ETV Bharat / state

वैद्य परिवार से सत्ता के शीर्ष तक का सफर, CM नीतीश का कुछ यूं मनाया जाएगा 70वां जन्मदिवस

author img

By

Published : Feb 29, 2020, 7:20 PM IST

Updated : Feb 29, 2020, 11:39 PM IST

नीतीश कुमार रविवार 1 मार्च को 70 साल के हो जाएंगे. इस बार बिहार में साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने की संभावना है. ऐसे में जदयू ने नीतीश के जन्मदिन पर एक विशाल कार्यकर्ता रैली का आयोजन किया है. इस रैली में नीतीश कुमार विधानसभा चुनाव का बिगुल फूंकेंगे. रैली में लगभग 2 लाख कार्यकर्ताओं को भाग लेने के अनुमान जताए जा रहे हैं.

सत्ता के शीर्ष तक CM नीतीश
सत्ता के शीर्ष तक CM नीतीश

पटना: बिहार के सीएम नीतीश कुमार 1 मार्च को 70 साल के हो जाएंगे. हालांकि मुख्यमंत्री अपना जन्मदिन तामझाम के साथ मनाते नहीं है. लेकिन इस बार पार्टी ने गांधी मैदान में विशाल कार्यकर्ता सम्मेलन आयोजित किया है. जिसमें 2 लाख से अधिक कार्यकर्ताओं के भाग लेने की संभावना है. चुंकी बिहार में साल के आखिर यानी अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव होने की संभावना है. ऐसे में नीतीश कुमार इसी कार्यकर्ता सम्मेलन से चुनावी बिगुल फूंकेंगे. सीएम के जन्मदिन को खास बनाने के लिए कार्यकर्ताओं ने भी एड़ी-चोटी की जोड़ लगानी शुरू कर दी है.

'वैद्य परिवार से सत्ता के शीर्ष तक नीतीश'
नीतीश कुमार पिछले 15 साल से बिहार के सत्ता के शीर्ष पर बने हुए है. नीतीश कुमार सत्ता के शीर्ष पर ऐसे ही नहीं पहुंचे है. इसके लिए उन्होंने जनता के बीच में जाकर अपनी गहरी पैठ बनाई. लहरों के विपरीत चलना सीएम नीतीश का पुराना इतिहास रहा है. साल 1977 में जब जनता पार्टी के टिकट पर उनके सभी साथी चुनाव जीत चुके थे. उस समय नीतीश विधानसभा चुनाव तक नहीं जीत सके थे.

CM नीतीश कुमार
CM नीतीश कुमार

सीएम नीतीश का जन्म 1 मार्च 1951 को पटना जिला अंतर्गत बख्तियारपुर में हुआ था. नीतीश कुमार के पिता का नाम राम लखन सिंह था. वे क्षेत्र के एक नामी वैद्य थे. इसको लेकर नीतीश कुमार ने कई बार सावर्जनिक मंच से अपने पिता के साथ दवा की पुड़िया बनाने के बात का जिक्र कर चुकें हैं. नीतीश कुमार अपनी स्कूली शिक्षा बख्तियारपुर में ही पूरी की थी. जिसेक बाद उन्होंने पटना के इंजीनियरिंग कॉलेज से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की. इंजीनियरिंग पूरी करने के बाद उन्होंने कुछ दिनों तक बिहार विद्युत बोर्ड में नौकरी भी की थी. लेकिन उनका लगाव राजनीति में था. इस वजह से उन्होंने जल्द ही इस नौकरी को बाय कह दिया.

पोस्टर से सजा पटना
पोस्टर से सजा पटना

पढाई के दौरान छात्र आंदोलन से जुड़े
नीतीश कुमार को राजनीति से लगाव कॉलेज के दिनों में हुई. उन्होंने अपनी राजनीतिक करियर की आधारशीला 70 के दशक रखी थी. पढ़ाई के दौरान वे जेपी आंदोलन से जुड़ गए. यही वजह है कि नीतीश जयप्रकाश को अपना राजनीतिक मार्गदर्शक मानते हैं. तेज तर्रार और जनता के बीच पैठ तेजी से पैठ बनाने की कला में माहिर होने के कारण नतीश जल्द ही लोकप्रिय हो गए. उनके हर भाषण पर तालियों की गड़गड़ाहट गुंजने लगी. यही मौका था जब साल 1987 में उन्हें युवा लोक दल का अध्यक्ष बनाया गया. इसके बाद साल 1989 में उन्हें जनता दल का सचिव-जनरल बनाया गया.

1985 में पहली बार बने विधायक
नीतीश कुमार ने जयप्रकाश नारायण के आंदोलन में अपनी अहम भूमिका निभाई थी. ऐसे तो नीतीश कुमार 1977 से राजनीति में है. लेकिन इंदिरा गांधी के देहांत के बाद जहां सभी नेता कांग्रेस की सहानुभूति लहर मे बह गए, वहीं नीतीश कुमार ने हरनौत विधानसभा से पहली बार जीत दर्ज की. इससे पहले वे 1977 और 1980 में चुनाव हार चुके थे. विधायक बनने के बाद नीतीश के राजनीतिक करियर में गजब का उछाल आया और इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.

लालू यादव के साथ नीतीश कुमार
लालू यादव के साथ नीतीश कुमार

साल 1989 में नीतीश कुमार पहली बार नवमी लोकसभा के लिए चुने गए. इस चुनाव में उन्होंने उस समय के दिग्गज नेता राम लखन सिंह यादव जिन्हें लोग शेर-ए-बिहार के नाम से जानते थे. उनको हरा दिया. उनसे प्रभावित होकर वीपी सिंह ने उन्हें कृषी मंत्री का पद दिया. साल 1996 में और 1998 में भी वे सांसद बने. नीतीश ने केंद्र में कृषि मंत्री रेलवे मंत्रालय जैसे कई अहम पदों को संभाला.

लालू के साथ टूटा याराना
लालू और नीतीश की दोस्ती साल 1994 तक सलामत रही. उन दिनो नीतीश लालू को बड़े भाई कह कर बुलाते थे. वे आज भी लालू को बड़े भाई कहकर ही संबोधन करते है. नीतीश कुमार साल 3 मार्च 2000 को पहली बार बिहार के सीएम बने. हालांकि पर्याप्त बहुमत नहीं होने के कारण उन्हें मात्र 7 दिनों में इस्तीफा देना पड़ा. इसके बाद उन्होंने 5 साल बाद नवंबर 2005 के चुनाव में लालू और राबड़ी के 15 साल के किले को धवस्त कर दिया. 2005 में पहली बार बिहार में एनडीए की सरकार बनी. नीतीश ने सीएम पद की सपथ ली. तब से बिहार की कमान नीतीश कुमार ही संभाल रहे हैं. इस बार के विधासभा चुनाव में भी एनडीए ने नीतीश के चेहरे पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है.

पटना: बिहार के सीएम नीतीश कुमार 1 मार्च को 70 साल के हो जाएंगे. हालांकि मुख्यमंत्री अपना जन्मदिन तामझाम के साथ मनाते नहीं है. लेकिन इस बार पार्टी ने गांधी मैदान में विशाल कार्यकर्ता सम्मेलन आयोजित किया है. जिसमें 2 लाख से अधिक कार्यकर्ताओं के भाग लेने की संभावना है. चुंकी बिहार में साल के आखिर यानी अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव होने की संभावना है. ऐसे में नीतीश कुमार इसी कार्यकर्ता सम्मेलन से चुनावी बिगुल फूंकेंगे. सीएम के जन्मदिन को खास बनाने के लिए कार्यकर्ताओं ने भी एड़ी-चोटी की जोड़ लगानी शुरू कर दी है.

'वैद्य परिवार से सत्ता के शीर्ष तक नीतीश'
नीतीश कुमार पिछले 15 साल से बिहार के सत्ता के शीर्ष पर बने हुए है. नीतीश कुमार सत्ता के शीर्ष पर ऐसे ही नहीं पहुंचे है. इसके लिए उन्होंने जनता के बीच में जाकर अपनी गहरी पैठ बनाई. लहरों के विपरीत चलना सीएम नीतीश का पुराना इतिहास रहा है. साल 1977 में जब जनता पार्टी के टिकट पर उनके सभी साथी चुनाव जीत चुके थे. उस समय नीतीश विधानसभा चुनाव तक नहीं जीत सके थे.

CM नीतीश कुमार
CM नीतीश कुमार

सीएम नीतीश का जन्म 1 मार्च 1951 को पटना जिला अंतर्गत बख्तियारपुर में हुआ था. नीतीश कुमार के पिता का नाम राम लखन सिंह था. वे क्षेत्र के एक नामी वैद्य थे. इसको लेकर नीतीश कुमार ने कई बार सावर्जनिक मंच से अपने पिता के साथ दवा की पुड़िया बनाने के बात का जिक्र कर चुकें हैं. नीतीश कुमार अपनी स्कूली शिक्षा बख्तियारपुर में ही पूरी की थी. जिसेक बाद उन्होंने पटना के इंजीनियरिंग कॉलेज से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की. इंजीनियरिंग पूरी करने के बाद उन्होंने कुछ दिनों तक बिहार विद्युत बोर्ड में नौकरी भी की थी. लेकिन उनका लगाव राजनीति में था. इस वजह से उन्होंने जल्द ही इस नौकरी को बाय कह दिया.

पोस्टर से सजा पटना
पोस्टर से सजा पटना

पढाई के दौरान छात्र आंदोलन से जुड़े
नीतीश कुमार को राजनीति से लगाव कॉलेज के दिनों में हुई. उन्होंने अपनी राजनीतिक करियर की आधारशीला 70 के दशक रखी थी. पढ़ाई के दौरान वे जेपी आंदोलन से जुड़ गए. यही वजह है कि नीतीश जयप्रकाश को अपना राजनीतिक मार्गदर्शक मानते हैं. तेज तर्रार और जनता के बीच पैठ तेजी से पैठ बनाने की कला में माहिर होने के कारण नतीश जल्द ही लोकप्रिय हो गए. उनके हर भाषण पर तालियों की गड़गड़ाहट गुंजने लगी. यही मौका था जब साल 1987 में उन्हें युवा लोक दल का अध्यक्ष बनाया गया. इसके बाद साल 1989 में उन्हें जनता दल का सचिव-जनरल बनाया गया.

1985 में पहली बार बने विधायक
नीतीश कुमार ने जयप्रकाश नारायण के आंदोलन में अपनी अहम भूमिका निभाई थी. ऐसे तो नीतीश कुमार 1977 से राजनीति में है. लेकिन इंदिरा गांधी के देहांत के बाद जहां सभी नेता कांग्रेस की सहानुभूति लहर मे बह गए, वहीं नीतीश कुमार ने हरनौत विधानसभा से पहली बार जीत दर्ज की. इससे पहले वे 1977 और 1980 में चुनाव हार चुके थे. विधायक बनने के बाद नीतीश के राजनीतिक करियर में गजब का उछाल आया और इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.

लालू यादव के साथ नीतीश कुमार
लालू यादव के साथ नीतीश कुमार

साल 1989 में नीतीश कुमार पहली बार नवमी लोकसभा के लिए चुने गए. इस चुनाव में उन्होंने उस समय के दिग्गज नेता राम लखन सिंह यादव जिन्हें लोग शेर-ए-बिहार के नाम से जानते थे. उनको हरा दिया. उनसे प्रभावित होकर वीपी सिंह ने उन्हें कृषी मंत्री का पद दिया. साल 1996 में और 1998 में भी वे सांसद बने. नीतीश ने केंद्र में कृषि मंत्री रेलवे मंत्रालय जैसे कई अहम पदों को संभाला.

लालू के साथ टूटा याराना
लालू और नीतीश की दोस्ती साल 1994 तक सलामत रही. उन दिनो नीतीश लालू को बड़े भाई कह कर बुलाते थे. वे आज भी लालू को बड़े भाई कहकर ही संबोधन करते है. नीतीश कुमार साल 3 मार्च 2000 को पहली बार बिहार के सीएम बने. हालांकि पर्याप्त बहुमत नहीं होने के कारण उन्हें मात्र 7 दिनों में इस्तीफा देना पड़ा. इसके बाद उन्होंने 5 साल बाद नवंबर 2005 के चुनाव में लालू और राबड़ी के 15 साल के किले को धवस्त कर दिया. 2005 में पहली बार बिहार में एनडीए की सरकार बनी. नीतीश ने सीएम पद की सपथ ली. तब से बिहार की कमान नीतीश कुमार ही संभाल रहे हैं. इस बार के विधासभा चुनाव में भी एनडीए ने नीतीश के चेहरे पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है.

Last Updated : Feb 29, 2020, 11:39 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.