ETV Bharat / state

Bihar Politics: उपेंद्र कुशवाहा को झटका, उनकी बनाई पार्टी 'रालोसपा' पर इस नेता ने ठोका दावा

जदयू पार्लियामेंट्री बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) बिहार की राजनीति में नई जगह तलाश रहे हैं. जदयू से हिस्सेदारी भी मांग रहे हैं. कयास लगाया जा रहा है कि वो एक बार फिर से अपनी पुरानी पार्टी रालोसपा को जिंदा करेंगे. मगर, कुशवाहा की इस उम्मीद को झटका लग सकता है. कुशवाहा के पूर्व सहयोगी ने पार्टी पर दावा ठोक दिया है. पढ़िये, पूरी खबर विस्तार से.

उपेंद्र कुशवाहा
उपेंद्र कुशवाहा
author img

By

Published : Feb 8, 2023, 8:00 PM IST

किसकी है रालोसपा.

पटना: जदयू के बागी नेता उपेंद्र कुशवाहा फिलहाल बिहार की सियासत के केंद्र बिंदु हैं. कुशवाहा को लेकर नीतीश कुमार असमंजस की स्थिति में हैं. कुशवाहा की बयानबाजी ने जदयू नेताओं को मुश्किल में डाल रखा है. उपेंद्र कुशवाहा जदयू छोड़ने को तैयार नहीं हैं. वहीं सियासी गलियारे में इस बात की भी चर्चा जोरों पर है कि कुशवाहा अपनी पुरानी पार्टी रालोसपा को मजबूत (RLSP merged with JDU) करने की तैयारी में जुटे हैं. लेकिन, कुशवाहा की इस तैयारी को झटका लग सकता है.

इसे भी पढ़ेंः Bihar politics : नीतीश को सत्ता के शिखर तक पहुंचाने वाले लव-कुश समीकरण में सेंधमारी की तैयारी

क्या है मामलाः उपेंद्र कुशवाहा के पूर्व सहयोगी और पार्टी के तत्कालीन महासचिव अरुण कुशवाहा ने उपेंद्र कुशवाहा की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. जदयू में विलय के बाद अरुण कुशवाहा ने मार्च 2021 में ही उपेंद्र कुशवाहा को रालोसपा से 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया था और रालोसपा पर अपना दावा ठोक दिया था. मामला चुनाव आयोग में विचाराधीन है. 8 फरवरी को इस मामले पर सुनवाई हुई. अरुण कुशवाहा सुनवाई के दौरान आयोग के समक्ष पेश हुए.

क्या कहा चुनाव आयोग नेः ईटीवी भारत से फोन पर बातचीत के दौरान अरुण कुशवाहा ने कहा है कि चुनाव आयोग द्वारा मुझे यह कहा गया है कि पार्टी का सांगठनिक चुनाव संपन्न कराइये, उसके बाद हम फैसला देंगे. अरुण कुशवाहा ने कहा कि जिस तरीके से समता पार्टी को कार्यकर्ताओं ने जीवित रखा और पार्टी का संचालन किया उसी तरीके से हमने भी रालोसपा को जीवित रखा. मेरे साथ बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं की फौज है. मैं पार्टी को चलाना चाहता हूं. चुनाव आयोग में मैंने आवेदन दे रखा है और इसकी कानूनी लड़ाई जारी रहेगी.

"चुनाव आयोग द्वारा मुझे यह कहा गया है कि पार्टी का सांगठनिक चुनाव संपन्न कराइये, उसके बाद हम फैसला देंगे. जिस तरीके से समता पार्टी को कार्यकर्ताओं ने जीवित रखा और पार्टी का संचालन किया उसी तरीके से हमने भी रालोसपा को जीवित रखा. मेरे साथ बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं हैं. मैं पार्टी को चलाना चाहता हूं"- अरुण कुशवाहा, रालोसपा नेता

इसे भी पढ़ेंः Bihar Politics: DEAL या NO DEAL पर जदयू में रार, उपेंद्र ने ललन से पूछे ये सवाल

राजद और भाजपा की रायः राजद प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा है कि उपेंद्र कुशवाहा नए तरह की सियासत कर रहे हैं. उन्होंने अपनी पार्टी का विलय जदयू में कर लिया था और आजकल वह अलग एजेंडे पर काम कर रहे हैं. जनता के बीच ऐसे लोगों की विश्वसनीयता खत्म हो चुकी है. वहीं भाजपा प्रवक्ता अरविंद सिंह ने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा सही मुद्दा उठा रहे हैं. नीतीश कुमार के इशारे पर उनकी पार्टी पर दावा किया जा रहा है. नीतीश कुमार अगर वाकई अति पिछड़ों और दलितों के हिमायती हैं तो किसी अति पिछड़े को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाकर दिखाएं. तेजस्वी यादव को क्यों आगे कर रहे हैं.

रालोसपा का विलयः आपको बता दें कि मार्च 2021 में उपेंद्र कुशवाहा तीसरी बार नीतीश कुमार के खेमे में आए थे. उन्होंने अपनी पार्टी रालोसपा का विलय जदयू में करने का ऐलान किया था. नीतीश कुमार ने भी पूरे तामझाम के साथ उपेंद्र कुशवाहा को जदयू की सदस्यता दिलाई थी. विधान पार्षद बनाने के साथ-साथ पार्लियामेंट्री बोर्ड का अध्यक्ष भी बनाया. लेकिन जैसे ही नीतीश कुमार ने अगला चुनाव तेजस्वी यादव के नेतृत्व में लड़ने का ऐलान किया, वैसे ही उपेंद्र कुशवाहा नाराज हो गये.

इसे भी पढ़ेंः RJD On Upendra Kushwaha: 'चाचा का आशीर्वाद भतीजा को ही मिलता है', JDU और RJD की डील पर मृत्युंजय तिवारी का बड़ा बयान

किसकी है रालोसपा.

पटना: जदयू के बागी नेता उपेंद्र कुशवाहा फिलहाल बिहार की सियासत के केंद्र बिंदु हैं. कुशवाहा को लेकर नीतीश कुमार असमंजस की स्थिति में हैं. कुशवाहा की बयानबाजी ने जदयू नेताओं को मुश्किल में डाल रखा है. उपेंद्र कुशवाहा जदयू छोड़ने को तैयार नहीं हैं. वहीं सियासी गलियारे में इस बात की भी चर्चा जोरों पर है कि कुशवाहा अपनी पुरानी पार्टी रालोसपा को मजबूत (RLSP merged with JDU) करने की तैयारी में जुटे हैं. लेकिन, कुशवाहा की इस तैयारी को झटका लग सकता है.

इसे भी पढ़ेंः Bihar politics : नीतीश को सत्ता के शिखर तक पहुंचाने वाले लव-कुश समीकरण में सेंधमारी की तैयारी

क्या है मामलाः उपेंद्र कुशवाहा के पूर्व सहयोगी और पार्टी के तत्कालीन महासचिव अरुण कुशवाहा ने उपेंद्र कुशवाहा की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. जदयू में विलय के बाद अरुण कुशवाहा ने मार्च 2021 में ही उपेंद्र कुशवाहा को रालोसपा से 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया था और रालोसपा पर अपना दावा ठोक दिया था. मामला चुनाव आयोग में विचाराधीन है. 8 फरवरी को इस मामले पर सुनवाई हुई. अरुण कुशवाहा सुनवाई के दौरान आयोग के समक्ष पेश हुए.

क्या कहा चुनाव आयोग नेः ईटीवी भारत से फोन पर बातचीत के दौरान अरुण कुशवाहा ने कहा है कि चुनाव आयोग द्वारा मुझे यह कहा गया है कि पार्टी का सांगठनिक चुनाव संपन्न कराइये, उसके बाद हम फैसला देंगे. अरुण कुशवाहा ने कहा कि जिस तरीके से समता पार्टी को कार्यकर्ताओं ने जीवित रखा और पार्टी का संचालन किया उसी तरीके से हमने भी रालोसपा को जीवित रखा. मेरे साथ बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं की फौज है. मैं पार्टी को चलाना चाहता हूं. चुनाव आयोग में मैंने आवेदन दे रखा है और इसकी कानूनी लड़ाई जारी रहेगी.

"चुनाव आयोग द्वारा मुझे यह कहा गया है कि पार्टी का सांगठनिक चुनाव संपन्न कराइये, उसके बाद हम फैसला देंगे. जिस तरीके से समता पार्टी को कार्यकर्ताओं ने जीवित रखा और पार्टी का संचालन किया उसी तरीके से हमने भी रालोसपा को जीवित रखा. मेरे साथ बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं हैं. मैं पार्टी को चलाना चाहता हूं"- अरुण कुशवाहा, रालोसपा नेता

इसे भी पढ़ेंः Bihar Politics: DEAL या NO DEAL पर जदयू में रार, उपेंद्र ने ललन से पूछे ये सवाल

राजद और भाजपा की रायः राजद प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा है कि उपेंद्र कुशवाहा नए तरह की सियासत कर रहे हैं. उन्होंने अपनी पार्टी का विलय जदयू में कर लिया था और आजकल वह अलग एजेंडे पर काम कर रहे हैं. जनता के बीच ऐसे लोगों की विश्वसनीयता खत्म हो चुकी है. वहीं भाजपा प्रवक्ता अरविंद सिंह ने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा सही मुद्दा उठा रहे हैं. नीतीश कुमार के इशारे पर उनकी पार्टी पर दावा किया जा रहा है. नीतीश कुमार अगर वाकई अति पिछड़ों और दलितों के हिमायती हैं तो किसी अति पिछड़े को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाकर दिखाएं. तेजस्वी यादव को क्यों आगे कर रहे हैं.

रालोसपा का विलयः आपको बता दें कि मार्च 2021 में उपेंद्र कुशवाहा तीसरी बार नीतीश कुमार के खेमे में आए थे. उन्होंने अपनी पार्टी रालोसपा का विलय जदयू में करने का ऐलान किया था. नीतीश कुमार ने भी पूरे तामझाम के साथ उपेंद्र कुशवाहा को जदयू की सदस्यता दिलाई थी. विधान पार्षद बनाने के साथ-साथ पार्लियामेंट्री बोर्ड का अध्यक्ष भी बनाया. लेकिन जैसे ही नीतीश कुमार ने अगला चुनाव तेजस्वी यादव के नेतृत्व में लड़ने का ऐलान किया, वैसे ही उपेंद्र कुशवाहा नाराज हो गये.

इसे भी पढ़ेंः RJD On Upendra Kushwaha: 'चाचा का आशीर्वाद भतीजा को ही मिलता है', JDU और RJD की डील पर मृत्युंजय तिवारी का बड़ा बयान

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.