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दिवंगत बिजनेसमैन संप्रदा सिंह के श्राद्धकर्म में शामिल हुये सीएम नीतीश - famous businessman samprada singh

संप्रदा सिंह का जन्‍म 1925 में बिहार के जहानाबाद के मोदनगंज प्रखंड के ओकरी गांव में हुआ था. उनके पिता एक साधारण किसान थे. उन्‍होंने पटना यूनिवर्सिटी से बीकॉम की पढ़ाई की.

संप्रदा सिंह को श्रद्धांजलि देते सीएम नीतीश कुमार
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Published : Aug 8, 2019, 11:34 PM IST

पटना: सीएम नीतीश कुमार प्रसिद्ध उद्योगपति और एल्केम ग्रुप ऑफ कंपनी के संस्थापक संप्रदा सिंह के श्राद्धकर्म में शामिल हुये. राजधानी के बुद्धा कॉलोनी स्थित उनके आवास पर जाकर मुख्यमंत्री ने उन्हें श्रद्धांजलि दी. साथ ही उनके परिजनों को ढांढस बंधाया.

27 जुलाई को हुआ था निधन
बता दें कि बिहार के बड़े उद्योगपति और दवा कंपनी एल्केम ग्रुप ऑफ कंपनी के मालिक संप्रदा सिंह का 27 जुलाई को निधन हो गया. 91 साल की उम्र में संप्रदा सिंह ने मुंबई के लीलावती अस्पताल में अंतिम सांस ली. संप्रदा सिंह उद्योग जगत में बड़ी हस्ती माने जाते थे.

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संप्रदा सिंह, फाइल फोटो

कौन थे संप्रदा सिंह
संप्रदा सिंह का जन्‍म 1925 में बिहार के जहानाबाद के मोदनगंज प्रखंड के ओकरी गांव में हुआ था. उनके पिता एक साधारण किसान थे. उन्‍होंने पटना यूनिवर्सिटी से बीकॉम की पढ़ाई की. इसके बाद उन्‍होंने पॉलिटिकल साइंस में पोस्‍ट ग्रेजुएशन भी किया. पटना यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करने के बाद संप्रदा सिंह खेती करना चाहते थे. संप्रदा सिंह के पिता के पास करीब 25 बीघा जमीन थी.

खेती में नहीं हुए सफल
अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद संप्रदा सिंह गांव आए और आधुनिक तरीके से खेती करने की कोशिश की. खेती शुरू की तो उनके सामने सबसे बड़ी परेशानी सिंचाई की आई. संप्रदा ने डीजल से चलने वाला वाटर पंप लोन पर लिया और उससे सब्जी की सिंचाई करने की कोशिश की. लेकिन वह सफल नहीं हुए. उसी साल अकाल पड़ गया. इंसानों और जानवरों के पीने के लिए पानी नहीं मिलता था तो खेती कहां से होती.

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संप्रदा सिंह, फाइल फोटो

'मगध फार्मा' से शुरू किया काम
संप्रदा सिंह ने 1953 में रिटेल केमिस्‍ट के तौर पर एक छोटी शुरुआत की. लक्ष्मी शर्मा के साथ पटना में दवा की दुकान शुरू की. 1960 पटना में मगध फार्मा के बैनर तले उन्‍होंने फार्मा डिस्‍ट्रीब्‍यूशन का बिजनेस शुरू किया. धीरे-धीरे अपनी मेहनत के बल पर उन्‍होंने कई मल्‍टीनेशनल कंपनियों की डिस्‍ट्रीब्‍यूशटरशिप ले ली. कुछ ही दिनों में उन्‍होंने भारत के पूर्वी क्षेत्र का दूसरा बड़ा डिस्‍ट्रीब्‍यूशन नेटवर्क खड़ा कर दिया. संप्रदा सिंह की दवा एजेंसी अच्छी चल रही थी, लेकिन वह इतने से संतुष्ट होने वाले नहीं थे. वह कारोबार को विस्‍तार देने के इरादे से मुंबई चले गए.

लोगों को दिया रोजगार
मुंबई में संप्रदा सिंह ने एक लाख रुपये से अपनी दवा कंपनी की शुरूआत की. उन्होंने अपनी कंपनी की नाम अल्‍केम लैबोरोटरीज दिया और इस कंपनी ने देखते ही देखते नाम और पैसे दोनों कमाए. दवा की मांग बढ़ने पर संप्रदा सिंह ने अपनी दवा फैक्ट्री शुरू कर दी और उसके बाद उनकी कंपनी चल पड़ी. संप्रदा ने अपने इस व्यवसाय के माध्यम से लोगों को उस वक्त में रोजगार के अवसर दिए जब इलाका बेरोजगारी की मार झेल रहा था.

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संप्रदा सिंह, फाइल फोटो

अनिल अंबानी को पीछे छोड़ा
वर्ष 2017 में प्रतिष्ठित पत्रिका फोर्ब्स में उनका नाम आया था और उन्हें 43वां स्थान प्राप्त हुआ था. फोर्ब्स ने उनकी दौलत करीब 3.3 अरब डॉलर आंकी थी. संप्रदा सिंह के इस लिस्ट में इतनी अच्छी जगह बनाने की वजह से बिहार का नाम पूरे देश में रोशन हो गया था. यह इसलिए भी सुर्खियों में रहा था क्योंकि इस लिस्ट में मुकेश अंबानी के छोटे भाई अनिल अंबानी 45वें स्थान पर थे.

पटना: सीएम नीतीश कुमार प्रसिद्ध उद्योगपति और एल्केम ग्रुप ऑफ कंपनी के संस्थापक संप्रदा सिंह के श्राद्धकर्म में शामिल हुये. राजधानी के बुद्धा कॉलोनी स्थित उनके आवास पर जाकर मुख्यमंत्री ने उन्हें श्रद्धांजलि दी. साथ ही उनके परिजनों को ढांढस बंधाया.

27 जुलाई को हुआ था निधन
बता दें कि बिहार के बड़े उद्योगपति और दवा कंपनी एल्केम ग्रुप ऑफ कंपनी के मालिक संप्रदा सिंह का 27 जुलाई को निधन हो गया. 91 साल की उम्र में संप्रदा सिंह ने मुंबई के लीलावती अस्पताल में अंतिम सांस ली. संप्रदा सिंह उद्योग जगत में बड़ी हस्ती माने जाते थे.

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संप्रदा सिंह, फाइल फोटो

कौन थे संप्रदा सिंह
संप्रदा सिंह का जन्‍म 1925 में बिहार के जहानाबाद के मोदनगंज प्रखंड के ओकरी गांव में हुआ था. उनके पिता एक साधारण किसान थे. उन्‍होंने पटना यूनिवर्सिटी से बीकॉम की पढ़ाई की. इसके बाद उन्‍होंने पॉलिटिकल साइंस में पोस्‍ट ग्रेजुएशन भी किया. पटना यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करने के बाद संप्रदा सिंह खेती करना चाहते थे. संप्रदा सिंह के पिता के पास करीब 25 बीघा जमीन थी.

खेती में नहीं हुए सफल
अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद संप्रदा सिंह गांव आए और आधुनिक तरीके से खेती करने की कोशिश की. खेती शुरू की तो उनके सामने सबसे बड़ी परेशानी सिंचाई की आई. संप्रदा ने डीजल से चलने वाला वाटर पंप लोन पर लिया और उससे सब्जी की सिंचाई करने की कोशिश की. लेकिन वह सफल नहीं हुए. उसी साल अकाल पड़ गया. इंसानों और जानवरों के पीने के लिए पानी नहीं मिलता था तो खेती कहां से होती.

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संप्रदा सिंह, फाइल फोटो

'मगध फार्मा' से शुरू किया काम
संप्रदा सिंह ने 1953 में रिटेल केमिस्‍ट के तौर पर एक छोटी शुरुआत की. लक्ष्मी शर्मा के साथ पटना में दवा की दुकान शुरू की. 1960 पटना में मगध फार्मा के बैनर तले उन्‍होंने फार्मा डिस्‍ट्रीब्‍यूशन का बिजनेस शुरू किया. धीरे-धीरे अपनी मेहनत के बल पर उन्‍होंने कई मल्‍टीनेशनल कंपनियों की डिस्‍ट्रीब्‍यूशटरशिप ले ली. कुछ ही दिनों में उन्‍होंने भारत के पूर्वी क्षेत्र का दूसरा बड़ा डिस्‍ट्रीब्‍यूशन नेटवर्क खड़ा कर दिया. संप्रदा सिंह की दवा एजेंसी अच्छी चल रही थी, लेकिन वह इतने से संतुष्ट होने वाले नहीं थे. वह कारोबार को विस्‍तार देने के इरादे से मुंबई चले गए.

लोगों को दिया रोजगार
मुंबई में संप्रदा सिंह ने एक लाख रुपये से अपनी दवा कंपनी की शुरूआत की. उन्होंने अपनी कंपनी की नाम अल्‍केम लैबोरोटरीज दिया और इस कंपनी ने देखते ही देखते नाम और पैसे दोनों कमाए. दवा की मांग बढ़ने पर संप्रदा सिंह ने अपनी दवा फैक्ट्री शुरू कर दी और उसके बाद उनकी कंपनी चल पड़ी. संप्रदा ने अपने इस व्यवसाय के माध्यम से लोगों को उस वक्त में रोजगार के अवसर दिए जब इलाका बेरोजगारी की मार झेल रहा था.

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संप्रदा सिंह, फाइल फोटो

अनिल अंबानी को पीछे छोड़ा
वर्ष 2017 में प्रतिष्ठित पत्रिका फोर्ब्स में उनका नाम आया था और उन्हें 43वां स्थान प्राप्त हुआ था. फोर्ब्स ने उनकी दौलत करीब 3.3 अरब डॉलर आंकी थी. संप्रदा सिंह के इस लिस्ट में इतनी अच्छी जगह बनाने की वजह से बिहार का नाम पूरे देश में रोशन हो गया था. यह इसलिए भी सुर्खियों में रहा था क्योंकि इस लिस्ट में मुकेश अंबानी के छोटे भाई अनिल अंबानी 45वें स्थान पर थे.

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