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राष्ट्रपति चुनाव को लेकर बिहार में हुई आजमाइश, हर किसी का अपना तर्क - राष्ट्रपति चुनाव को लेकर बिहार में आजमाइश

राष्ट्रपित चुनाव को लेकर एनडीए और विपक्ष की ओर से उम्मीदवारों का ऐलान हो गया है. उम्मीदवारों के ऐलान के बाद से बिहार की सियासत एक बार फिर से गरमा गई है. पक्ष और विपक्ष के बीच बयानबाजी तेज हो गई है. इसी बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने बिहारी अस्मिता के बजाय महिला सशक्तिकरण को तवज्जो देते हुए एनडीए के उम्मीदवार को अपना समर्थन दे दिया है. पढ़ें पूरी खबर..

राष्ट्रपति चुनाव को लेकर बिहार में सियासी बयानबाजी
राष्ट्रपति चुनाव को लेकर बिहार में सियासी बयानबाजी
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Published : Jun 22, 2022, 8:37 PM IST

पटना: राष्ट्रपति चुनाव 2022 (Presidential Election 2022) को लेकर राजनीतिक दलों ने पत्ते खोल दिए हैं. भाजपा गठबंधन की ओर से जहां अनुसूचित-जनजाति की महिला उम्मीदवार को मैदान में उतारा गया है. वहीं, विपक्ष की ओर से भाजपा बैकग्राउंड के उम्मीदवार को मैदान में उतारा गया है. इन सबके बीच नीतीश कुमार ने अपने फैसले से एक बार फिर सबको चौंका दिया है. उन्होंने एनडीए के प्रत्याशी को अपना समर्थन देने का ऐलान कर दिया है.

ये भी पढ़ें-JDU ने भी किया द्रौपदी मुर्मू का समर्थन, CM नीतीश ने बदला अपना ट्रेंड!

नीतीश ने बिहारी अस्मिता को किया खारिज: देश का अगला राष्ट्रपति कौन होगा. इसे लेकर कशमकश जारी है. राजनीतिक दलों ने अपने पत्ते खोल दिए हैं और अब छोटे दल भी उम्मीदवार के ऐलान के बाद गोलबंद होने लगे हैं. भाजपा ने अनुसूचित जनजाति से आने वाली महिला उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को मैदान में उतार कर सबको चौंका दिया है. द्रौपदी मुर्मू के मैदान में आते ही बीजू जनता दल का समर्थन एनडीए को मिल गया. बीजू जनता दल का समर्थन मिलते ही नीतीश कुमार ने द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने में देरी नहीं की. नीतीश कुमार के समर्थन के साथ बिहार के कई छोटे दलों ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन उम्मीदवार को समर्थन देने का ऐलान कर दिया है. जीतन राम मांझी के नेतृत्व वाली पार्टी हम, पशुपति पारस की पार्टी और चिराग पासवान की पार्टी ने भी एनडीए उम्मीदवार को समर्थन देने का फैसला लिया है. नीतीश कुमार के ऐलान के साथ ही राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का पलड़ा भारी होता दिख रहा है.

राष्ट्रपति चुनाव में बिहार के 56 सांसद लेगें हिस्सा: राष्ट्रपति चुनाव में बिहार के कुल 56 सांसद हिस्सा लेगें और विधायकों की संख्या 243 है. वोट के लिहाज से बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी है, लेकिन जदयू की भूमिका भी अहम है. बिहार के एक विधायक का वोट वैल्यू 173 है. इस हिसाब से देखें तो विधायकों का वोट वैल्यू 42,039 है. वहीं, राज्यसभा और लोकसभा के सांसद का वोट वैल्यू 700 है. बिहार में 56 सांसद हैं, इसलिए आपसे सांसदों का वोट वैल्यू 39,200 है. बिहार में राष्ट्रपति चुनाव के लिए कुल 81,230 वोट हैं. वोट के लिहाज से एनडीए की स्थिति मजबूत दिख रही है. जदयू, बीजेपी, हम और रालोजपा का वोट मिला दें, तो कुल मिलाकर 55,398 वोट होते हैं. दूसरी तरफ महागठबंधन की बात करें तो, महागठबंधन के पास कुल मिलाकर 24,130 वोट है और इसमें अगर एआईएमआईएम के 5 विधायकों का वोट जोड़ दिया जाए तो विपक्ष के पास वोटों की संख्या 24,968 हो जाती है.

महिला प्रत्याशी घोषित कर भाजपा ने खेला मास्टर स्ट्रोक: जदयू के सामने बड़ी चुनौती थी और नीतीश कुमार धर्म संकट के दौर से गुजर रहे थे. एक ओर बिहारी अस्मिता का सवाल था तो दूसरी तरफ महिला सशक्तिकरण और दलित वोटों की चिंता थी. आखिरकार नीतीश कुमार ने महिला सशक्तिकरण को तवज्जो दिया और द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने में देर नहीं की. जदयू प्रवक्ता अरविंद निषाद ने कहा है कि डॉक्टर लोहिया के सिद्धांतों पर उनकी पार्टी चलती है. नीतीश कुमार ने महिला उम्मीदवार पर मोहर लगाकर बड़ा संदेश दिया है. महिला सशक्तिकरण के लिए ही नीतीश कुमार जाने जाते हैं और इस कदम के बाद राष्ट्रीय स्तर पर नीतीश कुमार को महिला सशक्तिकरण के लिए जाना जाएगा.

भाजपा ने उतारा योग्य उम्मीदवार: भाजपा प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी ने योग्य और सक्षम उम्मीदवार को मैदान में उतारा है. बिहार के कई दलों का समर्थन मिल रहा है. वे चाहेंगे कि और भी जो दल है, वह उनके प्रत्याशी के पक्ष में आए और द्रौपदी मुर्मू को निर्दलीय चुनाव जिताने का काम करें. अनुसूचित जनजाति से उम्मीदवार उतारे जाने के बाद जीतन राम मांझी खासे उत्साहित है. उनकी पार्टी के प्रवक्ता विजय यादव ने कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी ने दलितों के उत्थान के लिए काम किया है, उन्हें साधुवाद.

कांग्रेस पार्टी ने एनडीए के दावे को किया खारिज: कांग्रेस पार्टी एनडीए के दावे को खारिज कर रही है. पार्टी प्रवक्ता राजेश राठौर ने कहा है कि नीतीश कुमार के समर्थन से कोई असर नहीं पड़ता है. अभी के स्थिति में भी हम बढ़त में हैं और हमारे प्रत्याशी की जीत होगी. वहीं, राजद प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा है कि विपक्ष के पास 2 प्रतिशत वोट ज्यादा है और वे लोग मजबूत प्रत्याशी को मैदान में उतारे हैं. राष्ट्रपति चुनाव में उनके उम्मीदवार की जीत होगी. वहीं, राष्ट्रपति चुनाव पर नजर रख रहे राजनैतिक विश्लेषक डॉक्टर संजय कुमार नीतीश कुमार ने एक बार फिर अपने फैसले से सबको चौंका दिया है. बिहारी अस्मिता के बजाय नीतीश कुमार ने महिला सशक्तिकरण को चुना और सबको चौंका दिया. नीतीश कुमार के लिए भी फैसला लेना आसान नहीं था.

ये भी पढ़ें-राष्ट्रपति चुनाव के बहाने बीजेपी से बढ़ रही चिराग पासवान की नजदीकियां, CM नीतीश असहज!

पटना: राष्ट्रपति चुनाव 2022 (Presidential Election 2022) को लेकर राजनीतिक दलों ने पत्ते खोल दिए हैं. भाजपा गठबंधन की ओर से जहां अनुसूचित-जनजाति की महिला उम्मीदवार को मैदान में उतारा गया है. वहीं, विपक्ष की ओर से भाजपा बैकग्राउंड के उम्मीदवार को मैदान में उतारा गया है. इन सबके बीच नीतीश कुमार ने अपने फैसले से एक बार फिर सबको चौंका दिया है. उन्होंने एनडीए के प्रत्याशी को अपना समर्थन देने का ऐलान कर दिया है.

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नीतीश ने बिहारी अस्मिता को किया खारिज: देश का अगला राष्ट्रपति कौन होगा. इसे लेकर कशमकश जारी है. राजनीतिक दलों ने अपने पत्ते खोल दिए हैं और अब छोटे दल भी उम्मीदवार के ऐलान के बाद गोलबंद होने लगे हैं. भाजपा ने अनुसूचित जनजाति से आने वाली महिला उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को मैदान में उतार कर सबको चौंका दिया है. द्रौपदी मुर्मू के मैदान में आते ही बीजू जनता दल का समर्थन एनडीए को मिल गया. बीजू जनता दल का समर्थन मिलते ही नीतीश कुमार ने द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने में देरी नहीं की. नीतीश कुमार के समर्थन के साथ बिहार के कई छोटे दलों ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन उम्मीदवार को समर्थन देने का ऐलान कर दिया है. जीतन राम मांझी के नेतृत्व वाली पार्टी हम, पशुपति पारस की पार्टी और चिराग पासवान की पार्टी ने भी एनडीए उम्मीदवार को समर्थन देने का फैसला लिया है. नीतीश कुमार के ऐलान के साथ ही राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का पलड़ा भारी होता दिख रहा है.

राष्ट्रपति चुनाव में बिहार के 56 सांसद लेगें हिस्सा: राष्ट्रपति चुनाव में बिहार के कुल 56 सांसद हिस्सा लेगें और विधायकों की संख्या 243 है. वोट के लिहाज से बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी है, लेकिन जदयू की भूमिका भी अहम है. बिहार के एक विधायक का वोट वैल्यू 173 है. इस हिसाब से देखें तो विधायकों का वोट वैल्यू 42,039 है. वहीं, राज्यसभा और लोकसभा के सांसद का वोट वैल्यू 700 है. बिहार में 56 सांसद हैं, इसलिए आपसे सांसदों का वोट वैल्यू 39,200 है. बिहार में राष्ट्रपति चुनाव के लिए कुल 81,230 वोट हैं. वोट के लिहाज से एनडीए की स्थिति मजबूत दिख रही है. जदयू, बीजेपी, हम और रालोजपा का वोट मिला दें, तो कुल मिलाकर 55,398 वोट होते हैं. दूसरी तरफ महागठबंधन की बात करें तो, महागठबंधन के पास कुल मिलाकर 24,130 वोट है और इसमें अगर एआईएमआईएम के 5 विधायकों का वोट जोड़ दिया जाए तो विपक्ष के पास वोटों की संख्या 24,968 हो जाती है.

महिला प्रत्याशी घोषित कर भाजपा ने खेला मास्टर स्ट्रोक: जदयू के सामने बड़ी चुनौती थी और नीतीश कुमार धर्म संकट के दौर से गुजर रहे थे. एक ओर बिहारी अस्मिता का सवाल था तो दूसरी तरफ महिला सशक्तिकरण और दलित वोटों की चिंता थी. आखिरकार नीतीश कुमार ने महिला सशक्तिकरण को तवज्जो दिया और द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने में देर नहीं की. जदयू प्रवक्ता अरविंद निषाद ने कहा है कि डॉक्टर लोहिया के सिद्धांतों पर उनकी पार्टी चलती है. नीतीश कुमार ने महिला उम्मीदवार पर मोहर लगाकर बड़ा संदेश दिया है. महिला सशक्तिकरण के लिए ही नीतीश कुमार जाने जाते हैं और इस कदम के बाद राष्ट्रीय स्तर पर नीतीश कुमार को महिला सशक्तिकरण के लिए जाना जाएगा.

भाजपा ने उतारा योग्य उम्मीदवार: भाजपा प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी ने योग्य और सक्षम उम्मीदवार को मैदान में उतारा है. बिहार के कई दलों का समर्थन मिल रहा है. वे चाहेंगे कि और भी जो दल है, वह उनके प्रत्याशी के पक्ष में आए और द्रौपदी मुर्मू को निर्दलीय चुनाव जिताने का काम करें. अनुसूचित जनजाति से उम्मीदवार उतारे जाने के बाद जीतन राम मांझी खासे उत्साहित है. उनकी पार्टी के प्रवक्ता विजय यादव ने कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी ने दलितों के उत्थान के लिए काम किया है, उन्हें साधुवाद.

कांग्रेस पार्टी ने एनडीए के दावे को किया खारिज: कांग्रेस पार्टी एनडीए के दावे को खारिज कर रही है. पार्टी प्रवक्ता राजेश राठौर ने कहा है कि नीतीश कुमार के समर्थन से कोई असर नहीं पड़ता है. अभी के स्थिति में भी हम बढ़त में हैं और हमारे प्रत्याशी की जीत होगी. वहीं, राजद प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा है कि विपक्ष के पास 2 प्रतिशत वोट ज्यादा है और वे लोग मजबूत प्रत्याशी को मैदान में उतारे हैं. राष्ट्रपति चुनाव में उनके उम्मीदवार की जीत होगी. वहीं, राष्ट्रपति चुनाव पर नजर रख रहे राजनैतिक विश्लेषक डॉक्टर संजय कुमार नीतीश कुमार ने एक बार फिर अपने फैसले से सबको चौंका दिया है. बिहारी अस्मिता के बजाय नीतीश कुमार ने महिला सशक्तिकरण को चुना और सबको चौंका दिया. नीतीश कुमार के लिए भी फैसला लेना आसान नहीं था.

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