पटनाः हाल के दिनों में दूध की कीमतों में काफी वृद्धि ( Milk Price Hiked ) हुई है. अभी तक जब भी दूध की कीमतें एक से दो रुपये ही बढ़ती थी लेकिन इस बार प्रति लीटर दूध की कीमतें 3 से 4 रुपये बढ़ा दी गई है. फुल क्रीम दूध पर प्रति लीटर जहां 4 रुपये की बढ़ोतरी हुई है, वहीं सामान्य दूध की कीमत 3 रुपये प्रति लीटर बढ़ाई गई है.
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दूध की कीमतों में वृद्धि के साथ ही दूध उत्पादों की कीमतें भी काफी बढ़ गई हैं. 200 ग्राम पनीर 5 रुपये महंगा हो गया है, वहीं सुधा का 1 किलो गुलाब जामुन, रसगुल्ला और बालूशाही पर 10 से 15 रुपये की बढ़ोत्तरी की गई है. इस स्थिति में आम लोगों के सामने मुश्किलें काफी बढ़ गई हैं.
अभी पेट्रोल की बढ़ी कीमतों के साथ महंगी सब्जी से लोग तो परेशान थे ही, महंगा हुआ दूध ने लोगों के सामने चुनौतियां बढ़ा दी है. दूध की कीमतों में वृद्धि के बाद गरीब और मध्यम वर्गीय परिवार का घर का पूरा बजट बिगड़ गया है. स्थिति आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपैया वाली हो गई है.
लोगों का कहना है कि कोरोना के नाम पर कंपनियां पहले से ही सैलरी में कटौती कर रही है. और, अब बढ़ती महंगाई ने जीना दुभर कर दिया है. बचत कुछ नहीं हो रहा और ऊपर से कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है. एक नवंबर से प्रदेश में ब्रेड की कीमतों में भी इजाफा हुआ है. ब्रेड प्रति पैकेट 3 रुपये से 5 रुपये तक महंगी हो गई है. ऐसे में जो लोग सुबह में दूध ब्रेड नाश्ता करते हैं, उनके पॉकेट पर सात से 10 रुपये का अतिरिक्त खर्च बढ़ गया है.
सुधा डेयरी पर दूध खरीदने पहुंचे राकेश कुमार बताते हैं कि उनके यहां ढाई लीटर दूध की खपत है. अब जब दाम बढ़ गया है तो वे 2 लीटर दूध ही ले जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार महंगाई बढ़ाकर जनता को मारने का काम कर रही है. पेट्रोल, खाने का तेल, गैस, सब्जी के बाद अब दूध का दाम बढ़ गया है. ऐसे में अब गरीब आदमी कैसे जिएगा?
राकेश बताते हैं कि स्थिति ऐसी आ गई है कि सारा पैसा सुबह दोपहर और शाम का भोजन जुटाने में खर्च हो जा रहा है. भविष्य के लिए कोई प्लानिंग नहीं बन पा रही है. ऐसे में बच्चों का आगे भविष्य कैसा होगा उनके लिए यह बड़ा संकट बन गया है. उन्होंने कहा कि वह प्राइवेट कंपनी में काम करते हैं और सैलरी के नाम पर अभी भी कंपनियां कोरोना का हवाला देकर कटौती कर रही है और सैलरी बढ़ने का कोई आसार भी नजर नहीं आ रहा है.
बढ़ती महंगाई पर विपक्ष भी चुप है और ऐसा लग रहा है कि अभी के समय सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों एक दूसरे के पूरक हैं. उन्होंने कहा कि विपक्ष को महंगाई का मुद्दा बनाना चाहिए. विपक्ष को अभी के समय जनता के साथ खड़ा होना चाहिए और महंगाई के मुद्दे को लेकर आक्रमक रूख अख्तियार करना चाहिए ताकि जनता विपक्ष का साथ दें.
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विपक्ष अगर जनता के मुद्दों को नहीं उठाएगा तो जनता विपक्ष को कभी साथ भी नहीं देगी और जैसे चल रहा है वैसे चलता रहेगा. वहीं, एक अन्य ग्राहक तेज नारायण ने कहा कि एक तरफ सरकार महंगाई को नियंत्रित करने की बात करती है, वहीं दूध के दाम में अचानक वृद्धि कर देती है.
दूध की कीमतों में बढ़ोतरी होने से बहुत बड़ा प्रभाव पड़ेगा क्योंकि दूध बहुत ही अनिवार्य पदार्थ है. यह सभी के लिए जरुरी है. इससे मध्यमवर्गीय और गरीब परिवारों पर काफी बड़ा आर्थिक बोझ पड़ा है. काफी लोग अपने घर में दूध की खपत कम कर रहे हैं, ताकि वह अपना बजट मेंटेन कर सकें. ऐसे में उन घरों में सही पोषण नहीं मिलने की वजह से कई बीमारियां आएंगी और यह जवाबदेही सरकार की होगी.
उन्होंने कहा कि सरकार महंगाई नियंत्रित करने में पूरी तरह विफल है और पेट्रोल डीजल गैस खाने-पीने की तेल और सब्जी के बाद अब दूध की कीमत जिस प्रकार बढ़ी है आम लोग परेशान हो गए हैं. दूध की खरीदारी प्रतिदिन होती है ऐसे में यह लोगों की रोजाना की खर्च में वृद्धि है.
वैजयंती देवी कहती हैं कि महंगाई बढ़ रही है और इसमें वह कुछ कर भी नहीं सकती. सब कुछ सरकार कर रही है और उनके जैसे मध्यमवर्गीय परिवार के लोग भुगत रहे है. घर का पूरा बजट बिगड़ गया है और वह सरकार से बस यही अपील करेंगे कि इस महंगाई को नियंत्रित करें.
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सौरव कुमार ने कहा कि महंगाई बहुत अधिक बढ़ गई है और दूध की कीमतों में इजाफा होने से लोगों के पैकेट पर बड़ा बोझ पड़ा है. एक से 2 रुपये वृद्धि होती थी तो लोग धीरे-धीरे मेंटेन करते थे लेकिन अब 3 रुपये से 4 रुपये की बढ़ोतरी हुई है और अब महीने में अगर कोई ढाई लीटर दूध प्रतिदिन ले जाता है तो लगभग 300 से अधिक रुपए का खर्च बढ़ा है. ब्रेड की भी कीमतें बढ़ी है ऐसे में दूध ब्रेड नाश्ता करके जाने वाले लोगों का महीने का नाश्ता का खर्चा 500 से 700 रुपये तक बढ़ गया है.
दुकानदार नरेंद्र कुमार सिन्हा ने बताया कि सिर्फ दही लस्सी और छाछ को छोड़कर दूध के सभी उत्पादों की कीमतें बढ़ी हैं. दुग्ध उत्पाद की कीमतों में बढ़ोतरी होने से अभी के समय लोग ढाई लीटर अगर दूध ले जाते थे तो 2 लीटर ही ले जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि दूध की कीमतें जब भी बढ़ती है तो कुछ दिन दूध थोड़ा कम बिकता है लेकिन इससे अधिक फर्क नहीं पड़ता. दुकानदार पीयूष राज ने बताया कि नवंबर महीने में विगत 10 दिनों में दूध ब्रेड पेड़ा मिठाई सब पर दाम बढ़ गया है. ब्रेड की कीमतें 3 रुपये से 5 रुपये प्रति पैकेट बढ़ गई हैं.
प्रतिदिन कितना सेल होता है उससे 4 से 5 लीटर अगर कम सेल हो तो यह ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता मगर दूध के उत्पादों की कीमतों में भी बढ़ोतरी हुई है. जैसे गुलाब जामुन, रसगुल्ला और अन्य मिठाई. ऐसे में जो भी ग्राहक सामान की खरीदारी कर रहे हैं तो फिलहाल अभी उन्हें पुराना एमआरपी वाला पैकेट पर नया स्टीकर लगाकर दिया जा रहा है और लोग खरीददारी करने के बाद सरकार को कोसते दिख रहे हैं.