पटनाः बिहार में सीएम नीतीश कुमार की इफ्तार पार्टी (Iftar party of CM Nitish Kumar) पर सियासत शुरू हो गई है. 7 अप्रैल को सीएम नीतीश कुमार खुद अपने आवास पर इफ्तार पार्टी दे रहे हैं. इसको लेकर भी रातनीतिक की गलियारे में खिचड़ी पकनी शुरू हो गई है. BJP नेता इसे सियासी इफ्तार बताया है. कहा कि यह वोट बैंक को बढ़ाने का पार्टी है. सीएम नीतीश कुमार कभी नवरात्र में फलाहार पार्टी या क्रिशचन के लिए कोई पार्टी नहीं करते. बता दें कि सीएम नीतीश कुमार से लेकर तेजस्वी यादव की इफ्तार पार्टी बांकी है. इसबार इफ्तार पार्टी में 2024 की रणनीति बनेगी, इसकी चर्चा तेज हो गई है.
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इफ्तार पार्टी में बदली थी सरकारः मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने सरकारी आवास पर 7 अप्रैल को इफ्तार पार्टी देंगे. 8 अप्रैल को जदयू हज भवन में इफ्तार पार्टी देगी. जीतन राम मांझी भी अगले सप्ताह इफ्तार पार्टी का आयोजन कर सकते हैं. तेजस्वी यादव और अन्य दलों की ओर से भी इफ्तार पार्टी का आयोजन किया जाएगा. पिछले साल इफ्तार पार्टी में ही बिहार में राजनीतिक बदलाव की शुरुआत हुई थी. 2024 का चुनाव अगले साल होना है, ऐसे में इस बार इफ्तार के बहाने कई नेता मैसेज देने की कोशिश भी करेंगे.
एकता का संदेश दे रहे सीएमः जदयू एमएलसी खालिद अनवर ने बताया कि नीतीश कुमार ने 2005 से आज तक इफ्तार पार्टी कर रहे हैं. ईद मिलन के साथ-साथ दिवाली मिलन भी किया. नीतीश कुमार रामनवमी के जुलूस में भी गए. नीतीश कुमार ने बिहार को कैसा बनाया, यह देखने की बात है. बिहार में आपसी भाईचारा और सभी संस्कृतियों का सम्मान होता है. सीएम ने इसी तरह का समाज बनाया. नीतीश कुमार ने इफ्तार पार्टी में आकर एक मैसेज देने का काम किए हैं. कुछ लोगों को इफ्तार से नफरत है, इस्लाम से नफरत है, लेकिन नीतीश कुमार ने लोगों को एकता का संदेश दिया.
"7 तारीख को सीएम नीतीश कुमार की इफ्तार पार्टी है. आठ अप्रैल को जदयू की ओर से भी इसका आयोजन किया जाएगा. इस दौरान कई और इफ्तार पार्टी होगी. इस इफ्तार पार्टी में हमलोग यही दुआ करते हैं कि देश को भारतीय जनता पार्टी, जो किसानों और नौजवानों को परेशान कर रही है, इससे निजात मिले." -खालिद अनवर, जदयू एमएलसी
इफ्तार पार्टी पर सबकी नजरः बिहार में में पिछले साल नीतीश कुमार लालू परिवार के इफ्तार पार्टी में पहुंचकर हलचल मचा दी थी. तेजस्वी यादव भी जदयू के इफ्तार पार्टी में शामिल हुए और वहीं से बिहार में महागठबंधन आकार लेने लगा. एक डेढ़ महीने में ही बिहार में सरकार बदल गयी. पहले भी इफ्तार के बहाने नेताओं के दलबदल के संकेत मिलते रहे हैं. इस बार सियासी इफ्तार का महत्व इसलिए है कि अगले साल लोकसभा का चुनाव होना है. ऐसे में 1 साल का समय ही रह गया है, इसलिए सबकी नजर इफ्तार पार्टी पर रहेगी.
"नीतीश कुमार सर्वधर्म के प्रेमी होते तो नवरात्रा फलाहार पार्टी भी देते, ईसाई के लिए कोई पार्टी देते, सिख के लिए भी सीएम आवास में कोई व्यवस्था करते, लेकिन नीतीश कुमार सिर्फ इफ्तार पार्टी करते हैं. ये इफ्तार थोड़े है, यह तो वोट से प्यार है. वोट के लिए नीतीश कुमार कुछ भी बेच देंगे." -अरविंद सिंह, बीजेपी प्रवक्ता