पटना: टोक्यो ओलंपिक 2020 से क्लाइम्बिंग ओलंपिक खेलों (Climbing sport included in Tokyo Olympics) का हिस्सा बना है. दुनिया भर के एथलीटों ने इसमें हिस्सा लिया. अब यह खेल पेरिस 2024 में अपने पदक की रेस को दोगुना कर देगा. स्पीड के लिए अलग-अलग पदक होंगे, बोल्डरिंग और लीड अलग-अलग पदक के लिए कम्बाइंड होंगे. बिहार के युवाओं की भी इस खेल पर नजर है. इसके लिए वे ईंट के 16 फीट लंबी दीवार पर जगह-जगह मार्किंग करके प्रैक्टिस कर रहे हैं.
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यहां बच्चों को ट्रेनिंग देते हैं कि कैसे मूव्स लिया जाता है. तैयारी के लिए उचित व्यवस्था तो नहीं है, लेकिन जो कुछ भी जुगाड़ से तकनीक बन पाया है उसी में तैयारी कराते हैं. बिहार के कला संस्कृति मंत्री से इस मसले पर बात की है. उनसे अनुरोध किया है कि क्लाइंबिंग के लिए माहौल तैयार किया जाए जहां पर बच्चे प्रैक्टिस कर सके. आश्वासन मिला है.- सैयद अबादुर रहमान, सचिव, बिहार क्लाइंबिंग एसोसिएशन
प्रैक्टिस करने में समस्या: पटना में ईंट की दीवार पर क्लाइंबिंग की प्रैक्टिस करने वाले रजनीकांत ने बताया कि वह क्लाइंबिंग में बिहार से कोलकाता और जमशेदपुर में जाकर खेल चुका है. राष्ट्रीय स्तर की क्लाइंबिंग प्रतियोगिता के लिए तैयारी कर रहा है. सरकार की तरफ से क्लाइंबिंग की प्रैक्टिस के लिए संसाधन उपलब्ध नहीं कराया गया है, ऐसे में प्रैक्टिस करने में थोड़ी समस्या आती है. लेकिन, वह तैयारी में लगा है क्योंकि उसका लक्ष्य नेशनल और ओलंपिक के लिए क्वालीफायर में जाना है.
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चोट से मिलती प्रेरणाः संदीप ने बताया कि प्रैक्टिस के दौरान डर भी लगता है, लेकिन जुनून है. प्रैक्टिस के लिए संसाधन की कमी है लेकिन जो कुछ भी संसाधन है उसी में तैयारी कर रहा है. उसने बताया कि नेशनल और ओलंपिक के लिए क्वालीफाई होना चाहता है. कई बार प्रैक्टिस के दौरान चोट भी लग जाती है, लेकिन यही चोट जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है. क्लाइबिंग की प्रैक्टिस कर रहे 8 वर्षीय नीतीश कुमार ने कहा कि वह 1 महीने से प्रैक्टिस से कर रहे हैं. क्लाइंबिंग में उन्हें बहुत आनंद आता है. वह आगे चल कर इस खेल में देश के लिए पदक लाना चाहता है.
मंत्री से मदद की उम्मीद: वहीं बिहार क्लाइंबिंग एसोसिएशन के सचिव सैयद अबादुर रहमान ने कहा कि वह राष्ट्रीय स्तर पर क्लाइंबिंग में प्रदेश के लिए पदक ला चुके हैं. अबादुर ने कहा कि वह यहां बच्चों को इस बात की ट्रेनिंग देते हैं कि कैसे मूव्स लिया जाता है. तैयारी के लिए उचित व्यवस्था तो नहीं है, लेकिन जो कुछ भी जुगाड़ से तकनीक बन पाया है उसी में तैयारी कराते हैं. उन्होंने कहा कि बिहार के कला संस्कृति मंत्री से उन्होंने इस मसले पर बात की है. उनसे अनुरोध किया है कि क्लाइंबिंग के लिए माहौल तैयार किया जाए जहां पर बच्चे प्रैक्टिस कर सके. इसके लिए कम से कम 25 स्क्वायर फीट जमीन की ही आवश्यकता होगी और 6 से 7 लाख रुपए की लागत में एक अच्छा माहौल तैयार हो जाएगा.
क्लाइंबिंग स्पोर्ट में स्कोपः क्लाइंबिंग का तीन प्रकार होता है. पहला लीड क्लाइंबिंग. इसमें बिहार के मनु जी एशियन गेम्स में ब्रॉन्ज मेडल भी जीता है. अभी वह दिल्ली में प्रैक्टिस कर रहे हैं. इसके अलावा एक विधा है बोल्डरिंग. बच्चों के स्टैमिना डवेलप करने के लिए उन्हें रस्सी पर भी क्लाइंबिंग की प्रैक्टिस करायी जाती है. सैयद अबादुर ने कहा कि इसके अलावा पटना की अक्षिता गुप्ता और कृपिता गुप्ता को बिहार में स्पाइडर गर्ल के नाम से जाना जाता है. ये दोनों बच्चियां वॉल क्लाइंबिंग में महारत हासिल की हुई है. उन्होंने कहा कि बिहार सरकार यदि क्लाइंबिंग के लिए ध्यान दे तो इसमें बहुत अधिक स्कोप है. बिहार के बच्चे काफी मेडल ला सकते हैं.