रेस कमजोर है और विपक्षी दल मजबूत स्थिति में है. बिहार सहित आठ राज्य ऐसे हैं जहां 262 लोकसभा की सीटें हैं और 2019 के चुनाव में कांग्रेस को केवल 17 सीटों पर जीत मिली थी.

ये भी पढ़ें- Bihar Politics: 'एक भी सीट पर नहीं लड़ेंगे लोकसभा चुनाव'.. विपक्षी पार्टियों की बैठक से पहले भड़के मांझी

'हाथ' का साथ पाने के लिए मीटिंग : इस आधार पर कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दलों की सीटों को गिन लें तो यह संख्या 100 से कम यानी 95 ठहरती है. विपक्षी एकजुटता की मुहिम चला रहे नीतीश कुमार को लगता है कि यदि इन राज्यों में कांग्रेस का विपक्षी दलों के साथ बेहतर तालमेल हो जाए तो बीजेपी को आसानी से सरकार बनाने से रोका जा सकता है. 23 जून की होने वाली बैठक में इसी रणनीति पर चर्चा हो सकती है.

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX


जहां कमजोर कांग्रेस वहां क्षत्रपों की चलेगी? : बिहार में 23 जून को विपक्षी दलों की बड़ी मुहिम शुरू होने वाली है. जिन राज्यों पर सबकी नजर है उसमें कांग्रेस की स्थिति बहुत बेहतर नहीं. हिंदी पट्टी के सबसे बड़े प्रदेश उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 80 सीटें हैं. यहां कांग्रेस के पास केवल एक लोकसभा की सीटें हैं, जो रायबरेली से सोनिया गांधी ने जीती है. सपा को 2019 में 5 सीटें मिली थीं और बसपा को 10 सीट. बीजेपी को उत्तर प्रदेश में 64 सीटों पर जीत मिली थी और बीजेपी के बाद विपक्ष में मायावती की बसपा को सबसे अधिक 10 सीट मिली. लेकिन विपक्षी दलों की एकता की होने वाली बैठक में मायावती को आमंत्रण तक नहीं दिया गया है. ऐसे विधानसभा में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी समाजवादी पार्टी को 5 लोकसभा सीटों पर जीत मिली थी और विपक्षी एकता की बैठक में सपा भाग लेगी और कोशिश होगी कि सपा के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश में कांग्रेस गठबंधन बनाए.


बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं. 2019 में नीतीश कुमार एनडीए में थे और एनडीए को 40 में से 39 सीटों पर जीत मिली थी. एक सीट पर कांग्रेस जीती थी. आरजेडी का खाता तक नहीं खुला था. अब नीतीश कुमार कि जदयू भी विपक्ष में है. इस तरह से लोकसभा में बिहार में सबसे अधिक विपक्ष के तरफ से जदयू के सांसद हैं. जदयू और आरजेडी की कोशिश है कि बिहार में कांग्रेस उसे सपोर्ट करें.


झारखंड में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का एकमात्र सांसद जीता था. झारखंड मुक्ति मोर्चा का भी यही हाल है. यानी 14 में से केवल दो ही लोकसभा की सीट विपक्ष के पास है. झारखंड में पहले से गठबंधन बना हुआ है और सरकार में भी कांग्रेस शामिल है. दिल्ली में लोकसभा की 7 सीटें हैं और यहां सभी सीटों पर बीजेपी का कब्जा है. ऐसे तो सरकार अरविंद केजरीवाल की पार्टी आप का चल रहा है, लेकिन लोकसभा में दिल्ली में आप का खाता नहीं खुला. कांग्रेस को भी कोई सफलता नहीं मिली. अब नीतीश कुमार की तरफ से कोशिश हो रही है कि आप और कांग्रेस यहां मिल जाएं, जिससे बीजेपी को सीधी चुनौती दी जा सके.

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX

'आप' आएंगे कांग्रेस के साथ ? : अरविंद केजरीवाल ऐसे भी इन दिनों केंद्र सरकार के अध्यादेश को लेकर कांग्रेस से मदद मांग रहे हैं. लेकिन कांग्रेस इसके लिए तैयार नहीं है. इसके कारण दिल्ली में कांग्रेस और आप के बीच गठबंधन होना आसान नहीं होगा. हिंदी पट्टी के अलावा पश्चिम बंगाल में 2019 के लोकसभा चुनाव में 42 सीटों में 22 सीटों पर ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी को जीत मिली थी. 18 सीटों पर बीजेपी जीती थी जबकि कांग्रेस को केवल 2 सीटों पर जीत मिली. लेकिन, विधानसभा में कांग्रेस की स्थिति और खराब है. कांग्रेस के एक भी विधायक नहीं है. ममता बनर्जी चाहती हैं कि कांग्रेस उनकी पार्टी को सपोर्ट करे और यही नीतीश कुमार भी चाहते हैं.


दिल्ली-पंजाब 'आप' अटकाएंगे क्या? : इसी तरह पंजाब में लोकसभा की 13 सीटें हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में 8 सीट पर कांग्रेस को जीत मिली थी. 2 सीट पर अकाली दल को और एक सीट पर आप को जीत हासिल हुई थी. भाजपा को भी दो सीट मिले थे. हालांकि एक सीट पर हुए उपचुनाव में आप को जीत मिली है. लेकिन लोकसभा चुनाव के बाद विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस को करारी हार मिली. आप की वहां सरकार बनी है कांग्रेस की स्थिति वहां भी कमजोर हो रही है. ऐसे में यहां भी कांग्रेस और आप एक साथ हो गए तो बीजेपी को आसानी से रोकना संभव हो सकेगा.


महाराष्ट्र में गणित क्या होगी? : इसी तरह महाराष्ट्र में जहां कांग्रेस के साथ विपक्षी दलों का गठबंधन है 48 लोकसभा की सीटें हैं, जिसमें कांग्रेस के पास केवल एक सीट है. वहीं ओडिशा में 2019 लोकसभा के चुनाव में कांग्रेस को एक सीट पर जीत मिली है. वहां नवीन पटनायक की पार्टी को 12 सीट पर जीत मिली. लेकिन नवीन पटनायक ने विपक्षी एकजुटता की मुहिम से अपने को अलग कर लिया है. इस तरह 8 राज्य विपक्षी एकजुटता की मुहिम के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है. जदयू सूत्रों की मानें तो इन राज्यों में कांग्रेस के साथ तालमेल होने पर स्थितियां बदल सकती है.

राजनीतिक विशेषज्ञ अरुण पांडे का कहना है नीतीश कुमार तो चाहते हैं कि ''जिन राज्यों में कांग्रेस कमजोर है, वहां वह ड्राइविंग सीट पर विपक्ष के जो मजबूत दल हैं उनके हाथ में हो. ऐसे में कांग्रेस को ढाई सौ सीटें छोड़नी पड़ेगी. पिछले लोकसभा चुनाव में 350 सीटें थीं, जिस पर सीधा मुकाबला हुआ था. लेकिन उसके बावजूद बीजेपी को 300 से अधिक सीटें मिलीं. लेकिन यदि सभी सीटों पर विपक्ष सीधा मुकाबला देता है तो बीजेपी के लिए चुनौती बढ़ सकती है.''


जदयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार अभी नीतीश कुमार की रणनीति पर कुछ भी बोलने से बचते हुए इतना ही कहा कि ''बिहार में जिस प्रकार से महागठबंधन का मॉडल बना है हम लोग चाहते हैं देश में बीजेपी को चुनौती देने के लिए यही मॉडल तैयार हो.'' वहीं जदयू के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद वशिष्ठ नारायण सिंह का कहना है कि ''विपक्षी दलों की बैठक सही दिशा में आगे बढ़ रही है. बीजेपी में घबराहट है. पहले बीजेपी करती थी कि विपक्षी दलों की बैठक ही नहीं होगी. अब सीट शेयरिंग, नेतृत्व और कॉमन मिनिमम प्रोग्राम को लेकर सवाल खड़ा कर रही है. इसी से उनकी बेचैनी समझ में आ रही है.''

23 जून के बाद ही गठबंधन का रूप होगा तैयार : बिहार में 23 जून की होने वाली बैठक पर देशभर की नजर है. ऐसे तो 12 जून को पहले बैठक तय हुई थी, लेकिन कांग्रेस के आला नेताओं ने आने में असमर्थता जताई और उसके कारण बैठक को टालना पड़ा. अब कांग्रेस की तरफ से राहुल गांधी और राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे के आने की बात प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से कही गई है. ऐसे में जब कांग्रेस के साथ प्रमुख राज्यों के विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक होगी तो और क्या रणनीति तैयार होगी उसके बाद ही विपक्षी दलों के गठबंधन की स्थिति स्पष्ट हो पाएगी.

विपक्षी एकता पर नए फॉर्मूले पर मंथन

पटना : बिहार में विपक्षी दलों की 23 जून को होने वाली बैठक को लेकर सरगर्मी बढ़ने लगी है. बैठक में 18 दलों के आने की स्वीकृति मिल चुकी है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नजर उन राज्यों पर विशेष रूप से है जहां कांग्रेस कमजोर है और विपक्षी दल मजबूत स्थिति में है. बिहार सहित आठ राज्य ऐसे हैं जहां 262 लोकसभा की सीटें हैं और 2019 के चुनाव में कांग्रेस को केवल 17 सीटों पर जीत मिली थी.

ये भी पढ़ें- Bihar Politics: 'एक भी सीट पर नहीं लड़ेंगे लोकसभा चुनाव'.. विपक्षी पार्टियों की बैठक से पहले भड़के मांझी

'हाथ' का साथ पाने के लिए मीटिंग : इस आधार पर कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दलों की सीटों को गिन लें तो यह संख्या 100 से कम यानी 95 ठहरती है. विपक्षी एकजुटता की मुहिम चला रहे नीतीश कुमार को लगता है कि यदि इन राज्यों में कांग्रेस का विपक्षी दलों के साथ बेहतर तालमेल हो जाए तो बीजेपी को आसानी से सरकार बनाने से रोका जा सकता है. 23 जून की होने वाली बैठक में इसी रणनीति पर चर्चा हो सकती है.

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX


जहां कमजोर कांग्रेस वहां क्षत्रपों की चलेगी? : बिहार में 23 जून को विपक्षी दलों की बड़ी मुहिम शुरू होने वाली है. जिन राज्यों पर सबकी नजर है उसमें कांग्रेस की स्थिति बहुत बेहतर नहीं. हिंदी पट्टी के सबसे बड़े प्रदेश उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 80 सीटें हैं. यहां कांग्रेस के पास केवल एक लोकसभा की सीटें हैं, जो रायबरेली से सोनिया गांधी ने जीती है. सपा को 2019 में 5 सीटें मिली थीं और बसपा को 10 सीट. बीजेपी को उत्तर प्रदेश में 64 सीटों पर जीत मिली थी और बीजेपी के बाद विपक्ष में मायावती की बसपा को सबसे अधिक 10 सीट मिली. लेकिन विपक्षी दलों की एकता की होने वाली बैठक में मायावती को आमंत्रण तक नहीं दिया गया है. ऐसे विधानसभा में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी समाजवादी पार्टी को 5 लोकसभा सीटों पर जीत मिली थी और विपक्षी एकता की बैठक में सपा भाग लेगी और कोशिश होगी कि सपा के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश में कांग्रेस गठबंधन बनाए.


बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं. 2019 में नीतीश कुमार एनडीए में थे और एनडीए को 40 में से 39 सीटों पर जीत मिली थी. एक सीट पर कांग्रेस जीती थी. आरजेडी का खाता तक नहीं खुला था. अब नीतीश कुमार कि जदयू भी विपक्ष में है. इस तरह से लोकसभा में बिहार में सबसे अधिक विपक्ष के तरफ से जदयू के सांसद हैं. जदयू और आरजेडी की कोशिश है कि बिहार में कांग्रेस उसे सपोर्ट करें.


झारखंड में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का एकमात्र सांसद जीता था. झारखंड मुक्ति मोर्चा का भी यही हाल है. यानी 14 में से केवल दो ही लोकसभा की सीट विपक्ष के पास है. झारखंड में पहले से गठबंधन बना हुआ है और सरकार में भी कांग्रेस शामिल है. दिल्ली में लोकसभा की 7 सीटें हैं और यहां सभी सीटों पर बीजेपी का कब्जा है. ऐसे तो सरकार अरविंद केजरीवाल की पार्टी आप का चल रहा है, लेकिन लोकसभा में दिल्ली में आप का खाता नहीं खुला. कांग्रेस को भी कोई सफलता नहीं मिली. अब नीतीश कुमार की तरफ से कोशिश हो रही है कि आप और कांग्रेस यहां मिल जाएं, जिससे बीजेपी को सीधी चुनौती दी जा सके.

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX

'आप' आएंगे कांग्रेस के साथ ? : अरविंद केजरीवाल ऐसे भी इन दिनों केंद्र सरकार के अध्यादेश को लेकर कांग्रेस से मदद मांग रहे हैं. लेकिन कांग्रेस इसके लिए तैयार नहीं है. इसके कारण दिल्ली में कांग्रेस और आप के बीच गठबंधन होना आसान नहीं होगा. हिंदी पट्टी के अलावा पश्चिम बंगाल में 2019 के लोकसभा चुनाव में 42 सीटों में 22 सीटों पर ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी को जीत मिली थी. 18 सीटों पर बीजेपी जीती थी जबकि कांग्रेस को केवल 2 सीटों पर जीत मिली. लेकिन, विधानसभा में कांग्रेस की स्थिति और खराब है. कांग्रेस के एक भी विधायक नहीं है. ममता बनर्जी चाहती हैं कि कांग्रेस उनकी पार्टी को सपोर्ट करे और यही नीतीश कुमार भी चाहते हैं.


दिल्ली-पंजाब 'आप' अटकाएंगे क्या? : इसी तरह पंजाब में लोकसभा की 13 सीटें हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में 8 सीट पर कांग्रेस को जीत मिली थी. 2 सीट पर अकाली दल को और एक सीट पर आप को जीत हासिल हुई थी. भाजपा को भी दो सीट मिले थे. हालांकि एक सीट पर हुए उपचुनाव में आप को जीत मिली है. लेकिन लोकसभा चुनाव के बाद विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस को करारी हार मिली. आप की वहां सरकार बनी है कांग्रेस की स्थिति वहां भी कमजोर हो रही है. ऐसे में यहां भी कांग्रेस और आप एक साथ हो गए तो बीजेपी को आसानी से रोकना संभव हो सकेगा.


महाराष्ट्र में गणित क्या होगी? : इसी तरह महाराष्ट्र में जहां कांग्रेस के साथ विपक्षी दलों का गठबंधन है 48 लोकसभा की सीटें हैं, जिसमें कांग्रेस के पास केवल एक सीट है. वहीं ओडिशा में 2019 लोकसभा के चुनाव में कांग्रेस को एक सीट पर जीत मिली है. वहां नवीन पटनायक की पार्टी को 12 सीट पर जीत मिली. लेकिन नवीन पटनायक ने विपक्षी एकजुटता की मुहिम से अपने को अलग कर लिया है. इस तरह 8 राज्य विपक्षी एकजुटता की मुहिम के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है. जदयू सूत्रों की मानें तो इन राज्यों में कांग्रेस के साथ तालमेल होने पर स्थितियां बदल सकती है.

राजनीतिक विशेषज्ञ अरुण पांडे का कहना है नीतीश कुमार तो चाहते हैं कि ''जिन राज्यों में कांग्रेस कमजोर है, वहां वह ड्राइविंग सीट पर विपक्ष के जो मजबूत दल हैं उनके हाथ में हो. ऐसे में कांग्रेस को ढाई सौ सीटें छोड़नी पड़ेगी. पिछले लोकसभा चुनाव में 350 सीटें थीं, जिस पर सीधा मुकाबला हुआ था. लेकिन उसके बावजूद बीजेपी को 300 से अधिक सीटें मिलीं. लेकिन यदि सभी सीटों पर विपक्ष सीधा मुकाबला देता है तो बीजेपी के लिए चुनौती बढ़ सकती है.''


जदयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार अभी नीतीश कुमार की रणनीति पर कुछ भी बोलने से बचते हुए इतना ही कहा कि ''बिहार में जिस प्रकार से महागठबंधन का मॉडल बना है हम लोग चाहते हैं देश में बीजेपी को चुनौती देने के लिए यही मॉडल तैयार हो.'' वहीं जदयू के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद वशिष्ठ नारायण सिंह का कहना है कि ''विपक्षी दलों की बैठक सही दिशा में आगे बढ़ रही है. बीजेपी में घबराहट है. पहले बीजेपी करती थी कि विपक्षी दलों की बैठक ही नहीं होगी. अब सीट शेयरिंग, नेतृत्व और कॉमन मिनिमम प्रोग्राम को लेकर सवाल खड़ा कर रही है. इसी से उनकी बेचैनी समझ में आ रही है.''

23 जून के बाद ही गठबंधन का रूप होगा तैयार : बिहार में 23 जून की होने वाली बैठक पर देशभर की नजर है. ऐसे तो 12 जून को पहले बैठक तय हुई थी, लेकिन कांग्रेस के आला नेताओं ने आने में असमर्थता जताई और उसके कारण बैठक को टालना पड़ा. अब कांग्रेस की तरफ से राहुल गांधी और राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे के आने की बात प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से कही गई है. ऐसे में जब कांग्रेस के साथ प्रमुख राज्यों के विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक होगी तो और क्या रणनीति तैयार होगी उसके बाद ही विपक्षी दलों के गठबंधन की स्थिति स्पष्ट हो पाएगी.

Last Updated : Jun 12, 2023, 9:27 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.