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Chaiti Chhath 2023 : लोक आस्था के महापर्व चैती छठ का तैयारी, 4 दिनों का होगा अनुष्ठान - Chaitri Chhath Puja

राजधानी पटना में मसौढ़ी का मणिचक सूर्य मंदिर तालाब में चैती छठ पूजा को लेकर मंदिर प्रशासन की ओर से तैयारियां जोरों पर है. मान्यता है कि यहां पर स्नान करने के बाद लोग मन्नत मांगते हैं तब संतान सुख की प्राप्ति होती है. इसके साथ ही अगर किसी ने कुष्ठ निवारण के लिए छठ करते हैं. पढे़ं पूरी खबर...

चैती छठ पूजा 2023 की तैयारी
चैती छठ पूजा 2023 की तैयारी
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Published : Mar 23, 2023, 12:32 PM IST

मसौढ़ी में चैती छठ 2023 की तैयारी

पटना: राजधानी पटना के सटे मसौढ़ी में चैती छठ पूजा (Chaitri Chhath Puja ) की तैयारी जोरों पर है. प्रखंड स्थित मणिचक श्री सूर्यमंदिर तालाब प्रसिद्ध घाट है. जहां आकर कई लोग अपने मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं. बताया जाता है कि यहां आकर मन्नत मांगते हुए जो भी श्रद्धालु स्नान करते हैं. उनलोगों को संतान सुख की प्राप्ति होती है. साथ ही वैसे कुष्ठ मरीजों को भी काफी फायदा मिलता है. अभी चैती छठ को लेकर कई लोग यहां पर साफ-सफाई करने में जुटे हैं.

ये भी पढें- बांकाः उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ लोक आस्था का महापर्व छठ हुआ संपन्न

"यहां आकर मन्नत मांगते हुए जो भी श्रद्धालु स्नान करते हैं. उनलोगों को संतान सुख की प्राप्ति होती है. साथ ही वैसे कुष्ठ मरीजों को भी काफी फायदा मिलता है"- नवल भारती,सचिव, श्री विष्णु सूर्य मंदिर

चैत्री छठ की तैयारी: लोक आस्था का महापर्व का चार दिवसीय अनुष्ठान की तैयारियां जोरों पर चल रही है. छठ व्रत 25 मार्च शनिवार से नहाए खाए प्रारंभ हो रहा है. इसके साथ ही 26 मार्च को खरना कर पूजा संपन्न हो जाएगा. ऐसे में मसौढ़ी का मणिचक श्री विष्णु सुर्य मंदिर छठ धाम कई मायनों में पौराणिक और श्रद्धालुओं का आस्था का केंद्र काफी दिनों से बना हुआ है.

स्नान से बीमारी ठीक: यहां आने वाले सभी श्रद्धालुओं को संतान सुख की प्राप्ति और स्नान करने के बाद कुष्ट निवारण के नाम से मणिचक सूर्य मंदिर तालाब प्रसिद्ध है. यहां पर पूजा पाठ करने के लिए कई लोग पहुंचते हैं. खासकर चैती छठ में ग्रामीण परिवार से जुड़े हुए खेती करने वाले किसान इस पर्व को महत्वपूर्ण मानते हैं.

कब से शुरू हुआ छठ पूजा: जानकारी के मुताबिक यहां सन 1949 में निवासी रामखेलावन सिंह के खेत में जुदागी गोप के खेत जुताई कर रहा था. उसी समय भगवान श्री विष्णु का अभंग काली रंग की प्रतिमा मिली थी. जिसे एक झोपड़ी में मां का मंदिर बनाकर उसे पूजा-अर्चना शुरू कर दी थी. तभी इस मंदिर के पहले महंत प्रयाग रावत ने उसे एक मंदिर का रूप देकर उसकी आराधना शुरू की.

काफी लोग हैं श्रद्धालु: इस बारे में प्रसिद्धि सुनकर लोग दूर-दूर से पूजा करने के लिए यहां पर लोग आने लगे. तभी तारेगना निवासी श्री विश्राम सिंह के संतान सुख की मन्नत पूरी होने पर 5 एकड़ जमीन तालाब बनाने के लिए दान दिया. इसकी ख्याति बढ़ने के बाद आज लाखों श्रद्धालु हर वर्ष कार्तिक और चैत में छठ व्रत करने के लिए यहां पर आते हैं.


मसौढ़ी में चैती छठ 2023 की तैयारी

पटना: राजधानी पटना के सटे मसौढ़ी में चैती छठ पूजा (Chaitri Chhath Puja ) की तैयारी जोरों पर है. प्रखंड स्थित मणिचक श्री सूर्यमंदिर तालाब प्रसिद्ध घाट है. जहां आकर कई लोग अपने मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं. बताया जाता है कि यहां आकर मन्नत मांगते हुए जो भी श्रद्धालु स्नान करते हैं. उनलोगों को संतान सुख की प्राप्ति होती है. साथ ही वैसे कुष्ठ मरीजों को भी काफी फायदा मिलता है. अभी चैती छठ को लेकर कई लोग यहां पर साफ-सफाई करने में जुटे हैं.

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"यहां आकर मन्नत मांगते हुए जो भी श्रद्धालु स्नान करते हैं. उनलोगों को संतान सुख की प्राप्ति होती है. साथ ही वैसे कुष्ठ मरीजों को भी काफी फायदा मिलता है"- नवल भारती,सचिव, श्री विष्णु सूर्य मंदिर

चैत्री छठ की तैयारी: लोक आस्था का महापर्व का चार दिवसीय अनुष्ठान की तैयारियां जोरों पर चल रही है. छठ व्रत 25 मार्च शनिवार से नहाए खाए प्रारंभ हो रहा है. इसके साथ ही 26 मार्च को खरना कर पूजा संपन्न हो जाएगा. ऐसे में मसौढ़ी का मणिचक श्री विष्णु सुर्य मंदिर छठ धाम कई मायनों में पौराणिक और श्रद्धालुओं का आस्था का केंद्र काफी दिनों से बना हुआ है.

स्नान से बीमारी ठीक: यहां आने वाले सभी श्रद्धालुओं को संतान सुख की प्राप्ति और स्नान करने के बाद कुष्ट निवारण के नाम से मणिचक सूर्य मंदिर तालाब प्रसिद्ध है. यहां पर पूजा पाठ करने के लिए कई लोग पहुंचते हैं. खासकर चैती छठ में ग्रामीण परिवार से जुड़े हुए खेती करने वाले किसान इस पर्व को महत्वपूर्ण मानते हैं.

कब से शुरू हुआ छठ पूजा: जानकारी के मुताबिक यहां सन 1949 में निवासी रामखेलावन सिंह के खेत में जुदागी गोप के खेत जुताई कर रहा था. उसी समय भगवान श्री विष्णु का अभंग काली रंग की प्रतिमा मिली थी. जिसे एक झोपड़ी में मां का मंदिर बनाकर उसे पूजा-अर्चना शुरू कर दी थी. तभी इस मंदिर के पहले महंत प्रयाग रावत ने उसे एक मंदिर का रूप देकर उसकी आराधना शुरू की.

काफी लोग हैं श्रद्धालु: इस बारे में प्रसिद्धि सुनकर लोग दूर-दूर से पूजा करने के लिए यहां पर लोग आने लगे. तभी तारेगना निवासी श्री विश्राम सिंह के संतान सुख की मन्नत पूरी होने पर 5 एकड़ जमीन तालाब बनाने के लिए दान दिया. इसकी ख्याति बढ़ने के बाद आज लाखों श्रद्धालु हर वर्ष कार्तिक और चैत में छठ व्रत करने के लिए यहां पर आते हैं.


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