पटना: वीआईपी चीफ मुकेश सहनी (VIP Chief Mukesh Sahani) की पार्टी के सभी विधायकों ने उनका साथ छोड़ दिया है. बुधवार शाम को विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के तीनों विधायक राजू सिंह, सुवर्णा सिंह और मिश्री लाल यादव ने प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल की मौजूदगी में बीजेपी का दामन थाम लिया. वीआईपी में टूट एक-दो दिनों के प्रयासों का नतीजा नहीं है, बल्कि पिछले 6 महीनों से टूट की पटकथा लिखी जा रही थी. साहेबगंज विधायक राजू सिंह (Sahebganj MLA Raju Singh) पूरे अभियान को अंजाम देने में जुटे थे. वह लगातार बीजेपी नेताओं के संपर्क में थे. मिश्री लाल यादव और सुवर्णा सिंह को भी उन्होंने विश्वास में लिया. वह लगातार यह कह रहे थे कि हम लोग एनडीए का हिस्सा हैं.
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नित्यानंद राय ने निभाई बड़ी भूमिका: बोचहां से विधायक मुसाफिर पासवान के निधन के बाद तकनीकी रूप से टूट आसान हो गया था और तब से राजू सिंह इस कवायद में भी लग गए थे. केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय के कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी थी और मुहिम को अंजाम तक पहुंचाने में नित्यानंद राय लगे थे. प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल के साथ नित्यानंद राय की कई दौर की बैठक भी हो चुकी थी. केंद्र के दूत के रूप में नित्यानंद राय ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की और डेढ़ घंटे की बातचीत के दौरान पूरी पटकथा लिखी गई.
सहनी को भनक तक नहीं लगी: बुधवार को जिस वक्त पटना में बिहार कैबिनेट की बैठक चल ही रही थी, उसी दौरान पूरी प्रक्रिया को अंजाम दिया गया. मुकेश सहनी को कानों कान इसकी भनक तक नहीं लगी. विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा के कक्ष में प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल, उपमुख्यमंत्री तार किशोर प्रसाद और रेणु देवी की मौजूदगी में तीनों विधायकों ने कानूनी प्रक्रिया को पूरी की.
6 महीने से पटकथा पर काम: विधायक राजू सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कहा कि मुसाफिर पासवान के निधन के बाद से ही हम इस प्रयास में लगे थे कि बीजेपी के साथ बातचीत को अंतिम रूप दिया जाए. बोचहां में जब मुकेश सहनी ने प्रत्याशी खड़े किए, तब मैंने भी तत्काल अलग होने का मन बना लिया. वहीं विधायक मिश्रीलाल यादव ने कहा कि मुकेश सहनी पिछले कुछ समय से एनडीए के खिलाफ काम कर रहे थे. यूपी में बीजेपी के लिए मुकेश सहनी ने मुश्किलें खड़ी की और फिर अब उप चुनाव में उम्मीदवार उतार दिए. वैसी स्थिति में हमारे पास पार्टी छोड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं था.
जेडीयू ने खुद को अलग रखा: वहीं, पूरे मामले पर जेडीयू ने बीच का रास्ता अपनाया है. भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी ने कहा है कि मुकेश सहनी का गठबंधन बीजेपी के साथ है. जेडीयू के साथ हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा का गठबंधन है. मुकेश सहनी को लेकर भारतीय जनता पार्टी को ही फैसला करना है.
सहनी को औकात बताने में देरी नहीं: इस बारे में वरिष्ठ पत्रकार अशोक मिश्रा ने कहा है कि विजय सिन्हा और नीतीश कुमार के विवाद के दौरान ही यह स्पष्ट हो गया था कि बीजेपी अब अपने कार्यकर्ताओं के मनोबल को कम नहीं होने देगी. बोचहां उपचुनाव भी उसी का नतीजा है. अपने कार्यकर्ताओं के लिए ही पार्टी ने ये स्टैंड लिया है. यूपी विधानसभा चुनाव और बिहार में उप चुनाव लड़ना मुकेश सहनी को महंगा पड़ा और बीजेपी ने मुकेश सहनी को औकात बताने में देरी नहीं की. पूरे प्रकरण में वीआईपी की ओर से जहां ड्राइविंग सीट पर राजू सिंह रहे, वहीं बीजेपी की ओर से नित्यानंद राय की भूमिका अहम रही.
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