पटना:बिहार देश में पिछड़े राज्यों की सूची में शामिल है. इसके लिए कई लोगों को जिम्मेदार माना जाता है. तेजस्वी यादव के पिता लालू यादव भी उसी लिस्ट के नाम हैं. तेजस्वी ने 2020 के लिए सियासत को जो रंग दिया है उससे एक बात तो साफ है कि तेजस्वी नीतिगत निर्णय के समय अपने धैर्य को कठोर रखने से नहीं चूकते. लेकिन जिस आरजेडी को तेजस्वी बना रहे हैं अगर उसमें नीतिगत निर्णय को लेकर कोई कठोर चूक हुई तो बिहार को पिछड़े पायदान पर रखे जाने की लिस्ट में एक और नाम जुड़ जाएगा. तेजस्वी के लिए बिहार की आगे की राजनीति हर कदम पर एक नई जंग की तरह है.
कठोर निर्णय से बनाई छवि- पोस्टर से हटवा दिया लालू का फोटो
2020 की सियासत में तेजस्वी यादव निर्णय लेने में कठोर छवि लेकर उभरे हैं. इस बात की चर्चा भी खूब रही कि तेजस्वी यादव पिता के वोट बैंक को ही बचा ले जाएं तो बहुत है. हालांकि तेजस्वी यादव ने राजनीति को दिशा देने के लिए रफ्तार पकड़ी तो राजनीति के लिए गुणा गणित बैठाने वाले राजनीतिक पंडित भी यह नहीं समझ पाए कि तेजस्वी की इस तरह की राजनीति को दिशा दे कौन रहा है. तेजस्वी यादव ने आरजेडी पार्टी के सभी पोस्टर से लालू यादव का फोटो हटवा दिया. पार्टी के नेताओं को साफ संदेश दे दिया कि पार्टी में अनुशासन सबसे ऊपर रहेगा. और इससे इतर जाकर कुछ भी होगा तो उसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
तेजस्वी यादव ने यह संदेश साफ कर दिया कि यह लालू की बनायी गयी आरजेडी है, नीतियों वाली आरजेडी नहीं है. तेजस्वी यादव ने सार्वजनिक मंच से अपने पिता लालू यादव के 15 साल के काम काज को लेकर माफी मांगी तो सियासत में इस बात की चर्चा हो गयी कि तेजस्वी ने हताशा में यह बयान दिया लेकिन राजनीति में जिस बदलाव ने तेजस्वी के तरफ रूख किया है उससे कई चेहरे हताश हो गए हैं.
महागठबंधन में शामिल जीतन राम मांझी और उपेन्द्र कुशवाहा तेजस्वी यादव पर वह दबाव नहीं बना पाए जो वे चाहते थे. मांझी और कुशवाहा भले ही आरजेडी छोड़ कर चले गए लेकिन तेजस्वी ने अपनी नीतिगत निर्णय की कठोर छवि को बनाए रखा. तेजस्वी ने 2020 के लिए चुनाव को अपने हिसाब से दिशा दिए और नीति भी बनाए.
नौकरी का जो वादा तेजस्वी यादव ने किया है वह एक पहलू जरूर है लेकिन पार्टी के उन लोगोंं को रोक पाना भी किसी चुनौती से कम नहीं जो बिहार की राजनीतिक छवि को अपने कृत्य से धूमिल करते रहे हैं. आरजेडी के लिए यादव जाति की पार्टी होना एक चुनौती है. जिसे तेजस्वी यादव को तोड़ना होगा. जंगलराज जैसे शब्द लालू के लिए बोले गए थे, जिसे तेजस्वी को पनपने भी नहीं देना होगा.
हालांकि दानापुर से रितलाल यादव, मोकामा से अनंत सिंह, राजबल्लभ यादव, रामा सिंह जैसे बाहुबलियों को टिकट देने का काम आरजेडी ने किया है. लेकिन इनपर नकेल भी कड़ी लगी रहे इसके लिए उन्हें कठोर रहना होगा. लालू यादव के राज में जिस तरह से लोगों ने लालू यादव का फायदा उठाया अगर वैसी छूट मिल गयी तो इसमें दो राय नहीं कि बिहार का बहुत कुछ नुकसान तो होगा ही लेकिन तेजस्वी की सारी मेहनत चौपट भी हो जाएगी.
20 नवम्बर 2015 को बिहार के उपमुख्यमंत्री की शपथ लेने कि बाद राजद विधायक दल की बैठक में तेजस्वी का तेवर पार्टी के लिए बहुत कुछ कह गया था. तेजस्वी ने साफ-साफ कहा था यह सभी को मान लेना है कि आप की गलती का खामियाजा कोई और भुगतेगा. पार्टी ने आप को सम्मान दिया है तो पार्टी के सम्मान का ध्यान आप लोग भी रखें. तेजस्वी के इस तेवर ने आरजेडी के वैसे नेताओं की सांस रोक दी थी जो लोग आरजेडी की सरकार बनने के बाद मनमानी करने की नीयत रखते थे.