पटना: लॉकडाउन के कारण देश के रिटेल व्यापार को 5.50 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. ये जानकारी कैट (कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स) ने दी है. बताया गया कि लॉकडाउन के कारण देश की 20 प्रतिशत दुकानें बंद होने की कगार पर हैं.
कैट के बिहार अध्यक्ष अशोक कुमार वर्मा ने बताया कि जब से देश में लॉकडाउन लागू किया गया है, तब से लेकर 30 अप्रैल तक भारतीय खुदरा व्यापार में लगभग 5.50 लाख करोड़ रुपये का व्यापार नहीं हो पाया है. ये व्यापार न होने से कम से कम 20 प्रतिशत व्यापारियों और उन व्यापारियों पर निर्भर लगभग 10 प्रतिशत अन्य व्यापारियों द्वारा अपना व्यापार बंद करने की संभावना है.
सरकार से अपील
लॉकडाउन ने भारतीय खुदरा विक्रेताओं के अगले कुछ महीनों के कारोबार को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया. इसी के मद्देनजर कैट ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से आग्रह किया है कि सरकार देश के व्यापारिक समुदाय को संभालने और व्यापारियों की मदद के लिये पर्याप्त पैकेज दे. कैट बिहार चैप्टर के चेयरमैन कमल नोपानी, महासचिव डा.रमेश गांधी व कोषाध्यक्ष अरूण कुमार गुप्ता ने कहा कि करोना ने भारतीय खुदरा व्यापार में बहुत बड़ी अपूरणीय सेंध लगाई है, जिसका पूरे देश देश की अर्थव्यवस्था पर विनाशकारी प्रभाव पड़ेगा.
'रिटेल सेक्टर बर्बाद'
उन्होंने कहा कि भारतीय रिटेलर्स लगभग 15,000 करोड़ का दैनिक कारोबार करते हैं और देश में 40 दिनों से अधिक समय से तालाबंदी चल रही है. इसका मतलब है कि 5.50 लाख करोड़ से अधिक का भारी नुकसान हुआ है, जो कि भारत के 7 करोड़ व्यापारियों द्वारा किया जाता है. उन्होंने आगे कहा कि इन 7 करोड़ व्यापारियों में से लगभग 1.5 करोड़ व्यापारियों द्वारा कुछ महीनों में ही अपने व्यापार को स्थायी रूप से बंद करना होगा और लगभग 75 लाख व्यापारी जो इन 1.5 करोड़ व्यापारियों पर निर्भर हैं उन्हें भी अपना व्यापार बंद करने पर मजबूर होना पड़ेगा.
व्यापार के संचालन के लिये पर्याप्त पूंजी नहीं
कैट महानगर अध्यक्ष प्रिंस कुमार राजू व सचिव संजय बरनवाल ने कहा कि भारत में कम से कम 2.5 करोड़ व्यापारी बेहद सूक्ष्म और छोटे हैं, जिनके पास इस गंभीर आर्थिक तबाही से बचने का कोई रास्ता नहीं है. ऐसी परिस्थिति में उनके पास अपने व्यापार के संचालन के लिये पर्याप्त पूंजी नहीं है. एक तरफ उन्हें वेतन, किराया, अन्य मासिक खर्चों का भुगतान करना पड़ रहा है तो दूसरी ओर उन्हें सोशल डिस्टेंसिंग के मानदंडों के साथ व्यवहार करना होगा, जो व्यापार को सामान्य स्थिति में नहीं आने देंगे.
'सरकार नहीं कर रही ख्याल'
भारतीय अर्थव्यवस्था पहले से ही मंदी के दौर से गुजर रही थी और पूरे क्षेत्र में मांग में भारी गिरावट आई थी, लेकिन इस घातक बीमारी ने भारत के रिटेल व्यापार को भी पूरी तरह तबाह कर दिया है. कैट संरक्षक शशि शेखर रस्तोगी और टीआर गांधी ने व्यापारियों की दुर्दशा पर संज्ञान न लेने के लिए केंद्र और विभिन्न राज्य सरकारों पर गहरी निराशा व्यक्त की. कहा कि सरकारों ने गैर-कॉर्पोरेट क्षेत्र को नहीं संभाला, जो भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 40% से अधिक का योगदान देता है. यह राष्ट्र के कुल कार्यबल की लगभग एक तिहाई है. इसके बजाय सरकार ने आदेश दिया है कि सभी व्यवसायियों को अपने कर्मचारियों के वेतन का भुगतान करना होगा. बैंक ब्याज वसूलते रहेंगे और मकान मालिक किराया मांगते रहेंगे. यह पूरी तरह से एकतरफा है, जहां सरकार केवल व्यापारियों से उम्मीद करती है, लेकिन आज तक व्यापारियों के व्यापार की सुरक्षा के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया.
बड़े पैमाने पर नुकसान
प्रमुख समाजसेवी कैट सदस्य मुकेश नंदन ने यह भी कहा कि गृह मंत्रालय द्वारा विभिन्न अधिसूचनाओं का जमीनी स्तर पर ठीक तरह से पालन नहीं हुआ है. दिशा-निर्देशों को लागू करने में राज्यों ने कोताही बरती है. जिला स्तर पर राज्य सरकारें और अधिकारी अपनी-अपनी धुन गा रहे हैं. दिशानिर्देशों में इस अस्पष्टता ने भारतीय खुदरा विक्रेताओं के संकट को और बढ़ा दिया है. उन्होंने आगे कहा कि भारतीय खुदरा क्षेत्र वस्तुतः वेंटीलेटर पर है और सरकार के तत्काल हस्तक्षेप न करने से इसमें बड़े पैमाने पर नुकसान होगा.