पटनाः बिहार विधान परिषद के 24 सीटों पर चुनाव (Bihar Legislative Council Elections) होने हैं. अभी तक महागठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर सहमति नहीं बनी और राजद ने कांग्रेस को अलग-थलग कर दिया. राजद जहां 23 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, वहीं वाम दल के खाते में 1 सीट गई है. महागठबंधन में गांठ पड़ने से भाजपा ने कांग्रेस के अस्तित्व पर सवाल उठाया (BJP Statement on Condition of Congress and RJD) है. भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि विधान परिषद चुनाव को लेकर महागठबंधन दो भाग हो चुका है. राजद ने विधान परिषद चुनाव में कांग्रेस के लिए एक भी सीट नहीं छोड़ा. राष्ट्रीय स्तर की पार्टी को क्षेत्रीय स्तर की पार्टी ने हैसियत बता दी है.
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भाजपा प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा है कि कांग्रेस 100 साल से भी अधिक पुरानी पार्टी है. राजद जैसी छोटी और क्षेत्रीय पार्टी के समक्ष कांग्रेस ने आत्मसमर्पण कर दिया है. कांग्रेस के अंदर अगर आत्म स्वाभिमान बचा हो तो उसे राजद से अपने संबंध तोड़ लेने चाहिए. वर्तमान हालात को देखते हुए ऐसा प्रतीत होता है कि कांग्रेस पार्टी बिहार में राजद में विलीन हो जाएगी. लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर राजद कांग्रेस के साथ है.
उन्होंने कहा, आरजेडी को स्थापित करने में कांग्रेस का बहुत योगदान रहा है. जिस तरीके से आरजेडी ने कांग्रेस को हैसियत बता दी है, उससे कांग्रेस के लोग बिहार में आरजेडी के खिलाफ हैं. लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस की गोद में आरजेडी बैठकर राजनीति करना चाहती है. लालू जी के बयान और तेजस्वी यादव की स्ट्रेटेजी में भ्रम की स्थिति है. आरजेडी कांग्रेस को धकिया कर महागठबंधन में मजबूत बनी रहना चाहती है. इतनी बेइज्जती के बाद कांग्रेस को राजद का साथ छोड़ देना चाहिए. अपना वजूद बनाने पर काम करना चाहिए. भविष्य में भी नहीं दिखता है कि कांग्रेस बिहार में पनप पाएगी. कांग्रेस आरजेडी में ही मर्ज हो जाएगी.
आपको बता दें कि तेजस्वी यादव ने दिल्ली रवाना होने से पहले भोजपुर, औरंगाबाद, वैशाली और मुंगेर समेत 11 सीटों पर उम्मीदवार तय कर दिया है. इसमें पश्चिम चंपारण सीट भी शामिल है, जिस पर पिछली बार कांग्रेस ने चुनाव लड़ा था और यही वजह है कि कांग्रेस की बेचैनी ज्यादा बढ़ गई है. ऐसे में अब देखना होगा कि राजद और कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के बीच विधान परिषद चुनाव में सीट शेयरिंग को लेकर किस हद तक बात बन पाती है.
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